"पल भर के लिए कोई हमें प्यार कर लेयही गाना बज रहा है चाय की दूकान पर अभी।बताओ आज जब दुनिया भर में प्यार की नदियां बह रही हैं, समुद्र गरज रहे हैं ऐसे में किसी को पल झूठा प्यार भी नहीं मिल रहा है-हाऊ पिटी।
झूठा ही सही।"
सुबह मेस से चले
तो सूरज भाई दूर से दिखे।कमांडो की तरह मुस्तैद।मोड़ पर पहुंचते ही रौशनी की
बम्पर बारिश कर दी।हम अचकचा गए।इतनी रौशनी हम तो बर्दास्त कर गए।लेकिन कोई
दिन रात कृत्तिम रौशनी में रहने वाला हो तो मारे चकाचौंध के उसका तो
'उजाला फेल' हो जाए।
एक स्वस्थ भाई जी हाथ में बीड़ी छिपाए नाक से धुंआ बाहर फेंक रहे थे। दो बच्चे साइकिल पर स्कूल भागे जा रहे थे।एक बच्चा ,जो अपनी गरदन में लदी पानी की बोतल से थोडा ही बड़ा था, सड़क पर खड़ा स्कूल ऑटो का इन्तजार कर रहा था।
बस स्टॉप पर एक आदमी झाडू से साफ़ फर्श को और साफ कर रहे था।पांच लोग उसको ' निठल्ले नयन' निहार रहे थे।कमर सीधी करते हुए उस व्यक्ति ने आत्मविश्वास से इधर-उधर ताका। मुझे लगा माइक खोज रहा है और मिलते ही 'भाइयों बहनो' शुरू कर देगा। आजकल राजनीति इतनी विकसित हो गयी है कि 'भाइयों बहनों' बोलता हुआ आदमी 'माँ बहन' कहते लोगों से बड़ा खतरा लगता है।लेकिन वह शरीफ आदमी बिना कुछ कहे अपने साथियों के साथ बैठ गया।
एक पंचर बनाने वाला दूकान पर झाडू लगा रहा था।झाडू लगाने के बाद उसने दूकान के ऊपर लगी फ़टी प्लास्टिक को सीधा किया। इसके बाद वह पास के नल से पानी लेने चला गया।
इस बीच सूरज भाई साथ आ गए।हमने उनसे पूछा कि आपका संस्कृत के बारे में क्या विचार है।इसे स्कूलों में पढ़ाया जाए या नहीं? इस पर सूरज भाई बोले-"संस्कृत में हमारा हाथ ज़रा तंग है। हमको तो एक ही श्लोक आता है संस्कृत का:
वाह आज तो ऊंची बात खैंच दी सूरज भाई आपने। मेरी यह बात सुनकर सूरज भाई मुस्कराने लगे।धूप गुनगुनी हो गयी।
सुबह हो गयी।
एक स्वस्थ भाई जी हाथ में बीड़ी छिपाए नाक से धुंआ बाहर फेंक रहे थे। दो बच्चे साइकिल पर स्कूल भागे जा रहे थे।एक बच्चा ,जो अपनी गरदन में लदी पानी की बोतल से थोडा ही बड़ा था, सड़क पर खड़ा स्कूल ऑटो का इन्तजार कर रहा था।
बस स्टॉप पर एक आदमी झाडू से साफ़ फर्श को और साफ कर रहे था।पांच लोग उसको ' निठल्ले नयन' निहार रहे थे।कमर सीधी करते हुए उस व्यक्ति ने आत्मविश्वास से इधर-उधर ताका। मुझे लगा माइक खोज रहा है और मिलते ही 'भाइयों बहनो' शुरू कर देगा। आजकल राजनीति इतनी विकसित हो गयी है कि 'भाइयों बहनों' बोलता हुआ आदमी 'माँ बहन' कहते लोगों से बड़ा खतरा लगता है।लेकिन वह शरीफ आदमी बिना कुछ कहे अपने साथियों के साथ बैठ गया।
"फूल तुम्हें भेजा है ख़त मेंयह गाना बजा तो लगा कि अपने देश में बहुत पहले कृत्तिम दिल का चलन शुरू हो गया था और बच्चा-बच्चा दिल इधर-उधर करना जानता था।
फूल नहीं मेरा दिल है।"
एक पंचर बनाने वाला दूकान पर झाडू लगा रहा था।झाडू लगाने के बाद उसने दूकान के ऊपर लगी फ़टी प्लास्टिक को सीधा किया। इसके बाद वह पास के नल से पानी लेने चला गया।
इस बीच सूरज भाई साथ आ गए।हमने उनसे पूछा कि आपका संस्कृत के बारे में क्या विचार है।इसे स्कूलों में पढ़ाया जाए या नहीं? इस पर सूरज भाई बोले-"संस्कृत में हमारा हाथ ज़रा तंग है। हमको तो एक ही श्लोक आता है संस्कृत का:
अयं निज: परोवेति गणना लघुचेतसाम्(यह मेरा है वह पराया है यह गिनती छोटे लोग करते हैं।उदार चरित वालों के लिए सारी धरती ही परिवार के समान है।)
उदार चरितानाम् वसुधैव कुटुम्बकम्। "
वाह आज तो ऊंची बात खैंच दी सूरज भाई आपने। मेरी यह बात सुनकर सूरज भाई मुस्कराने लगे।धूप गुनगुनी हो गयी।
सुबह हो गयी।
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