Saturday, June 22, 2013

तबाही की जिम्मेदारी

http://web.archive.org/web/20140402080546/http://hindini.com/fursatiya/archives/4429

तबाही की जिम्मेदारी

Floodबाढ़ से भयंकर तबाही हुई है. अनगिनत लोग मारे गये. हजारों बेघरवार हुये. करोंडो का नुकसान हुआ. भयंकर त्रासदी है.
मंत्री जी आपदा पर बयान देने के लिये तैयार हो रहे हैं. अफ़सर उनको समझा रहे हैं. मंत्री उनसे सवाल-जबाब कर रहे हैं. आप भी सुनिये जरा :
क्या लफ़ड़ा हुआ है जरा समझाइये मुझे. बयान देना है. इसके बाद विदेश जाने की तैयारी करनी है.
कुछ नहीं साहब जरा बाढ़ आयी है.हर साल आती रहती है. तबाही भी होती रहती है. कुछ लोग मरे हैं. हर साल मरते हैं. लेकिन इस बार कुछ ज्यादा हो गये. घर बहे हैं. हर बार बहते हैं. इस बार कुछ ज्यादा बह गये. तमाम लोग लापता हैं . वही है. नेचरल कैलेमिटी मतलब प्राकृतिक आपदा. – अफ़सर ने विस्तार से समझाया.
अच्छा, अच्छा. बारिश के मौसम में तो ऐसा होता ही है. हर साल होता है. तो क्या इसके लिये बयान भी देना पड़ेगा? -मंत्री जी ने पूछा.
दे दीजिये.बयान देना अच्छा ही है. वर्ना कोई दूसरा दे देगा तो सारा कवरेज वो लूट लेगा.
ये सही है. बयान अगर गड़बड़ हुआ तो खंडन करने का भी मौका भी मिलता है. क्या चोचले हैं मीडिया के वाह! अच्छा बताइये ये त्रासदी की जिम्मेदारी किस पर डालनी है, पाकिस्तान पर या लश्करे तैयबा पर.
अरे साहब पाकिस्तान पर नहीं.ये कोई बम धमाका थोड़ी है? पाकिस्तान को तो आतंकवाद के लिये जिम्मेदार ठहराया जाता है.
तो फ़िर यहां चीन को जिम्मेदार ठहराना है? चीन आजकल बहुत गड़बड़ कर रहा है. ससुरे तंबू ताने रहे यहां कित्ते दिन.
न साहब चीन को तो जब उधर ब्रह्मपुत्र में बाढ़ आयेगी तब जिम्मेदारी देनी होगी. यह तो आपदा है, प्राकृतिक आपदा है. इसके लिये पृकति को दोष देना होगा या फ़िर इंसान के लालच को. पर्यावरण को नुकसान पहुंचा रहे हैं हम. उसी का नतीजा है यह बाढ़. -अफ़सर कायदे से समझा रहा है.
Flood2यार कभी-कभी लगता है कि विपक्ष में होते तो कित्ता अच्छा रहता. सारी जिम्मेदारी सरकार पर लादकर मस्त हो जाते. रोज सरकार को कोसते रहते. हल्ला मचाते रहते. सरकार में होना भी कित्ता आफ़त है. कोई ऐसा जुगाड़ होना चाहिये जिससे आपदा के समय सरकार से अलग हो जायें. सरकार मोबाइल के कनेक्शन सरीखी होती तो कित्ता अच्छा होता. कठिनाई के मौके पर स्विच आफ़ कर लेते. -मंत्री जी के चेहरे पर आपदा के समय सरकार में होने का दुख पसरा था.
अब क्या कर सकते हैं साहब. सरकार में होने का कुछ तो नुकसान उठाना ही पड़ेगा. वैसे चाहें तो आप भगवान की लीला भी बता सकते हैं इसे.- एक आस्तिक चेले ने सुझाया.
अरे भगवान का खुद घर उजड़ गया. उनको दोष देना ठीक नहीं होगा. बेचारे खुद दुखी होंगे.
इत्ते में एक मीडिया वाले ने मंत्री जी के मुंह के सामने माइक सटा दिया और उनको कोसते हुये सा इस पर उनकी प्रतिक्रिया पूछने लगा.
मंत्री जी ने आपदा पर दुख प्रकट करते हुये सरकार की तरफ़ से राहत की घोषणा कर दी.
आप इस आपदा के पीछे किसको जिम्मेदार मानते हैं. क्या आपकोअ नहीं लगता कि सरकार की इसमें पूरी जिम्मेदारी है– मीडियावाला सरकार के पीछे पड़ गया.
देखिये -सरकार इसमें क्या कर सकती है. सरकार ने कानून बनाये हैं. लोग उसका पालन नहीं करते, प्रकृति को नुकसान पहुंचाते हैं तो तबाही होगी ही.
अरे – आप ऐसा कैसे कह सकते हैं. सरकार के अलावा और कौन इसका जिम्मेदार हो सकता है. सरकार जिम्मेदारी लेने के लिये ही तो चुनी जाती है.सरकार अगर जिम्मेदारी तक नहीं ले सकती है तो फ़िर किसके लिये है सरकार. – संवाददाता के तेवर से लग रहा था कि वह विरोधी पार्टी का प्रवक्ता है और किसी मीडिया वाले का माइक छीन कर मंत्री जी से उलझ गया है.
देखिये जिम्मेदारी से हम कभी घबराते नहीं. लेकिन अभी जिम्मेदारी की बात करना जल्दबाजी होगी. फ़िलहाल राहत हमारी प्राथमिकता है. जिम्मेदारी की बात के लिये कमेटी बन जायेगी. तय करती रहेगी जिम्मेदारी आराम से.
आगे की बातचीत अधूरी रह गयी. मंत्री जी को विदेश यात्रा की तैयारी भी करनी है.जिम्मेदारी तय नहीं हो पायी.
चैनल पर कामर्शियल ब्रेक के विज्ञापन शुरु हो गये हैं.

15 responses to “तबाही की जिम्मेदारी”

  1. प्रवीण पाण्डेय
    अब तक बचाने की भावनात्मक समाचार आ रहे हैं।
  2. sanjay jha
    लीजिये साहब ‘इस त्रासदी’ की जिम्मेवारी हम्मै ले लेते हैं ………
    प्रणाम.
  3. देवेन्द्र बेचैन आत्मा
    बढ़िया है।
  4. arvind mishra
    लिख तो आप सहिये लिख रहे हैं मगर इस समय कुछ सुझा नहिये रहा है -इतने लोग मरे और कितने ही जीवन और मौत से जूझ रहे हैं ! दिमाग कुंद है ….यिहीं खातिर ई व्यंगवा सुझाते नईखे !
    arvind mishra की हालिया प्रविष्टी..काश कोई कृष्ण आज भी होता!
  5. Dr. Monica Sharrma
    क्या कहें ..? दुखद घड़ी है हम सबके लिए
    Dr. Monica Sharrma की हालिया प्रविष्टी..शब्दों का साथ खोजते विचार
  6. Vibha Rani Shrivastava
    सच्चाई ब्यान करती अभिव्यक्ति पर क्या कहूँ
  7. Yashwant Mathur
    आपने लिखा….हमने पढ़ा
    और लोग भी पढ़ें;
    इसलिए आज 27/06/2013 को आपकी पोस्ट का लिंक है http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    आप भी देख लीजिए एक नज़र ….
    धन्यवाद!
  8. : फ़ुरसतिया-पुराने लेख
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