आज
दोपहर को पुलिया के पास से होते हुए लंच के लिए कमरे पर आया तो पुलिया पर
ये झाड़-झंखाड़ रखे हुए थे। आसपास देखा तो कोई दिखा नहीं। खाना खाने आ गए मेस
में।
लंच के बाद देखा तो झाड़-झंखाड़ वैसे ही रखा था। उसी समय पुलिया के पास से सर पर लकड़ी लादे कुछ महिलायें गुजरीं। वे शायद सुबह निकली होंगी लकड़ी बीनने के लिए। दोपहर हो गयी लौटते-लौटते। आसपास खूब सारे पेड़ हैं। उनके नीचे गिरी लकड़ियाँ बीन कर ईंधन जुटाती होंगी।
कल इसी जगह पर तीन बच्चियां स्कूल से वापस जाती दिखीं थीं। एक बच्ची सडक के किनारे लगे जगंली पौधों के फूल इकट्ठा करती जा रही थी। उसके साथ की एक लडकी एक पैर से लंगडाते हुए चल रही थी। शायद उसको पोलियो रहा हो। आजकल तो पोलियो की दवा सबको पिलाते हैं। क्या पता यह बच्ची कैसे चूक गयी।
लंच के बाद देखा तो झाड़-झंखाड़ वैसे ही रखा था। उसी समय पुलिया के पास से सर पर लकड़ी लादे कुछ महिलायें गुजरीं। वे शायद सुबह निकली होंगी लकड़ी बीनने के लिए। दोपहर हो गयी लौटते-लौटते। आसपास खूब सारे पेड़ हैं। उनके नीचे गिरी लकड़ियाँ बीन कर ईंधन जुटाती होंगी।
कल इसी जगह पर तीन बच्चियां स्कूल से वापस जाती दिखीं थीं। एक बच्ची सडक के किनारे लगे जगंली पौधों के फूल इकट्ठा करती जा रही थी। उसके साथ की एक लडकी एक पैर से लंगडाते हुए चल रही थी। शायद उसको पोलियो रहा हो। आजकल तो पोलियो की दवा सबको पिलाते हैं। क्या पता यह बच्ची कैसे चूक गयी।
रात को जब वापस लौटे तो पुलिया पर सन्नाटा था। कोई बैठा नहीं था वहां। लगता है महीने के अंत में सब आराम कर रहे हों।
- Anany Shukla, Vivek Srivastava, Krishna Kumar Jain और 44 अन्य को यह पसंद है.
- प्रवीण 'सुनिये मेरी भी' मैं सोच रहा था कि आप कभी पुलिया पर बैठे अपना फोटो नहीं दिखाये, सर्वहारा पुलिया पर किसी बुर्जुआ सुन्दरी संग आपको बैठे देखने की तमन्ना है, पूरी होगी ही... आमीन ।
- Ram Kumar Chaturvedi · 4 पारस्परिक मित्रपुलिया पर सन्नाटा मत होने दें। मन नहीं लगेगा।
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