Friday, January 31, 2014

सूरज भाई हंसते-हंसते लोटपोट हो गये



#‎सूरज‬ भाई पेड़ के पत्तों के परदों की ओट से झांक रहे हैं। पत्तों के बीच से निकलती धूप किसी बच्ची की मुस्कान सी खिली हुई है। दरवाजा खुलते धम्म से फ़र्श और मेज पर जमकर बैठ गये। मुस्कराते हुये चाय के थरमस के ऊपर कब्जा कर लिया। हम दोनों चाय की चुस्कियां ले रहे हैं। मार्निग गुड है !

हमने ‪#‎सूरज‬ भाई को सब्सिडी वाले तीन सिलिन्डर बढने की बात बताई तो वे बड़ी देर तक हंसते रहे। पूरे कमरे में फ़ैली धूप से लग रहा है #सूरज भाई हंसते-हंसते लोटपोट हो गये हैं। धूप चटक और खुशनुमा होती गयी।

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