आज
सुबह सर्वहारा पुलिया पर मुख्तार अब्बास मिले। पुलिया पर दायीं तरफ़ वाले।
मूलत: उत्तर प्रदेश मिर्जापुर जिले के अब्बास भाई पिछले चालीस साल से
जबलपुर में टिके हैं। ठेले पर कालीन, पांवपोंछा लादे कालोनी में बेचने के
लिये जा रहे थे। बताइन कि भदोही से लाते
हैं कालीन और पांवपोंछा और यहां बेचते हैं। आजकल धंधा मंदा है। तीन-चार
महीने बाद अच्छी बिक्री होगी। बताने लगे कि भदोही पहले कस्बा था लेकिन
मुलायमसिंह ने जिला बना दिया। अब इस बात पर बहस नुमा होने लगी कि शहर भदोही
और अन्य जिले मायावती जी के शासन काल में बने या मुलायम सरकार में। लेकिन
अब यह सोच रहा हूं कि अब्बास भाई ने अखिलेश सिंह की सरकार क्यों नहीं कहा?
क्या आम आदमी की नजर में उत्तर प्रदेश की सरकार मुलायम सरकार ही है!
हमारे सवाल जबाब से उकता कर अब्बास भाई ने ठेला आगे ठेला और चलते-चलते पूछा- कुछ लेना हो तो बताओ! हमने कहा न भाई हम तो ऐसे ही ठेलुहई कर रहे है! अब्बास भाई मुस्कराते हुये चले गये अपनी बोहनी करने। हम भी दफ़्तर के लिये प्रयाण कर गये।
हमारे सवाल जबाब से उकता कर अब्बास भाई ने ठेला आगे ठेला और चलते-चलते पूछा- कुछ लेना हो तो बताओ! हमने कहा न भाई हम तो ऐसे ही ठेलुहई कर रहे है! अब्बास भाई मुस्कराते हुये चले गये अपनी बोहनी करने। हम भी दफ़्तर के लिये प्रयाण कर गये।
- Kajal Kumar ऐसा लगता है कि शायद आपने वहां Time lapse Camera स्थायी रूप से लगा रखा है ठीक वैसे ही जैसे शिकारी जंगल में लगा आते हैं जो कोई भी हलचल होने पर फ़ोटो खींच लेता है
- Suresh Chiplunkar "...हम तो ऐसे ही ठेलुहई कर रहे है!..." - ये करते-करते ही आपने सोशल मीडिया पर दस साल निकाल दिए... अदभुत!!!
- Kiran Dixit Serv hara pulliya me ak bat acchi hai ki sabhi dhermo ko sam bhav se dekhti hai.Ak galti Anoop ji ne Abbas ji ke sath ki unki bohni kare bagair hi unhey jane diya.
- अनूप शुक्ल दफ़्तर आते-जाते कोई न कोई राहगीर सुस्ताता मिल ही जाता है पुलिया पर। किसी कैमरे को लगाने की जरूरत न है पुलिया पर ! Kajal Kumar
- अनूप शुक्ल लोग जिन्दगी गुजार देते हैं मजाक-मजाक में! अपने के तो दसई साल हुये इधर! एक कविता ठेली थी बीस साल पहले:
"आंसू, जिल्लत, गम न जाने क्या-क्या पी गये,
मजाक ही मजाक में हम जिन्दगी जी गये।" Suresh Chiplunkar - Kajal Kumar हमारे दूर के एक रिश्तेदार हैं 75 एक साल के होंगे, कैंसर है. साल भर पहले डाक्टरों ने हफ़्ते का समय दिया था. आज भी जीवट सुनता हूं तो स्वयं पर आश्चर्य होता है... ऐसे ही, हंस कर ज़िंदगी गुजार देने वालों को नमन.
- अनूप शुक्ल अपन का भी नारा रहता है-" दम बनी रहे, घर चूता है चूने दो।"
और "सब कुछ लुट जाने के बाद भी भविष्य बचा रहता है।" Kajal Kumar - Gautam Kumar सर जी अब्बास भाई के यहाँ से 1 कालीन खरीद के पुलिया पर बिछा देते तो दो बातें हो जाती :-
एक तो पुलिया की रौनक कुछ दिनों के लिए बढ़ जाती दूसरी अब्बास भाई की बोहनी भी हो जाती । - Rachana Tripathi उसकी बोहनी तो ना हुई मगर आपकी बोहनी तो हो गई।
अब किसी दिन पुलिया भी उकता के वहां से अचानक गायब न हो जाय - Mazhar Masood कुछ दिनों बाद पुलिया वाले जब आप को नदारद पाएँगे , तो दूसरों से कहेंगे वह पुलिया वाले बाबू क्या कानपूर चले गए
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