Wednesday, August 20, 2014

....और ये फ़ुरसतिया के दस साल


फ़ूल 


और ये मजाक-मजाक में दस साल हो गये ब्लॉगिग करते हुये।

दस साल पहले रवि रतलामी का अभिव्यक्ति पत्रिका में छपा लेख -अभिव्यक्ति का नया माध्यम:ब्लॉग पढकर जो अभिव्यक्त करना शुरु हुये तो सिलसिला आज तक जारी है। कभी इस्पीड में तो कभी हौले-हौले। नौ शब्दों की टुइय़ां अभिव्यक्ति से शुरु करके बीहड़ लम्बाई वाली पोस्टों लिखीं। अब लगता है कि शुरुआती दौर के ब्लॉगर बेचारे बड़े शरीफ़ टाइप थे। लम्बे लेख पढ लेते। बेसिर-पैर की बातों में अपने काम की बात तलाश कर खुश हो लेते। अब लगता है कि उनके साथ अजाने में कित्ता तो अन्याय हुआ।

शुरुआती दौर के लोगों में से रवि रतलामी को छोडकर अब अधिकतर ब्लॉगर शान्त हो गये हैं। रमन कौल के लेख अलबत्ता चमकते रहते हैं कभी-कभी। देबाशीष, पंकज नरुला, जीतेन्द्र चौधरी, अतुल अरोरा, ई-स्वामी, आलोक कुमार जो कभी नियमित हलचल मचाये रहते थे, सब लगता है नून-तेल-लकडी के लफ़डे में फ़ंस गये।

ई-स्वामी ने हमारे लेखन से तथाकथित रूप से प्रभावित होक़र हमारे लिखने की व्यवस्था हिन्दिनी में की। कोई भी नई थीम लगाते तो घंटो फ़ोन पर ट्यूटोरियल चलता। ब्लॉग को खोलते ही बायें कोने पर तितली दिखती अपने पंख फ़ड़फ़ड़ाती हुई तो लगता कि यह अपन की रंग-बिरंगी अभिव्यक्ति है।

पिछले कई महीनों से हिन्दिनी पर कोई वायरस अड्डा जमाये है। बकौन स्वामीजी तीन बार अर्थी उठ चुकी है हिन्दिनी की। किसी ने साइट हैक की है।  पुराने लेख दिखते नहीं।  किसी भारतीय की ही मोहब्बत है। हमारे लेखन से उसका इतना लगाव है कि वह अपने और हमारे अलावा किसी को मेरे लेख देखने नहीं देना चाहता। वो दोहा है न:
नैना अंतर आव तू मैं ज्यों ही नैन झपेऊं,
न मैं देखूं और को, न तुझ देखन देऊं।
बहरहाल अब फ़िलहाल जब तक साइट ठीक होती है तब तक अपन इसी फ़ोकटिया अड्डे पर अभिव्यक्त होते रहेंगे। ’लौट के ब्लॉगर ब्लॉगस्पॉट पर आये’ टाइप मामला। अपने सारे लेख धीरे-धीरे यहीं पर ला रहे हैं। कोशिश है कि इस महीने के आखिरी तक सब माल यहां  लाकर पटक दें।

दस साल पहले जब ब्लॉगिंग शुरु की थी तब इतने सारे औजार नहीं थी। तख्ती पर लिखकर कट-पेस्ट करते थे। विन्डोस 98 था उस समय। टिप्पणियां भी कट-पेस्ट करके सटाते थे। ई-स्वामी ने ’हग टूल’ के जरिये अपने सीधे टिप्पणी का जुगाड़ टूल बनाया। तमाम लोग, जिनको हिन्दी टाइपिंग के टूल की जानकारी नहीं थी, हिन्दिनी के कमेंट बॉक्स का उपयोग हिन्दिनी टाइपिंग के लिये करते रहे।

ब्लॉगिंग के दस साल के अनुभव मजेदार रहे। आज नेट पर जितनी भी हिन्दी दिखती है उसका बड़ा श्रेय हिन्दी की शुरुआती ब्लॉगिंग को भी है। जब बड़े-बडे अखबार आगरा, मथुरा, झुलरी तलैया फ़ॉंट में नेट पर हिन्दी लिख रहे थे उस समय  ब्लॉगर यूनीकोड में टाइपिंग कर रहे थे।

अपने लिखे को लेकर मुझे कभी कोई मुगालता नहीं रहा। तारीफ़ और खिंचाई के मामले में कभी कमी नहीं की दोस्तों ने। लोगों ने सबसे उम्दा भी कहा तो यह भी कि अब चुक गये फ़ुरसतिया। दोनों पाटों के बीच दस साल मजे से तैरती रही अपन की ’ब्लॉग नौका’

इस बीच व्यस्तताओं और फ़ेसबुक पर लिखने के चलते ब्लॉग पर लिखना कम हुआ। फ़ेसबुक पर अभिव्यक्ति सहज है। चलते-फ़िरते दो लाइन लिख दो और फ़ूट लो। फ़िर आओ टिपिया दो। लाइक कर दो। फ़ोटो ली सटा दी। फ़ास्ट फ़ूड टाइप का तुरंता लेखन। लेकिन लिखने का असल मजा ब्लॉगिंग में ही है। तसल्ली से लिखने का मजा ही कुछ और है।

जबलपुर में रहते हुये सूरज और पुलिया पर तमाम पोस्टें लिखीं। उन सबको भी धीरे-धीरे ब्लॉग में डाल देंगे। पुलिया पर नित नये लोग मिलते हैं। उनसे बतियाना अपने में मजेदार है। लगता है कि हर एक आदमी अपने में  एक कहानी है।

देखते-देखते यह लैपटाप भी दस साल के करीब पुराना हो गया जिससे अपन इतने सालों लिखने-पढने का काम करते रहे। बूढा लैपटाप कभी-कभी बीमार हो जाता है। एकाध कुंजियां भी इसकी गायब हो गयी हैं। पिछले दिनों सतीश सक्सेना और संतोष त्रिवेदी कह रहे थे कि इसको बदल डालो। लेकिन यह चल रहा है सो बदलने का मन नहीं करता।

आज ब्लॉगिंग के सफ़र के दस  साल पूरे होने के मौके पर अपने तमाम पाठकों को धन्यवाद देते है कि वे समय निकालकर हमको पढते-झेलते रहे और झक मारकर हौसलाआफ़जाई करते रहे।  :)
 


सूचना:1.   एक , दो , तीन , चार , पांच , छह , सात , आठ साल और नौ साल के पूरे होने के किस्से।
2. फ़ुरसतिया के पुराने लेख

21 comments:

  1. बधाई। ये रौनक बनी रहे।

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  2. हिन्दी ब्लॉगिंग में एक दशक लम्बी यात्रा पूर्ण होने पर हार्दिक बधाई सर।
    अगर आपको मजाक मजाक में दस साल हो गये ब्लॉग्गिंग करते हुए, तो मैं भी चाहता हूँ कि ऐसा मजाक मेरे साथ भी हो। सादर।।

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  3. बधाई!
    आप यूं ही अगर लिखते रहे ,देखिऎ एक दशक और पूरा हो जाएगा।

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  4. ब्लॉगिंग जैसे कार्य में एक दशक का समय व्यतीत करना बहुत बड़ी बात है। आपको ढेर सारी शुभकामनाएँ एवं बधाई

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  5. हियाँ आप Like बटन काहे ना सटाए सर जी? बहरहाल आपको बधाई। :)

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    1. अरे वही वरिष्ठ और गरिष्ठ ब्लॉगर होने की :)

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  6. दशकीय बधाईयाँ!!

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  7. बहुत बहुत बधाई ...

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  8. फोन से टाइप कर रहे हैं। देखते हैं छपता है या नहीं। आपको ढेर सारी बधाइयाँ और धन्यवाद भी, ब्लॉग क्षेत्र में डटे रहने के लिए :)

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  9. हार्दिक बधाई सर!
    रोचक पोस्ट्स का आपका सिलसिला हमेशा बिना रुके चलता रहे यही कामना है।

    सादर

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  10. hum aapke 'majak' ko hamesha 'gambhirta' se lete hain....


    pranam.

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  11. कल 22/अगस्त/2014 को आपकी पोस्ट का लिंक होगा http://nayi-purani-halchal.blogspot.in पर
    धन्यवाद !

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  12. बहुत बहुत बधाई ।

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  13. ब्लाग जगत के सिपाही को सलाम और दशक पर लाखों बधाइयाँ !

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  14. dashak par khoob badhaayi....blog par chaaye rahne ko shubhkamnaayein

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  15. ब्लॉग जगत में दस साल पूरे करने के लिए हार्दिक बधाई।

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  16. हार्दिक बधाई। आपका लिखा (लम्बाई) देखकर हम लोग भी हिम्मत करते थे लिखने की। अब आप ही फेसबुक वगैरह पर चार-पाँच लाइनों पर आ गये तो हमारी क्या गिनती है। :)

    वैसे बात सही है। फेसबुक के कारण अब ब्लॉग लिखने में आलस होता है। पर लिखने का असली मजा तो ब्लॉग में ही था। अब भी जब कोई काम की बात लिखने का मन होता है तो ब्लॉग का ही रुख करते हैं।

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  17. बहुत बहुत बधाई हो अनूप जी । पुलिया की सारी पोस्टें पढ़ी जा रही हैं । और ये बात बिलकुल सही कही : तसल्ली से लिखने का अपना अलग ही मजा है । :) :) :)

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