Monday, January 26, 2015

अमेरिकी राष्ट्रपति का भारत दौरा

 

  • ओबामा का आगरा दौरा रद्द हो गया। कई कारण बताये गये। कोई तो कह रहा था कि उन्होंने कहीं पढ़ लिया कि ताजमहल बनवाने वालों के हाथ कटवा लिये गये थे। उनको डर लगा कि कहीं इतिहास अपने को दोहराते हुये न जाने क्या कर डाले! क्या पता उनका जहाज ही धरवा लिया जाये।




  • ओबामा के एक खास आदमी में बताया कि ओबामा दरअसल आगरे का पेठा खाने आना चाहते थे। ताजमहल तो एक बहाना था। जब उनको पता चला कि उनको यहां पेठा खाने की बजाय वही 5 स्टार वाला खाना खाने को मिलेगा तो उन्होंने कहा- "दुर, जब पेठा नहीं मिलना खाने को त काहे के लिये जाना आगरा- पागल हैं का?"




  • चलने से पहले अमेरिका से फोन आया था। बोले -"भाई साहब, जबलपुर आने बहुत मन है। पुलिया पर बैठकर फोटो खिंचवाने का और रामफ़ल से बतियाने की इच्छा है।"

  • हमने कहा- " अभी यहां मौसम बहुत खराब है। जहाज उतर नहीं पाते। रामफ़ल भी इतवार को इस बार फ़ैक्ट्री के पास ही ठेला लगायेंगे। पुलिया पर नहीं आयेंगे। अभी रहन देव। फ़िर कभी देखा जायेगा। "
    वो बोले -" ठीक है , भाई साहब, जैसा आप कहें।"

    "भारत में बापू के आदर्श आज भी जिन्दा हैं।" -राजघाट पर अमेरिकी राष्ट्रपति । व्याख्या: हमने दुनिया भर में इतने हथियार बेचे। चलाये। चलवाए। लेकिन भारत में बापू के आदर्शो को निपटा नहीं पाये। लेकिन हम हार नहीं मानेंगे। इनको निपटानें की कोशिश करते रहेंगे।


    ओबामा जी ने फोन करके पूछा- "भाई साहब आप बिना समुचित सुरक्षा इंतजाम के कैसे इतने मस्त रहते हैं? " हमने बताया -"हम अपना लक पहन के चलते हैं।लक्स कोजी पहनते हैं।"
    इस पर वो बोले -" हम फालतू में सुरक्षा के लिए हथियार पर इतना पैसा फूंकते हैं। हम भी लक पहन के चलने लगेंगे।पैसा बचाएंगे।"
    हमने कहा-"ऐसा करोगे तो हथियार कम्पनी के मालिक अपना राष्ट्रपति बदल देंगे।"
    वो बोले- "हाँ भाईसाहब आप बात तो सही कहते हैं।"

    "अबे ये बताओ कि ओबामा मसाला कौन सा खाता है पान पराग की कमला पसंद?" -एक सहज कनपुरिया जिज्ञासा।

    भारत और अमेरिका में परमाणु समझौता सम्पन्न हुआ। दोनों ने संयुक्त रूप से घोषित किया-"परमाणु के भीतर इलेक्ट्रान,प्रोट्रान और न्यूट्रॉन होते हैं।" सारी दुनिया इस घोषणा को मानने को मजबूर हुई।


    परमाणु समझौता सम्पन्न होते ही अमेरिकी रिएक्टर बनाने वालों ने ओबामा को एस.एम.एस. किया - "कबाड़ के अच्छे दाम मिल गए।गुड वर्क डन।"
    भारत और अमेरिका की संयुक्त प्रेस वार्ता इस संवाद के साथ शुरू हुई- "समय बिताने के लिए करना है कुछ काम
    शुरू करो अंताक्षरी लेकर हरि का नाम ।"


    प्रधानमंत्री जी ने अपनी हिंदी को किनारे करते हुए अंग्रेजी में सम्बोधन शुरू किया। भारतीय भावुक होता है तो अंग्रेजी बोलने लगता है।


    अमेरिका से दोस्ती करते समय यह ध्यान भी रखना होगा कि उसका और हमारे कानपूरिया "ठग्गू के लड्डू" का एक ही नारा है....
    "ऐसा कोई सगा नही,
    जिसको हमने ठगा नही"

    भारत और अमेरिका परमाणु समझौता उम्रदराज हो चुकी लड़की (पुरानी होती परमाणु तकनीक) और बुढौती की तरफ़ बढ़ते लड़के( कोई रिश्ते की आस में) के गठबंधन सरीखा है। रिश्ता तय होने दोनों पक्ष खुश हैं।
    "तुम हमें नयी नौकरी दो, हम तुम्हें पुराने रिएक्टर देंगे।" -अमेरिका का नारा।


    एक कानी लड़की का विवाह लड़के वालों को झांसे में डालकर सम्पन्न कराया गया।शादी होते ही लड़की वालों की ख़ुशी का ठिकाना नहीं रहा और उनमें से एक चिल्लाया- 'जग जीति लिहिस मोरी कानी'
    (हमारी कानी लड़की ने संसार पर विजय प्राप्त कर ली)
    इस पर लड़के वालों में से एक ने कहा-
    'वर ठाड़ होय तब जानी'
    (लड़का खड़ा हो जाय तब समझना--(वर लँगड़ा था) )
    टेलीविजन पर भारत अमेरिकी संबंधों पर भारतीय मीडिया का लहालोट उत्साह देखकर यह कथा याद आ गयी।



    2008 में हुआ परमाणु समझौता सुरक्षा कारणों रुका हुआ था।अब वह अड़चन दूर हो गयी और तय हुआ कि परमाणु दुर्घटना की स्थिति में बीमा की रकम भारत की बीमा कम्पनियां और भारत सरकार देगी और रही बात लोगों की जान की तो उसकी क्या कीमत? वैसे भी देश के (विकास के) लिए कुर्बान होने वालों की जान की कीमत भला कोई लगा सका है आजतक?


  • अमेरिका में न्यूक्लियर पावर प्लांट की स्थिति:
    1. अमेरिका में 100 न्यूक्लियर रिएक्टर हैं जो कि वहां की 19.40 % ऊर्जा की कमी पूरा करते हैं।
    2. वहां 1974 से कोई नया प्लांट नहीं लगा।
    3. न्यूक्लियर पावर प्लांट लगाना और उसका रखरखाव मंहगा है।
    4. बचे हुये ईंधन का सुरक्षित रखरखाव कठिन काम है।
    5. जापान में हुई नाभिकीय दुर्घटना के कारण।
    6. 2013 में चार पुराने रिएक्टर लाइसेंस अवधि के पहले ही स्थायी रूप से बंद कर दिये गये। ऐसा करने के पीछे ऊंची रिपेयर और रखरखाव की कीमत और गैस के दाम कम होने के कारण किया गया।
    7. बढ़ती आतंकवादी गतिविधियों के चलते न्यूक्लियर पावर प्लॉंट सुरक्षा की दृष्टि से बहुत संवेदनशील हैं।

  • जो देश मंहगे होने और सुरक्षा की दृष्टि से खतरनाक होने के चलते खुद अपने यहां नाभिकीय पावर प्लॉंट नहीं लगा रहा उसके साथ न्यूक्लियर पावर समझौता उल्लास का विषय है तो क्या सिर्फ़ इसलिये कि हमारे यहां लोगों की जान सस्ती है?
    स्रोत:http://en.wikipedia.org/wiki/Nuclear_power_in_the_United_States

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