सुबह जबलपुर रेलवे स्टेशन पर बतियाते हुये बुजुर्ग कुली कामगार। बातचीत के जो अंश हमने सुने:
दोनों लड़के ऑटो चलाते हैं।
ऑटो निजी है कि किराए का?
निजी है। अब तो दोनों रहने का ठिकाना भी बना लिए हैं।
यह बढ़िया हुआ। बच्चे सुखी रहें और का चाहिए?
और कुछ दुःख-सुख की बातें करते हुए एक बुजुर्ग ने जेब से चुनौटी से
तम्बाकू और चूना निकाला।दोनों को हथेली में रगड़ता रहा कुछ देर तल्लीनता से।
लगा मानो अपने दुःख को रगड़कर मसल रहा हो या फिर सुख और दुःख को रगड़कर एक
कर रहा हो। कुछ देर में चैतन्य चूर्ण बन गया तो दोनों ने थोडा थोडा लेकर
दाँत के नीचे दबा लिया और आगे बतियाने लगे।
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