मोहम्मद कलीम पुलिया पर |
हुआ यह कि दो दिन पहले पुलिया पर सोते हुये कलीम मिले। साइकिल पर बक्सा, पेटी के कुंडी वगैरह रिपेयर करने का सामान लदा था। कुछ साइकिल के हैंडल पर, बाकी कैरियर की पेटी पर। कब्जा, पेटी रिपेयर का ही काम करते हैं कलीम। कभी काम मिलता है, कभी नहीं मिलता। परसों की ही कुल कमाई 100 रुपये हुई थी।
हमने ऐसे ही रायबहादुर की तरह कहा- ’ इस धन्धे में काम रोज नहीं मिलता तो कोई दूसरा काम क्यों नहीं कर लेते।’
कलीम बोले-’ काम तो करना चाहता हूं। अपना काम। लेकिन पूंजी का जुगाड़ ही नहीं हो पा रहा।’
हमने कहा -’ क्या काम करने की सोच रहे हो? कितना पैसा चाहिये उस काम में?’
उन्होंने बताया-’ हम पोल्ट्री फ़ार्म, सुअर पालने वालों के लिये दाना बनाना का काम करना चाहते हैं। 50-60 हजार लगेंगे इस काम में। काम से और लोगों को भी रोजगार मिलेगा।’
विस्तार से अपनी योजना के बारे में बताते हुये बोले कलीम-’ परियट नदी के पास सैंकडों डेयरी हैं। हजारों जानवर हैं वहां। रोज कोई न कोई मरता है। उसका गोश्त बेकार जाता है। हम उस मरे हुये जानवर के गोश्त से मुर्गियों और सुअरों के लिये दाना (चारा ) बनाने वाली मशीन बनायेंगे। इससे हम चार लोगों को रोजगार भी देंगे। हमारा बहुत दिन से सपना है यह काम करने का लेकिन पैसे के कारण पूरा नहीं हो पा रहा है।’
हमने कहा- ’ तो बैंक से पैसा लोन लेकर सपना पूरा करो न्! शुरु करो काम।’
अपना काम करने का सपना है कलीम का |
मैंने उनसे कहा -’ये जरा इनकी कुछ सहायाता कर सकते हो बैंक से लोन दिलाने में तो करो।’
उन्होंने कहा - ’हां हम पूरी कोशिश करेंगे। इसके बाद साढे तीन बजे अपने सब कागज लेकर बैंक आने की बात तय हुई कलीम और मेरे परिचित की।’
मैं फ़ैक्ट्री पहुंचा तो कुछ देर में फ़ोन आया कलीम का कि वे बैंक में इंतजार कर रहे हैं। हमने अपने परिचित को फ़ोन किया तो वे पहुंचे बैंक। इस बीच मैंने बैंक मैनेजर से लोन के बारे में जानकारी ली तो पता चला कि ’मुद्रा लोन’ मिलता है 50 हजार से 10 लाख तक। लेकिन इस साल का लक्ष्य पूरा हो गया है। अप्रैल मई में मिल सकता है अगर उनका खाता बैंक में हो।
शाम को पता चला कि लोन मिल जायेगा लेकिन उसके लिये पैन कार्ड होना जरूरी है। आधार कार्ड, वोटर आई डी है कलीम के पास। पैन कार्ड जैसे ही मिलेगा लोन मिल जायेगा। अब मैंने पैन कार्ड की जानकारी नेट से ली। अब कलीम के लिये पैन कार्ड का इंतजाम करना है।
इस बीच मैंने कलीम से पूछा कि तुम्हारा बैंक में खाता है ? बोले - है! जीरो बैलेंस वाला खाता है। हमने पूछा - किस बैंक में है? बोले - ’बैंक का नाम याद नहीं पर किताब घर में धरी है।’ हमने कहा - ’नाम देखकर बताओ।’
कुछ देर में कलीम का फ़ोन आया। बोले- ’ सटक बैंक में खाता है।’ हमने कहा - ’ये सटक बैंक कौन सी नयी खुल गयी। स्पेलिंग पढकर बताओ।’
ये है कलीम की मशीन का स्केच |
इस बीच हमने कहा -’ तुम गोश्त से दाना बनाने की मशीन कैसे बनाओगे?’
कलीम बोले-’ हम खुद बनायेंगे। हम मिस्त्री हैं। पुरानी मोटर उठा लेंगे। सब कर लेंगे। बस पैसे का जुगाड़ हो जाये।’
हमने कहा-’ अच्छा स्केच बनाकर बताना कैसे बनाओगे मशीन।’ कलीम बोले- ’दिखायेगे।’
हमने सोचा स्केच की बात कही है। एकाध दिन बाद कभी आयेंगे। लेकिन कल दोपहर लंच के बाद फ़ैक्ट्री जाते समय देखा कि कलीम भाई स्केच लिये हाजिर थे। हमको एक-एक चीज विस्तार से समझाने लगे।
हमने कहा - ’ स्केच तो मुझे नहीं पता वैसा ही है जैसा तुम मशीन बनाने की सोच रहे हो। लेकिन जितनी शिद्धत से तुम इस काम के बारे में सोच रहे तो इसको पूरा होने से कोई रोक नहीं सकता।’
कलीम बोेले-’ यह मेरा बहुत दिनों का सपना था। आपका सहयोग मिलेगा तो अब लगता है यह पूरा भी हो जायेगा। इससे लोगों को रोजगार भी मिलेगा। लोन भी मैं साल भर में चुका दूंगा।’
हमने कहा - ’तुम्हारा सपना पूरा होगा तो मुझे बहुत खुशी होेगी।’
और विस्तार से बात करने पर बताया कलीम ने कि मशीन तो 20 हजार में बन जायेगी लेकिन बाकी का हिसाब-किताब करने में, दुकान बनाने के लिये 30-40 हजार और चाहिए। दुकान नहीं होगी तो कौन आयेगा मेरे यहां से दाना खरीदने।
कल मेरी एक पोस्ट पर टिप्पणी करते हुये सलिल जी ने 'मुद्रा लोन' का जिक्र किया। उनसे और जानकारी लेकर ये लोन कलीम भाई को दिलवाने की कोशिश करेंगे। देखते हैं कितना सफ़ल होते हैं उनका सपना पूरा करने में।
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10207515572180901
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