Sunday, November 02, 2014

निर्दलीय विधायक सरीखा आसमान

अनूप शुक्ल की फ़ोटो.शाम को मेस से बाहर निकले तो सामने सूरज भाई दिखे। पेड़ की ओट से शर्मीले बच्चे से झांक रहे थे। हमने नमस्ते की तो मुस्कराए और किरणों के पुल से चलते हुए हाथ मिलाया। जाने की तैयारी कर रहे थे। आसमान ललछौंहां हो रहा था। दिन भर की संगत का असर। जैसा सूरज वैसा आसमान।

अनूप शुक्ल की फ़ोटो.

शाम होते ही आसमान से अपने लाल रंग को सांवले और फिर काले रंग में बदलना शुरू कर दिया। उसको पता है चाँद को काला रंग पसंद है। आसमान भी एक दलबदलू निर्दलीय विधायक सरीखा है। सूरज-चाँद जिसकी भी सत्ता होती है उसके रंग में रंग जाता है।
एक रिक्शेवाला अपने रिक्शे पर गन्ने लादे हुए बाजार की तरफ जा रहा है। रांझी में ग्यारस का मेला लगा हुआ है। दीवाली के ग्यारहवें दिन लगता है मेला। इसके बाद शुभकाम शुरू हो जाते हैं। देवता उठ जाते हैं।
शाम को गयी। सूरज भाई हाथ हिलाते हुए विदा हुए। कल मिलने की बात तय हुई है।
V.F.J, Jabalpur पर

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