श्रीराम से कह देना एक बात अकेले में गाते हुये परकम्मावासी |
कल तिलवारा घाट देखने गए।इतवार था। छुट्टी । मौसम सुहाना।जाड़े में धूप निकली हो तो मौसम सुहाना ही होता है।कहते तो आशिकाना भी हैं।
नर्मदा नदी के किनारे संक्रांति का मेला लगा था।आसपास के लोग मेला देखने आये थे।हमहूँ थे।शुरुआत अपन ने खोये की जलेबी खाकर की।
मेले का दृश्य दुकाने, झूले |
तरह तरह के सामान बिक रहे थे मेला में।एक जगह सौर उर्जा से बैटरी चार्ज करने सोलर पैनल बिक रहा था।और तमाम छुटपुट सामान। झूले थे।चीनी खिलौने थे।खाने-पीने के सामान की दुकानें। सड़क किनारे दो तीन सौ मीटर की लम्बाई में मेला गुलजार था।
झटके देकर बाल सुखाता हीरो |
नदी में लोग नहा थे।कुछ लोग नहाने के बाद फ़ोटो खिंचा रहे थे।तरह-तरह के पोज देते हुए।एक लड़का पानी में भीगे हुये घुंघराले बाल सर को झटके देकर सुखा रहा था। लगा जैसे कोई सरकार झटके से भ्रष्टाचार दूर करने का प्रयास कर रही हो।लेकिन वह उसी से सटा हुआ है।
कुछ परिवार घर से लाया हुआ खाना नदी के किनारे खा रहे थे। एक छोटे बच्चे की जीन्स उतारी जा रही थी।जीन्स कसी थी।लग रहा था कि उसकी टाँगे ही खिंच जायेंगी। एक जगह भंडारा सरीखा चल रहा था।लोग खा खाकर पत्तल वहीं कोने में फेंकते जा रहे थे।
बच्चे घाट की सफ़ाई करते हुये |
इस बीच करीब 30-40 नौजवान वहां आये और नदी किनारे झाडू लगाने लगे।फ़ोटो भी खींचते जा रहे थे वे।झाडू बेडौल थीं।लगाने में दिक्कत सी हो रही थी।लेकिन बच्चे बारी बारी से सफाई कर रहे थे। झाड़ू लगाने के बाद पानी से घाट की सफाई की उन्होंने।
पूछने पर बताया बच्चों ने कि वे 'स्वच्छता अभियान' के पहले से ही सफाई अभियान चला रहे हैं। इतवार इतवार अलग अलग जगह जाकर सफाई करते हैं। अनाथाश्रम भी गए थे। वहां के बच्चों को दीपावली पर पटाखे दिए थे। हमने पता किया तो बताया कि इतवार को बन्द रहता है अनाथालय बाहर से आने वाले लोगों के लिए।
घाट के पास बच्चों द्वारा सफाई अभियान चलाते देखकर ज्ञानजी द्वारा अपने साथ कुछ लोगों को लेकर शिवकुटी के पास गंगा तट पर की गयी सफाई याद आ गयी।
घाट पर ही चार लोग भजन गाने में तल्लीन थे। ढोलक, चिमटा और ताली वाद्य। ये लोग ओंकारेश्वर से नर्मदा की परिक्रमा के लिए निकले थे। महिलाएं जबलपुर के ही पास की हैं। एक तो रांझी की( जो हमारे यहाँ से 3 किमी दूर है ) की हैं।
अपने भजन की रिकार्डिंग देखती हुयी भजनमंडली |
भजन गाते हुए पूरी तरह तल्लीन सी थी मण्डली। बोल थे-'श्रीराम से कह देना एक बात अकेले में'।भजन के बाद 'ढोलिकिया'और 'चिमटा बाबा' बीड़ी फूंकने लगे। महिला हमको भजन का मतलब समझाने लगी। हनुमान जी से सीता जी कह रहीं हैं कि ये बात श्रीराम जी से अकेले में कहना। अकेले में। किसी के सामने नहीं कहना।
भजन में भरत,दशरथ और लक्षमण का जिक्र जिस तरह आया है उससे लगता है कि यह भजन एक कोलाज है जिसमें श्रीराम के अयोध्या में न रहने पर सबकी पीड़ाओं का जिक्र है।
वीडियो दिखाया तो महिलाएं खुश होकर कहने लगीं -'खूब बढ़िया बनो है।' हमने कहा -'हां हीरोइन लग रही हो आप लोग।' वे हंसने लगी। बताया -'धुंआधार पर खूब फोटो खैंची लोगन ने।'
नर्मदा परिक्रमा के लिए क्यों निकली पूछने पर बताया महिलाओं ने-'का करें।बूढ़े हुई गए।घर में नाती पोता सब हैं। बहू भी कहती है जाओ घुमौ। बुढ़ापे में को पूछत।हम चले आये। जई जैहै साथ में।'
खाने-पीने के बारे में बताया लोग कुछ न कुछ दे देते हैं।मैया सबको देती है। नर्मदा के प्रति अगाध श्रद्धा ।
दांत के दर्द से बेहाल परकम्मावासी मंगलसिंह |
एक बाबा मिले जिनका नाम मंगल सिंह है । दाढ़ दर्द से परेशान थे। कोई दवा गर्म कर रहे थे।दूसरी बार परिक्रमा कर रहे थे। पहली बार पत्नी के साथ की थी। फिर पत्नी रहीं नहीं। इस बार अकेले कर रहे हैं। दो साल हो गये घर से निकले हुए।घर वालों से मोबाइल पर बात हो जाती है।
पहली बार और इस बार में कितना बदल गया समय और माहौल ? यह पूछने पर बोले मंगलसिंह -'बहुत बदल गया।' फिर वे अपने दर्द के बारे में बताने लगे।
सरफ़राज, अनूप शुक्ल और ज्ञानेन्द्र सिंह। फ़ोटो खैंची शरद नीखरा ने। |
जाने किसने शुरू की होगी 'नर्मदा परिक्रमा' । लेकिन जिस भी परकम्मावासी से मिला मैं उसकी नर्मदा मैया में अगाध श्रद्धा है।अद्भुत है यह भाव।
करीब दो घंटे घाट पर टहलने के बाद हम वापस चले आये भजन सुनते हुए- श्रीराम से कह देना एक बात अकेले में।
नीचे देखिये भजन की रिकार्डिंग और उसके बारे में समझाते हुये भजन गाने वाली परकम्मावासी
अत्यन्त रोचक वर्णन, मेले को साकार करते चिञ। मन ललचाने लगा है ऐसे ही किसी मेले में घूमने का।
ReplyDeleteबढ़िया है जी... मध्यप्रदेश की खूब झांकी देख रहे हैं आप
ReplyDeleteमैं तो कभी मेलों में नहीं जाता.. ना ही मंदिरों में... भीड़ से जितना संभव हो दूर रहता हूँ..... पर आपको देखकर लगता है आदत ये अच्छी नहीं....