रायमन कुजूर और मारिया एक्का |
हम केशरी पटेल की दूकान तक गए थे। दो दिन पहले उनके इंजिनियरिंग पास बच्चे के बारे में लिखा था तो एक मित्र ने गुड़गांव का नम्बर दिया था कि उनके पास कुछ काम मिल सकता है। दो दिन केशरी परिवार से सम्पर्क नहीं हुआ तो हम बता नहीं पाये। आज उनको बताने गए तो खोजने पर मिला नहीं। पता नहीं किधर बिला गया। अगर व्यवस्था बनती हो भाई जी नम्बर फिर से दे दें। इनबॉक्स में या कमेंट में।
लौटे तो पुलिया पर हथेली पर तंबाकू रगड़ते हुए रायमन कुजूर मिले। 506 बेस वर्कशाप से 2012 में सुपरवाइजर पद से रिटायर।
बातचीत करते हुए पता चला कि रायमन पहले ओरांव थे जो कि गोंड आदिवासी होते हैं। एक पीढ़ी पहले क्रिश्चियन हुए। हमने पूछा कि किश्चियन होने के बाद आपकी स्थिति में कितना बदलाव आया है? इस पर रायमन बोले-हम तो पैदाइशी ईसाई हैं। धर्म तो पिता ने बदला इसलिए कैसे कुछ कह सकते हैं।
हमने पूछा-लेकिन अब भी कई ओरांव लोग मिलते होंगे आपको। उनकी तुलना में आपको अपनी स्थिति कैसी लगती है?
हमें लगता है कि ईसाई बनने के बाद हम अधिक सभ्य हुए हैं-रायमन ने बताया।
बातचीत करते हुए एक महिला हाथ में लकड़ी लिए टहलते हुई आ गईं। कन्धे पर भूदानी झोला। हमें लगा कि हनुमान मन्दिर में बैठकर आ रही हैं। लेकिन फिर याद आया कि आज तो सोमवार है। आज हनुमान जी के यहां तो मामला ठनठन गोपाल रहता है।
पूछा तो पता लगा कि वो रायमन की पत्नी हैं। नाम मारिया। शादी के पहले मरिया ईक्का थीं। शादी के बाद मारिया कुजूर। झोले में सुबह की सैर के समय बीने हुए करीब किलो भर मशरूम थे। प्रकृति से फल और अन्य प्राकृतिक सामान इकट्ठा करना सहज स्वभाव है आदिवासी समाज का। धर्म कोई हो मूल स्वभाव बना रहता है।
मूलत: आदिवासी होने के कारण एस टी समुदाय को मिलने वाली सुविधाएँ ईसाई बनने के बाद भी मिलती हैं।
बहुत मंहगे बिकते हैं। 50 रूपये पाव। फ्रिज में भी खराब हो जाते हैं। इसलिए जो बचते हैं उनको बेच देते हैं।
एक बेटी है दोनों की। 30 साल की। अभी तक शादी नहीं हुई। ईसाई धर्म में लड़के वाले लड़की वालों के पास आते हैं प्रस्ताव लेकर। अभी तक कोई मामला जमा नहीं। गोंड समाज ने होते तो शायद बच्ची के बच्चे भी हो गए होते।
यह अकेली बेटी है? पूछने पर मारिया ने बताया कि एक बच्चा भी था। 1998 में 12 साल का होने के बाद नहीं रहा।भगवान ने दिया था। वापस बुला लिया।
तम्बाकू खाने को मना नहीं करती रायमन को? पूछने पर मारिया बोली-अब तो आदत हो गयी है। कभी-कभी दारु भी पी लेते हैं रायमन। लेकिन मारिया न तम्बाकू खाती हैं न और कोई नशा।
फोटो खींचकर दिखाया तो मरिया बोली-सब बाल सफेद। हमने कहा-अच्छी तो लग रही। इस पर दोनों मुस्कराने लगे।
लड़ाई होती है आप लोगों की आपस में? इस सवाल के जबाब में रायमन बोले-होती है। कभी-कभी। लेकिन बहुत कम।
जिंदगी कैसी कटी? इस सवाल के जबाब में बोले-हम खुशहाल हैं। पेंशन मिलती है 18 हजार। कोई तकलीफ नहीं। बेटी की शादी हो जाये बस। और कुछ नहीं चाहिए हमको।
उनको घर जाना था। हमको दफ्तर। दोनों लोग अपने-अपने रस्ते चल दिए।
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