Tuesday, July 28, 2015

राजू से मुलाकात

सुबह पुलिया पर ये भाई जी मिले। नाम राजू बताया। उम्र करीब 40 साल। समदड़िया के किसी होटल में रात की ड्यूटी करके लौट रहे थे। पुलिया देखी तो आरामफर्मा हो गए।

लिवर की समस्या बताई तो हमने पूछा क्या दारू ज्यादा पीते हो? बोले -नहीं। बिल्कुल नहीं पीते। हाँ कभी-कभी गुटका जरूर खा लेते हैं।

खाने बनाने का काम करने के सात हजार करीब मिलते हैं राजू को। परिवार के बारे में पूछने पर बताया कि पत्नी दो बच्चियों के साथ पिछले 5 / 6 साल से मायके चली गयी। वहीं रहती है। उसके जीजा ने कुछ जादू करा दिया तो वहीं मायके में ही रह गयी। अब उसके जीजा भी नहीं रहे फिर भी पत्नी लौटकर नहीं आई। लोग कहते हैं पत्नी को छोड़कर दूसरी शादी कर लो।

दूसरी शादी की बात बताते हुए भाईजी ने एक बार तो यह कहा कि ऐसे ही आराम से हैं। फिर यह भी बोले कि नहीं आएगी तो दूसरी शादी कर लेंगे। हमने कहा-बच्चियां और पत्नी को लाने की कोशिश तो करो तो बोले हाँ करेंगे। पहले उससे पूछेंगे। अगर आएगी तो ठीक वरना कुछ और सोचेंगे।

हमने यह भी पूछा कि कहीं तुम्हारा ही तो कोई और चक्कर नहीं जिसके चक्कर में परिवार छोड़ दिया। इस पर वो थोड़ा शरमाते हुए बोले -नहीं ऐसी कोई बात नहीं।

घर में माँ के साथ रहते हैं राजू।

हां शुरुआत की बात तो रह ही गयी। बात शुरू करते हुए हमने साइकिल में लटकी चेन देखते हुए उसके बारे में पूछा तो बोले ताला लगाकर रखना पड़ता है। हमने कहा बहुत पुरानी साईकिल है। बोले हाँ- सन 47 की साइकिल है। पिताजी लाये थे। जब इंदिरा गांधी की मौत हुई थी उस साल। हमने बताया कि इंदिरा जी तो 1984 में नहीं रहीं। फिर साईकिल 1947 की कैसे हुई। लेकिन वो अपनी साइकिल को सन 47 से आगे लाने को राजी नहीं हुए।
राजू को उनकी साईकिल से आराम करने के लिए पुलिया पर छोड़कर मैं दफ्तर चला गया।

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