शाम
को मेस से बाहर निकले तो सामने सूरज भाई दिखे। पेड़ की ओट से शर्मीले बच्चे
से झांक रहे थे। हमने नमस्ते की तो मुस्कराए और किरणों के पुल से चलते हुए
हाथ मिलाया। जाने की तैयारी कर रहे थे। आसमान ललछौंहां हो रहा था। दिन भर
की संगत का असर। जैसा सूरज वैसा आसमान।
शाम होते ही आसमान से अपने लाल रंग को सांवले और फिर काले रंग में बदलना शुरू कर दिया। उसको पता है चाँद को काला रंग पसंद है। आसमान भी एक दलबदलू निर्दलीय विधायक सरीखा है। सूरज-चाँद जिसकी भी सत्ता होती है उसके रंग में रंग जाता है।
— V.F.J, Jabalpur परशाम होते ही आसमान से अपने लाल रंग को सांवले और फिर काले रंग में बदलना शुरू कर दिया। उसको पता है चाँद को काला रंग पसंद है। आसमान भी एक दलबदलू निर्दलीय विधायक सरीखा है। सूरज-चाँद जिसकी भी सत्ता होती है उसके रंग में रंग जाता है।
एक रिक्शेवाला अपने रिक्शे पर गन्ने लादे हुए बाजार की तरफ जा रहा है।
रांझी में ग्यारस का मेला लगा हुआ है। दीवाली के ग्यारहवें दिन लगता है
मेला। इसके बाद शुभकाम शुरू हो जाते हैं। देवता उठ जाते हैं।
शाम को गयी। सूरज भाई हाथ हिलाते हुए विदा हुए। कल मिलने की बात तय हुई है।
शाम को गयी। सूरज भाई हाथ हिलाते हुए विदा हुए। कल मिलने की बात तय हुई है।
- Priyam Tiwari, Manish Joshi, Preeti Barthwal और 38 अन्य को यह पसंद है.
- ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान' निर्दलीय विधायक सरीखा आसमान। जिसकी सत्ता होगी उसी का गुलाम। शुक्ल जी जवाब नहीं आपका। जिए रहो जब तक जहान है और जब तक आसमान है। हम लोग यूं ही चोचें लड़ाते रहें।
- Kiran Dixit बहुत बढ़िया दृश्य,••• साथ में उससे अच्छा लेखन•••।सूरज भाई आते जाते हाथ मिलाना नहीं भूलते।सूरज भाई की एक बात अच्छी है जो आज के समय कम देखने को मिलती है वो उनका सम भाव से देखना । काफी दिनों बाद सूरज भाई से मुलाकात हुई !!!!
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