कल राजा मिले पुलिया पर।लकड़ी ठेले पर रखकर घर लौट रहे थे कि ठेला पंक्चर हो गया।लकड़ी को पुलिया के पास उतारकर राजा की अम्मा ठेले का पंक्चर बनवाने गयीं थीं।राजा पुलिया पर उनका इन्तजार कर रहे थे।
पास के हनुमान मंदिर के पीछे चलने वाले सरकारी स्कूल में राजा कक्षा आठ में पढ़ते हैं।आज भी गए थे स्कूल।लौटकर आये तो लकड़ी इकट्ठा कराने में घर वालों का सहयोग करने निकले।लौटते में यह लफड़ा हो गया।
पुलिया के आगे फैक्ट्री के सामने ठेलिया का पंक्चर बनवाकर लौटती उनकी माँ मिलीं।
स्त्री विमर्श के हिसाब से उनकी माँ घरेलू महिला कहलाएंगी या कामकाजी औरत या मात्र आधी आबादी की एक प्रतिनिधि मात्र।
- Sk Maltare पंचर जोड़ो, आगे बढ़ो , यही जिंदगी है . पंचर का रूप , प्रारूप, स्तर अनुसार अलग अलग हो सकता है ... बड़ी बात है आगे बढ़ो ..
- Ram Kumar Chaturvedi · 4 पारस्परिक मित्रमाँ तो माँ ही कहलायेगी। चाहे जो करे। बेटे की सहूलियत ही पहला काम है।
- सलिल वर्मा जनगणना विभाग आपके स्टैटस को बहुत नज़दीकी से फ़ॉलो कर रहा है... उनका मानना है कि बन्दा फ़्री में हमारे विभाग का काम कर रहा है!!
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