यदि होता चिरकुट नरेश मै, इस चुनाव में लड़ता,
कारपोरेट का जहाज होता, उड़ता-इतराता फ़िरता।
चमचे जन गुण गाते रहते,सोशल मीडिया पर मेरे,
प्रतिदिन चैनल चर्चा होती, सन्ध्या और सबेरे।
मेरे संग ठहलते गुंडे, धनी जन फ़ोनियाते हर पल,
हर सर्वे में आगे दिखते, कुर्सी नियराती प्रतिक्षण।
यदि होता चिरकुट नरेश मैं, कपड़े रोज बदलकर,
टोपी, पगड़ी, कुर्ता, धोती, मफ़लर से सजधर कर।
बांध झूठ के रोज पुलन्दे, हेलीकाप्टर पर चढ जाता,
नाटक, धमकी, विनती करके, सभा-सभा चिल्लाता।
भक्त लगाते जाम शहर में ,होती भगदड़ भारी,
रुक जाते पथ , झींकती झल्लाती जनता बेचारी।
जय चिरकुट नरेश की जय हो, के नारे लग जाते,
हर्षित होकर मुझ पर चमचे, लोग फूल बरसाते।
बुद्दिजीवियों से बहस कराता, सब मुझे बताते सच्चा,
जो कोई कुछ कमी बताता, उनको भक्त चबाते कच्चा।
सभी दलों की पोल खोलता, सबको महाभ्रष्ट बतलाता,
अपना कोई पकड़ा जाता,कहता अपना न इससे नाता।
सभी दलों का फ़्रंट बनाता,कहता साथी हाथ बढाओ,
खंडित जनादेश आना है, झट अपनी सरकार बनाओ।
भ्रष्टाचार के जलवे सा, मेरा रथ आगे बढ़ता जाता,
बड़ी ऐंठ से अपना अंधड़, निरख-निरख सुख पाता।
रोज बयानों की बारिश से, जनता को भावुक करता,
झूठ मिलाता, नाटक करता, मजबूरन सुनती जनता।
त्याग नुमाइश अपनी करता, कहता अब कुर्सी लाओ,
अगर चाहते भला देश का, हमको पीएम बनवाओ।
निज-ईमान का डंका पीटता, बजाता देशभक्ति का घंटा,
सब विरोधियों को बिका बजाता, करता झगड़ा- टंटा।
वंशवाद पर हमला करता, बच्चों को चुनाव लड़वाता,
देश सेवा इनका भी हक है, कह उनको लिफ़्ट कराता।
विरोधियों पर हमले करता, उनकी कमियां गिनवाता,
अपने ऊपर आरोपों को, साजिश विरोधियों की बतलाता।
चुनाव में विजयी होता,कहता जनता ने जीत दिलाई,
हार कहीं यदि होती कहता,विपक्ष ने धांधली करवाई।
यदि होता चिरकुट नरेश मै, इस चुनाव में लड़ता,
कारपोरेट का जहाज होता, उड़ता-इतराता फ़िरता।
-कट्टा कानपुरी
कारपोरेट का जहाज होता, उड़ता-इतराता फ़िरता।
चमचे जन गुण गाते रहते,सोशल मीडिया पर मेरे,
प्रतिदिन चैनल चर्चा होती, सन्ध्या और सबेरे।
मेरे संग ठहलते गुंडे, धनी जन फ़ोनियाते हर पल,
हर सर्वे में आगे दिखते, कुर्सी नियराती प्रतिक्षण।
यदि होता चिरकुट नरेश मैं, कपड़े रोज बदलकर,
टोपी, पगड़ी, कुर्ता, धोती, मफ़लर से सजधर कर।
बांध झूठ के रोज पुलन्दे, हेलीकाप्टर पर चढ जाता,
नाटक, धमकी, विनती करके, सभा-सभा चिल्लाता।
भक्त लगाते जाम शहर में ,होती भगदड़ भारी,
रुक जाते पथ , झींकती झल्लाती जनता बेचारी।
जय चिरकुट नरेश की जय हो, के नारे लग जाते,
हर्षित होकर मुझ पर चमचे, लोग फूल बरसाते।
बुद्दिजीवियों से बहस कराता, सब मुझे बताते सच्चा,
जो कोई कुछ कमी बताता, उनको भक्त चबाते कच्चा।
सभी दलों की पोल खोलता, सबको महाभ्रष्ट बतलाता,
अपना कोई पकड़ा जाता,कहता अपना न इससे नाता।
सभी दलों का फ़्रंट बनाता,कहता साथी हाथ बढाओ,
खंडित जनादेश आना है, झट अपनी सरकार बनाओ।
भ्रष्टाचार के जलवे सा, मेरा रथ आगे बढ़ता जाता,
बड़ी ऐंठ से अपना अंधड़, निरख-निरख सुख पाता।
रोज बयानों की बारिश से, जनता को भावुक करता,
झूठ मिलाता, नाटक करता, मजबूरन सुनती जनता।
त्याग नुमाइश अपनी करता, कहता अब कुर्सी लाओ,
अगर चाहते भला देश का, हमको पीएम बनवाओ।
निज-ईमान का डंका पीटता, बजाता देशभक्ति का घंटा,
सब विरोधियों को बिका बजाता, करता झगड़ा- टंटा।
वंशवाद पर हमला करता, बच्चों को चुनाव लड़वाता,
देश सेवा इनका भी हक है, कह उनको लिफ़्ट कराता।
विरोधियों पर हमले करता, उनकी कमियां गिनवाता,
अपने ऊपर आरोपों को, साजिश विरोधियों की बतलाता।
चुनाव में विजयी होता,कहता जनता ने जीत दिलाई,
हार कहीं यदि होती कहता,विपक्ष ने धांधली करवाई।
यदि होता चिरकुट नरेश मै, इस चुनाव में लड़ता,
कारपोरेट का जहाज होता, उड़ता-इतराता फ़िरता।
-कट्टा कानपुरी
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