आज पुलिया पर सत्येंदर और रामसत मिले।सत्येंदर पुलिया पर बैठे थे। रामसत पुलिया की आड़ में नीचे शायद निपट रहे थे।
बीस साल के सत्येन्दर ने बताया कि सुबह पहले वे गेट नंबर 3 पर मॉगने जाते हैं। इसके बाद पास के हनुमान मन्दिर।सुबह से 9 बजे तक 20-25 रुपया पा चुके थे। अब आगे के लिए मंदिर जा रहे थे।आज शनिवार था सो कुछ ज्यादा मिलने की आशा है।
रामसत इस बीच ऊपर आ चुके थे।बोतल के पानी से हाथ धोते हुए बोले-"हम लोग सूरदास हैं। जो थोडा बहुत मिल जाता है उसी में गुजारा कर लेते हैं।
इस बीच छत्तीसगढ़ हाईकोर्ट
वाले तिवारी जी भी पुलिया पर नमूदार हुए।साइकिल अलग दिखी तो हमने
पूछा-"आपकी साइकिल बदली-बदली लग रही है।" इस पर उन्होंने बताया उनकी साईकिल
चोरी हो गयी।एक पुरानी साईकिल से काम चला रहे हैं।
सत्येंदर और रामसत को काम पर जाना था।हमको भी।इस तरह सुबह की पुलिया सभा विसर्जत हुई।
सत्येंदर और रामसत को काम पर जाना था।हमको भी।इस तरह सुबह की पुलिया सभा विसर्जत हुई।
- DrArvind Mishra आप भी न। एक पुलिया क्या पकड़ लिए बस।
अरे कुछ जीवंत पकड़ के दिखायिये -जड़ बिचारे को परेशान किये हैं - Kumkum Tripathi पेड़ का हाथ -पैर तो तुड़वा ही डाले ....लगता है अब पुलिया भी खुदवा कर ही मानेंगे ....!;)
- Amit Kumar Puliya Puran . Bina mangi salah . Behtareen . Hamari jeevan ki chhoti badi sabhi ghatnayein kisi ek ko kendra me rakhkar likhi ja sakti hain. Chahr wo kendra koi vyakti ho ya jad Puliya . Bahut achchha lagta hai .
- Jayprakash Manas आपकी पोस्ट जरूर देखता पढ़ता हूँ । गाँव बचा रहे । लोक बचा रहे । गाँव का मन बचा रहे । लोकमन बचा रहे । यह यथार्थ से भी परिचय कराता है शुक्ल जी । भई वाह ।
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