आज चुनाव शुरु हो रहे हैं। महीनों के हल्ले के बाद आज बटन दबना शुरू होगा।
चुनाव प्रचार के दौरान बडी बमचक मची रही। एक से एक खलीफ़ा, माफ़िया, दागी, बागी चुनाव में खड़े हुये हैं। गुंडे, मवाली विनम्रता की मूर्ति बने याचक सरीखे निरीह जनता से वोट मांग रहे हैं। जनता उनकी विनम्रता और कल्याण भाव देखकर भौंचक्की है। सोच रही है कि हे भगवान इनको हो क्या गया है? हर चीज छीनकर हासिल करने वाले मंगतों की तरह क्यों हो रहे हैं। ढलुआ लोहे सरीखे कठोर और खुरदुरे लोग रबड के बबुबा बने दोहरे कैसे दिख रहे हैं। भ्रष्ट नेताओं की तो बातै छोडिये। भ्रष्टाचार तो राजनीति का प्राणतत्व है। राजनीति से भ्रष्टाचार गया तो वो बेरंगी हो जायेगी। वेंटीलेटर पर आ जायेगी।
एक दिन ऐसे ही मैं सोच रहा था कि अपने यहां के नेता इतने ’डिफ़ाल्टर टाइप’ के क्यों होते हैं। याद आया कि इन सबकी सप्लाई तो भगवानजी के यहां से होती है। अपने यहां इत्ते भगवान है। जनता की सुविधा के लिये भगवान ने जगह-जगह अपनी एजेन्सी खोल ली है। सबके घर के पास प्रसाद ग्रहण की व्यवस्था कर रखी है। हर मोड़ पर किसी न किसी भगवान का दफ़्तर खुला हुआ है। सड़क भले न हो कहीं लेकिन हर सौ कदम पर एक चकाचक मंदिर है। हर चौराहे, नुक्कड़, मोड़ पर देवस्थान है।
भगवान ने प्रसाद ग्रहण करने की व्यवस्था भले ही चुस्त चौकस कर रखी हो लेकिन सर्विस कंडीशन भारतीय कंपनियों सरीखी ही चौपट है। भक्तजन प्रसाद चढाते हैं इस आशा में कि भगवान जी उनका ख्याल रखेगे लेकिन ऐसा होता नहीं है।
भगवान की सर्विस कंडीशन इसी बात से ही समझी जा सकती है कि देश सेवा के लिये जित्ते भी नेता उनके यहां से आते हैं उनमें से ज्यादातर ’डिफ़ाल्टर टाइप’ होते हैं। सब दागी माल खपाते दिखते हैं भगवान जी यहां। लगता है भगवान जी जनता के भले के लिये अच्छे नेता भेजने की बजाय राजनीतिक पार्टियों की तरह ज्यादा चंदा और चढावा चढाने वालों को नेता बनाकर भेज देते हैं। लगता है स्वर्ग लोक में भी जमीनी देवताओं की पूछ नहीं है। जनता से कटे , निठल्ले देवताओं का स्वर्ग के हाईकमान पर कब्जा है।
’डिफ़ाल्टर टाइप नेता’ भेजने के पीछे भगवान का बिजनेस प्लान समझ में आता है। उनको पता है कि अगर अच्छे नेता भेजेंगे वे तो जनता की परेशानियां हल हो जायेंगी। फ़िर जनता कम परेशान होगी। खुशहाल हो जायेगी। तब फ़िर जनता अपनी परेशानियों से निजात के लिये भगवान के पास आना कम कर देगी। इससे चढावा कम होगा। भगवान की आमदनी कमी होगी।
इसीलिये भगवान जानबूझ कर अपने यहां’डिफ़ाल्टर टाइप’नेता सप्लाई करता है ताकि देश को उनकी जरूरत हमेशा बनी रहे।उनकी दुकान चलती रहे। चढावे में कमी न आये।
जब से यह बात समझ में आई है तबसे लग रहा है कन्ज्यूमर फ़ोरम में केस ठोंक दें भगवान के खिलाफ़ कि इत्ता चढावा मिलने के बाद भी भगवान जी देश में इत्ते घटिया नेता सप्लाई करते हैं। जहां एक बार केस ठुका भगवान के होश उड़ जायेंगे। तब शायद वे अच्छी गुणवत्ता वाले नेता सप्लाई करने लगें अपने यहां। इससे देश के हालत सुधर सकेंगे शायद।
हम भगवान की खराब सर्विस कंडीशन के खिलाफ़ अपील की दरख्वास्त लिये कन्ज्यूमर फ़ोरम पहुंचे तो पता चला कि दफ़्तर का बाबू बगल के मंदिर में घंटा बजाने गया है। बिना भगवान का दर्शन किये वह अपना काम शुरु नहीं करता।
अब जब कन्ज्यूमर फ़ोरम तक में भगवान के भक्तों का कब्जा है तो आपै बताइये अपनी शिकायत कहां दर्ज करायें?
चुनाव प्रचार के दौरान बडी बमचक मची रही। एक से एक खलीफ़ा, माफ़िया, दागी, बागी चुनाव में खड़े हुये हैं। गुंडे, मवाली विनम्रता की मूर्ति बने याचक सरीखे निरीह जनता से वोट मांग रहे हैं। जनता उनकी विनम्रता और कल्याण भाव देखकर भौंचक्की है। सोच रही है कि हे भगवान इनको हो क्या गया है? हर चीज छीनकर हासिल करने वाले मंगतों की तरह क्यों हो रहे हैं। ढलुआ लोहे सरीखे कठोर और खुरदुरे लोग रबड के बबुबा बने दोहरे कैसे दिख रहे हैं। भ्रष्ट नेताओं की तो बातै छोडिये। भ्रष्टाचार तो राजनीति का प्राणतत्व है। राजनीति से भ्रष्टाचार गया तो वो बेरंगी हो जायेगी। वेंटीलेटर पर आ जायेगी।
एक दिन ऐसे ही मैं सोच रहा था कि अपने यहां के नेता इतने ’डिफ़ाल्टर टाइप’ के क्यों होते हैं। याद आया कि इन सबकी सप्लाई तो भगवानजी के यहां से होती है। अपने यहां इत्ते भगवान है। जनता की सुविधा के लिये भगवान ने जगह-जगह अपनी एजेन्सी खोल ली है। सबके घर के पास प्रसाद ग्रहण की व्यवस्था कर रखी है। हर मोड़ पर किसी न किसी भगवान का दफ़्तर खुला हुआ है। सड़क भले न हो कहीं लेकिन हर सौ कदम पर एक चकाचक मंदिर है। हर चौराहे, नुक्कड़, मोड़ पर देवस्थान है।
भगवान ने प्रसाद ग्रहण करने की व्यवस्था भले ही चुस्त चौकस कर रखी हो लेकिन सर्विस कंडीशन भारतीय कंपनियों सरीखी ही चौपट है। भक्तजन प्रसाद चढाते हैं इस आशा में कि भगवान जी उनका ख्याल रखेगे लेकिन ऐसा होता नहीं है।
भगवान की सर्विस कंडीशन इसी बात से ही समझी जा सकती है कि देश सेवा के लिये जित्ते भी नेता उनके यहां से आते हैं उनमें से ज्यादातर ’डिफ़ाल्टर टाइप’ होते हैं। सब दागी माल खपाते दिखते हैं भगवान जी यहां। लगता है भगवान जी जनता के भले के लिये अच्छे नेता भेजने की बजाय राजनीतिक पार्टियों की तरह ज्यादा चंदा और चढावा चढाने वालों को नेता बनाकर भेज देते हैं। लगता है स्वर्ग लोक में भी जमीनी देवताओं की पूछ नहीं है। जनता से कटे , निठल्ले देवताओं का स्वर्ग के हाईकमान पर कब्जा है।
’डिफ़ाल्टर टाइप नेता’ भेजने के पीछे भगवान का बिजनेस प्लान समझ में आता है। उनको पता है कि अगर अच्छे नेता भेजेंगे वे तो जनता की परेशानियां हल हो जायेंगी। फ़िर जनता कम परेशान होगी। खुशहाल हो जायेगी। तब फ़िर जनता अपनी परेशानियों से निजात के लिये भगवान के पास आना कम कर देगी। इससे चढावा कम होगा। भगवान की आमदनी कमी होगी।
इसीलिये भगवान जानबूझ कर अपने यहां’डिफ़ाल्टर टाइप’नेता सप्लाई करता है ताकि देश को उनकी जरूरत हमेशा बनी रहे।उनकी दुकान चलती रहे। चढावे में कमी न आये।
जब से यह बात समझ में आई है तबसे लग रहा है कन्ज्यूमर फ़ोरम में केस ठोंक दें भगवान के खिलाफ़ कि इत्ता चढावा मिलने के बाद भी भगवान जी देश में इत्ते घटिया नेता सप्लाई करते हैं। जहां एक बार केस ठुका भगवान के होश उड़ जायेंगे। तब शायद वे अच्छी गुणवत्ता वाले नेता सप्लाई करने लगें अपने यहां। इससे देश के हालत सुधर सकेंगे शायद।
हम भगवान की खराब सर्विस कंडीशन के खिलाफ़ अपील की दरख्वास्त लिये कन्ज्यूमर फ़ोरम पहुंचे तो पता चला कि दफ़्तर का बाबू बगल के मंदिर में घंटा बजाने गया है। बिना भगवान का दर्शन किये वह अपना काम शुरु नहीं करता।
अब जब कन्ज्यूमर फ़ोरम तक में भगवान के भक्तों का कब्जा है तो आपै बताइये अपनी शिकायत कहां दर्ज करायें?
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