शाम
होते ही सूरज भाई अपना टीम-टामड़ा समेटकर वापसी की तैयारी करने लगे। बच्चा
किरणों को पहले ही वापस भेज दिया इस निर्देश के साथ कि कहीं इधर-उधर घूमने
की बजाय सीधे डेरे पर पहुंचे। सूरज भाई की चिन्ता है कि एक तो जमाना वैसे
ही खराब चल रहा है ऊपर से चुनाव का मौसम। कौन जाने कोई आती-जाती किरणों को
अपनी पार्टी का टिकट थमा दे और कहे -आप हमारे चुनाव चिन्ह से चुनाव लडो!
घोसलों की तरह पक्षी समूह में लौटे रहे हैं। लगता है उनके यहां भी अकेले उड़ना अब खतरनाक माना जाना लगा है। एक पक्षी दूसरे से टकराते हुये बचा। दोनों ने चींची करके एक-दूसरे को सॉरी बोला और चहचहाते हुये फ़िर उड़ने लगे। आसमान पक्षियों के कलरव से गूंज सा रहा है।
पक्षियों के वायुपथ में बीच-बीच में कोई पेड़ आ जाता है तो वे घूमकर आगे निकल रहे हैं। रास्ते में कोई छोड़ी डाल आती है तो वह हवा के झोंके से इधर-उधर सरककर पक्षियों के रास्ते से दायें-बायें हो जा रही है। लगता है उन्होंने वसीम बरेलवी का शेर सुन रखा है:
थके-हारे परिन्दे जब बसेरे के लिये लौटें,
सलीका मन्द साखों का लचक जाना जरूरी है।
देखते देखते सूरज भाई आसमान की गोद में जा छिपे जैसे स्कूल से लौटे बच्चे बस्ता फ़ेंककर मां की गोद् में जा छिपते हैं। शाम हो गयी है।
घोसलों की तरह पक्षी समूह में लौटे रहे हैं। लगता है उनके यहां भी अकेले उड़ना अब खतरनाक माना जाना लगा है। एक पक्षी दूसरे से टकराते हुये बचा। दोनों ने चींची करके एक-दूसरे को सॉरी बोला और चहचहाते हुये फ़िर उड़ने लगे। आसमान पक्षियों के कलरव से गूंज सा रहा है।
पक्षियों के वायुपथ में बीच-बीच में कोई पेड़ आ जाता है तो वे घूमकर आगे निकल रहे हैं। रास्ते में कोई छोड़ी डाल आती है तो वह हवा के झोंके से इधर-उधर सरककर पक्षियों के रास्ते से दायें-बायें हो जा रही है। लगता है उन्होंने वसीम बरेलवी का शेर सुन रखा है:
थके-हारे परिन्दे जब बसेरे के लिये लौटें,
सलीका मन्द साखों का लचक जाना जरूरी है।
देखते देखते सूरज भाई आसमान की गोद में जा छिपे जैसे स्कूल से लौटे बच्चे बस्ता फ़ेंककर मां की गोद् में जा छिपते हैं। शाम हो गयी है।
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