Tuesday, April 03, 2018

भारत माता की जय



फल वाला 
सबेरे-सबेरे फल वाला संतरे सजा रहा है। अखबार की कतरन संतरे के बिस्तर की तरह सजाई। पानी से गीला किया ताकि संतरे ठंडे रहें। गरमाये नहीं।
कतरन मराठी अखबारों की है। मराठी में समाचारों के टुकड़े कतरन में आधे-अधूरे से हैं। एक समाचार कई कतरनों में बंट गया होगा। कतरन का अधूरा समाचार अपने बिछुड़े समाचार को खोज रहा होगा। अखबार में साथ-साथ छपी खबर ठेलिये के अलग-अलग कोनों में पड़ी होंगी। अखबार के आठवें पेज की खबर पहले पेज की खबर के साथ गलबहियां कर रही होगी। नागपुर की कोई बहुत गर्म खबर कानपुर में संतरों के बिस्तर को ठंडा करने के काम आ रही होगी।
होर्डिंग पर एक सुंदरी सोना-चांदी का विज्ञापन कर रही है। 24 घण्टे अकेली महिला होर्डिंग पर अकेले खड़े डरती नहीं है। यह सोचे और फिर यह भी कि होर्डिंग पर है इसीलिए बची है। वरना पता नहीं कब दुर्गत हो गयी हो गई होती। या लटक गई होती शोहदो के डर से।
एक आदमी जेब में दोनों हाथ डाले सड़क मुआयना कर रहा है। जेब में हाथ डालकर रहने वाले लोग 'मुंहचुप्पा' बताये जाते हैं। हमने ऐसा सुना है किसी से। पता नहीं ऐसा सच है कि ऐसे ही किसी ने उड़ा दी ?
एक बुजुर्ग महिला शायद अपने नाती को स्कूल छोड़ने जा रही है। बच्चा आगे-आगे चपल गति से दायें-बायें भाग रहा। बुजुर्गा उसको पीछे से कंट्रोल करने की कोशिश करती है। लेकिन बच्चे की स्पीड ज्यादा है। बुजुर्गा की कोशिश देखकर ऐसा लगता है कि किसी राष्ट्रीय पार्टी के लोग अपने बच्चा संगठन को अपनी मर्जी के हिसाब से हाँकने की कोशिश में हैं लेकिंन बच्चा संगठन जबानी के जोश में अपनी मर्जी से चल रहा हो।
दो रिक्शे वाले आपस में बतिया रहे हैं। एक ने अपने पास से चार पूड़ियाँ निकालीं और टीन की छत पर फेंक दीं। बोला -'बन्दर खाएंगे।'
बताओ -'बिना सब्जी की पूड़ी अपने पूर्वजों को फेंककर खिला रहा है। कित्त्ता गलत काम है। बुजुर्गों का बिलकुल ख्याल नहीं। हमारा कौन ख्याल रखेगा।
सड़क पर सामने से आता ऑटो हमारे एकदम बगल में रुका। हम पीछे हट गए। क्या पता जबरियन बैठा लेता। शुक्लागंज छोड़कर पैसे भी धरा लेता। लेकिन बच गए।
समय हो गया दफ्तर का। चला जाये। काम पर लगा जाये। भारत माता की जय। वन्देमातरम।
भारतमाता की जय इसलिए बोली कि सबको पता चल जाए कि देशभक्त हम भी कम नहीं हैं।

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