अपनी
किताब ’पुलिया पर दुनिया’ मैंने पहले ई-बुक के रूप में बनाई थी। फ़िर
प्रिंट आन डिमान्ड के तरह रंगीन और ’ब्लैक एंड व्हाइट’ पेपर बैक के रूप
में भी अपलोड की। ये किताबें आर्डर करने पर प्रिंट करके भेजी जाती हैं।
रंगीन किताब फ़ोटो प्रिंट करने वाले पेपर पर छपने के कारण सबसे मंहगी हैं। अब तक केवल दो बिकी हैं। एक मैंने खरीदी है देखने के लिये कि दिखती है कैसी छपने पर। दूसरी Om Varma जी ने खरीदी अपने पिताजी के लिये। ओम जी के पिताजी 86 वर्ष की उमर के हैं। मप्र के सहायक जिला शाला निरीक्षक के पद से रिटायर हुये हैं। ओम जी के अनुसार उनके पिताजी लैपटाप पर मेरी पोस्टें पढते/देखते रहते हैं। मेरी किताब छपी तो उन्होंने इच्छा जाहिर की कि उनके लिये ’पुलिया पर दुनिया’ की प्रिंटेट प्रति ही खरीद कर मंगाई जाये जिससे वे अपने मन से जब चाहें पढ सकें।
ओम वर्मा जी ने बताया कि उनके पिताजी ने उनसे किताब के बारे में अपनी राय बताई और उसे मुझे लिख भेजा जाये तो ओम जी ने उनसे लिखकर आग्रह किया कि (सुनने की क्षमता बहुत कम है ओम जी के पिताजी जी की) वे अपने हाथ से अपनी प्रतिक्रिया लिखें जिसे वे मुझे भेज देंगे।
आज ओम जी ने अपने पिताजी आदरणीय बाबूलाल भागीरथ वर्मा जी मेरी किताब ’पुलिया पर दुनिया’ पर प्रतिक्रिया और अपना स्नेह मुझे प्रेषित किया है। प्रतिक्रिया आप फ़ोटो में देख सकते हैं। मैं ओम जी का आभारी हूं जो उनके माध्यम से उनके आदरणीय पिताजी का आशीष मुझ तक पहुंचा। मैंने ओम जी से वायदा किया है कि अपने लेख के प्रिंट आउट उनके पिताजी के पढ़ने के लिये भेजता रहूंगा।
आज कुछ मित्रों ने बताया कि उन्होंने मेरी किताब फ़्लिपकार्ट से खरीदी। उनका आभार। लेकिन साथियों की जानकारी के लिये बताना चाहता हूं कि किताब अगर आनलाइन.गाथा या फ़िर पोथी.काम से लेंगे तो सस्ती पडेंगी।
किताबों के लिंक एक बार फ़िर से:
1. ई-बुक और ब्लैक एंड व्हाइट पेपर बैक:
http:// www.bookstore.onlinegatha.c om/author/143/ पुलिया-पर-दुनिया-.html
2. रंगीन पेपर बैक:
https://pothi.com/pothi/ book/ अनूप-शुक्ल-पुलिया-पर-दुनिया -0
रंगीन किताब फ़ोटो प्रिंट करने वाले पेपर पर छपने के कारण सबसे मंहगी हैं। अब तक केवल दो बिकी हैं। एक मैंने खरीदी है देखने के लिये कि दिखती है कैसी छपने पर। दूसरी Om Varma जी ने खरीदी अपने पिताजी के लिये। ओम जी के पिताजी 86 वर्ष की उमर के हैं। मप्र के सहायक जिला शाला निरीक्षक के पद से रिटायर हुये हैं। ओम जी के अनुसार उनके पिताजी लैपटाप पर मेरी पोस्टें पढते/देखते रहते हैं। मेरी किताब छपी तो उन्होंने इच्छा जाहिर की कि उनके लिये ’पुलिया पर दुनिया’ की प्रिंटेट प्रति ही खरीद कर मंगाई जाये जिससे वे अपने मन से जब चाहें पढ सकें।
ओम वर्मा जी ने बताया कि उनके पिताजी ने उनसे किताब के बारे में अपनी राय बताई और उसे मुझे लिख भेजा जाये तो ओम जी ने उनसे लिखकर आग्रह किया कि (सुनने की क्षमता बहुत कम है ओम जी के पिताजी जी की) वे अपने हाथ से अपनी प्रतिक्रिया लिखें जिसे वे मुझे भेज देंगे।
आज ओम जी ने अपने पिताजी आदरणीय बाबूलाल भागीरथ वर्मा जी मेरी किताब ’पुलिया पर दुनिया’ पर प्रतिक्रिया और अपना स्नेह मुझे प्रेषित किया है। प्रतिक्रिया आप फ़ोटो में देख सकते हैं। मैं ओम जी का आभारी हूं जो उनके माध्यम से उनके आदरणीय पिताजी का आशीष मुझ तक पहुंचा। मैंने ओम जी से वायदा किया है कि अपने लेख के प्रिंट आउट उनके पिताजी के पढ़ने के लिये भेजता रहूंगा।
आज कुछ मित्रों ने बताया कि उन्होंने मेरी किताब फ़्लिपकार्ट से खरीदी। उनका आभार। लेकिन साथियों की जानकारी के लिये बताना चाहता हूं कि किताब अगर आनलाइन.गाथा या फ़िर पोथी.काम से लेंगे तो सस्ती पडेंगी।
किताबों के लिंक एक बार फ़िर से:
1. ई-बुक और ब्लैक एंड व्हाइट पेपर बैक:
http://
2. रंगीन पेपर बैक:
https://pothi.com/pothi/
https://www.facebook.com/photo.php?fbid=10207101303064432&set=a.1767071770056.97236.1037033614&type=3&theater
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