Monday, March 28, 2016

नर नारी

होली की छुट्टियों में यह उपन्यास पढ़ा। बहुत दिन तक पढ़ना स्थगित करने के बाद। स्त्री-पुरुष सम्बन्धों को केंद्र में रखकर रोचक लिखा उपन्यास।

एक पुरुष शारीरिक रूप से अक्षम होता है पर उसकी पत्नी को बाँझ का तमगा मिलता है। एक पति अपनी पत्नी को अपने कब्जे में रखने को ही मर्दानगी मानता है। अपनी कमजोरी के लिए भी अपरोक्ष कारण पत्नी को मानता है।

मजेदार अनुभव रहा इसे पढ़ना। अब फिर से खूब पढ़ना जारी रखने का मन है।


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