Sunday, March 02, 2014

देख वो कली तेरा इन्तजार कर रही है


#सूरज भाई आज बहुत भन्नाये हुये हैं। बरसात और ओलों ने किसानों की फ़सल बरबाद कर दी है। वे फोन पर ही इन्द्र भगवान को हड़का रहे हैं ---"आपका अपने इन बादलों पर कोई कन्ट्रोल नहीं है क्या? आपके ये बादल सत्ता धारी पार्टियों के स्वयं सेवक सरीखे उजड्ड हो रहे हैं। जब मन आता है, जहां मन आता है बरस जा रहे हैं। गरीब किसान का नुकसान कर दिया। वहां तो आप दरबार में अप्सराओं का नृत्य देखते हुये आनन्द कर रहे होंगे ! यहां आकर देखिये तब पता चले आपको! मेरा खून खौल रहा यह देखकर। "

इन्द्र देव का तो पता नहीं लेकिन बादलों की सिट्टी और पिट्टी दोनों गुम हो गयी। वे आसमान से ऐसे फ़ूट लिये जैसे हवलदार के डंडा पटकते ही भीड तितर-बितर होने लगती है। किरणें रात के ओलों को पिघलाकर खतम कर रहीं हैं। एक-एक ओले को बीन-बीन कर निपटा रही हैं।

एक किरण कह रही है- "ओलों पर पैर रखने से ठंडा-ठंडा, कूल-कूल लग रहा है। गुदगुदी से मच रही है। ठंडक सीधे दिमाग में जा रही है। लग रहा जैसे ओलों से एक्यूप्रेसर एक्सरसाइज कर रहे हैं। लेकिन ओले पैर रखते ही ऐसे गायब होते जा रहे हैं जैसे जनप्रतिनिधियों के भाषणों से अकल की बात।"

ओये कूल-कूल की बच्ची ! जरा सा मौका मिला नहीं कि क्रिकेटरों की तरह काम छोड़कर विज्ञापन करने लगी। कित्ते पैसे मिले कोल्ड ड्रिंक वाले से कूल-कूल बोलने के । अमिताभ बच्चन तक ने कूल-कूल कहना छोड़ दिया पैसे लेने के बाद। ओल्ड फ़ैशन्ड कहीं की। देख वो कली तेरा इन्तजार कर रही है। अब जा उसपर बैठ थोड़ी देर। -- एक सहेली ने हड़काते हुये कहा।

अरे जा-जा ! सुबह का वक्त है। मेरे मुंह मत तक वर्ना मैं तेरी सारी पोल-पट्टी खोल कर रख दूंगी प्राइम टाइम के बहसबाजों की तरह। - किरण ने गोल-गोल आंखें चमकाते हुये ऐसे कहा मानो वो किसी काजल का विज्ञापन करने वाली है।

किरणें अपने-अपने काम पर लग रही हैं। सूरज भाई ने सारी कुमुक को खेतों में फ़सल सुखाने के लिये लगा दिया है। जितना बचा सके बचाया जाये।

इधर एक बच्चा अपने हाथों में फ़ूल लिये अपने दोस्त को भेंट करने के लिये भाग रहा है। सुबह हो रही है।

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