सुबह मेस के दोस्तों ने बताया कि पुलिया पर रामफल यादव पूछ रहे थे -"साहब हैं नहीं क्या? दिल्ली गए हैं क्या?"
दोस्तों ने उनको हमारे यहीं होने की सूचना दी तो खुश हुए।
हम आज मेस से चाय लेकर रामफल से मिलने गए। थर्मस में चाय देखकर खुश हो गए। लेकिन पियें कैसे यह सोचकर इधर-उधर देखने लगे।हमने जेब से कागज ग्लास निकाले तो खुश हो गए। बोले -"गजब हैं साहब।"
चाय पीते रामफल को मैंने 'पुलिया पर दुनिया' किताब की पांडुलिपि दिखाई। अपनी फोटो देखकर खुश हो गए।रामफल का लड़का अपने बच्चों के साथ वहां आया था। सबके साथ पुलिया पर फ़ोटो सेशन हुआ।
आज रामफल से वीडियो वार्ता भी हुई।उन्होंने बताया -"सात साल की उम्र में बाप के मरने पर घर से निकला था।सर पर कफ़न बांधकर। मुम्बई भी रहा। अमरावती। बड़ी बहन थी यहाँ उसने बुला लिया। कप-प्लेट भी धोये हैं। "
नेहरू जैसा प्रधानमन्त्री नहीं हुआ। गाँव-गाँव घुमते थे वो। इंदिरा जी ने कोई गन्दा काम नहीं किया। जंगल में फैक्ट्री लगाई। इसीलिये यहां फल बेंचकर कमाई कर लेते हैं।
जब इंदिरा गांधी को गोली लगी तो हम सतपुड़ा में फल बेंच रहे थे। गेट नम्बर 3 के पास सरदार की दूकान को आग लगा दी। गुरुग्रंथ भगवान सीवर में नाली में फेंक दिए।सब देखा हमने।
जया बच्चन के बारे में फिर बताया-"यहीं फब्बारे के पास घर था उसका। वहीं हम ठेला लगाते थे।स्कूल पढ़ने जाती थी।उसका बाप जीसीएफ में काम करता था।"
आजकल तबियत कुछ नासाज है रामफल की। बताया -"डाक्टर ने हाथ देखा,आला लगाया और दवाई दी।500 ठुक गए। कोई फायदा नहीं हुआ। फिर चयवनप्रास लाये जिसमे लड़की की फ़ोटो बनी होती है। 250 का मिलता है। एक ने कैंटीन से 160 का ला दिया। एक किलो खाएंगे तबियत दुरुस्त हो जायेगी।"
ऊँचा सुनाई देने की बात पर बोले-"बच्चियों ने बहुत इलाज करवाया। कोई फायदा नहीं हुआ। खानदानी बीमारी है।"
आज सोचा है किसी ईएनटी डाक्टर को रामफल यादव के कान दिखाए जाए। दिखाएँगे जल्द ही।
अस्सी पार के रामफल की चुस्ती देख कर लगता नहीं कि उनकी इतनी उम्र है।
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