ठिठुरन बैठी ठाठ से सबको रही कंपाय।
स्वेटर,मफलर मिल ठंड से पंजे रहे लड़ाय।
पवन सहायता कर रहा ठंडक की भरपूर।
करो अंगीठी गर्व तुम इसका भी अब चूर।
स्वेटर,मफलर मिल ठंड से पंजे रहे लड़ाय।
पवन सहायता कर रहा ठंडक की भरपूर।
करो अंगीठी गर्व तुम इसका भी अब चूर।
कोयला कल तक था बुरा बंद पड़ी थी ‘टाल’।
अब वो ‘कलुआ’ हो गया सबसे अहम सवाल।
गर्म चाय ठंडी हुई ज्यों ब्लागर के जोश।
गर्मी की फिर कर जुगत,बिन खोये तू होश।
गाल,टमाटर,सेब सब मचा रहे हैं धमाल।
कौन चमकता है बहुत कौन अधिक है लाल।
किरणें पहुंची खेत में लिये सुनहरा रंग।
पीली सरसों देखकर वो भी रह गईं दंग।
सूरज निकला ठाठ से ऐंठ किरण की मूंछ।
ठिठुरन सरपट फूट ली दबा के अपनी पूंछ।
-कट्टा कानपुरी
अब वो ‘कलुआ’ हो गया सबसे अहम सवाल।
गर्म चाय ठंडी हुई ज्यों ब्लागर के जोश।
गर्मी की फिर कर जुगत,बिन खोये तू होश।
गाल,टमाटर,सेब सब मचा रहे हैं धमाल।
कौन चमकता है बहुत कौन अधिक है लाल।
किरणें पहुंची खेत में लिये सुनहरा रंग।
पीली सरसों देखकर वो भी रह गईं दंग।
सूरज निकला ठाठ से ऐंठ किरण की मूंछ।
ठिठुरन सरपट फूट ली दबा के अपनी पूंछ।
-कट्टा कानपुरी
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