समुद्र तट पर उछलते कूदते मस्ती करते देशी सैलानी |
हम लोग जहां ठहरे हुये हैं हम लोगों की ट्रेनिंग भी वहीं हो रही है। समुद्र तट उस जगह से लगा ही हुआ है। सो ट्रेनिंग के बीच में जैसे ही थीडी देर का ब्रेक हुआ हम फ़ौरन समुद्र तट पहुंच गये जैसे स्कूल के बच्चे जरा सा मौका मिलते ही खेल के मैदान की ओर दौड़ पड़ते हैं।
सूरज भाई पूरे जलवे के साथ चमक रहे थे। शायद सुबह देर से निकलने की भरपाई कर रहे थे। समुद्र तट पर देशी सैलानी उछलते-कूदते हुये लहरों के साथ मस्ती कर रहे थे। कोई-कोई ऐसे उछलता दिखाई दे रहा था मानों सूरज को छूना चाहता है। सूरज भाई और उनके साथ की किरणें यह सब मुस्कराते हुये देख रही थीं।
बीच के किनारे ही तमाम विदेशी, शायद फ़िरंगी, धूप स्नान कर रहे थे। लगभग सभी के हाथ में मोटी-मोटी अंग्रेजी की किताबें थीं, उपन्यास नुमा। जिस तल्लीनता से वे उपन्यास पढते हुये धूप सेंक रहे थे उससे लग रहा थी मानों वे धूप में किताबें पढ़ने के लिये ही शायद भारत आये हैं। उनमें से अधिकतर लोग अधेड़ से बुढापे की उमर की तरफ़ अग्रसर लोग थे। हम लोगों ने कुछ देर में धूप, समुद्रतट, लहरों और धूप में नहाते हुये लोगों जितना निहार सकते थे उतना निहारा। इसके बाद सारा सौंदर्य बाकी लोगों के देखने के लिये छोड़कर अच्छे बच्चों की तरह वापस लौट लिये।
समुद्र तट पर धूप स्नान करते विदेशी सैलानी |
हमने पुरुष से उसकी उमर पूछी तो उसने कहा - यू गेस। हमने अनुमान लगाकर बताया - 50 से अधिक लगते हैं। उसने उमर नहीं बताई पर यह कहा -तुम्हारा अनुमान सही है। इसके बाद महिला ने कहा- अच्छा मेरी उमर का अन्दाजा लगाओ ( गेस माई एज) हमने कहा - 16 प्लस। महिला बड़ी तेजी से हंसी और उसने बताया कि उसकी उमर 87 साल की है। हमने ताज्जुब करते हुये कहा- "आप लगती तो नहीं इतनी उमर की।" इस पर उन्होंने धन्यवाद दिया।
कैथरीन उम्र 87 साल रहवासी इंग्लैंड गोवा के बीच पर धूप सेंकती हुई। |
महिला ने बताया कि उनका नाम कैथरीन है और उनके साथी का नाम पीटर है। वे दोनों पिछले करीब बीस दिन से गोवा में रुके हुये हैं। पास में अपार्टमेंट लेकर रह रहे हैं। घूमने के लिये आये हैं भारत। पूछकर खींचा हुआ फ़ोटो कैथरीन को दिखाया तो उत्सुकता से देखा और फ़ोटो की तारीफ़ की।
हम लोगों ने बताया कि हम लोग यहां ट्रेनिंग के लिये आये हैं और क्लास का समय हो गया इसलिये विदा लेते हुये वापस चल दिये। उन्होने मुस्कराते और यह कहते हुये विदा किया - इन्ज्वाय द क्लास। :)
लौटते हुये हम सोच रहे थे कि 87 साल की उमर में अपने यहां अधिकतर लोग अपनी अंतिम विदा का इंतजार करते हुये दिन गिनने लगते हैं उस उमर में ये लोग घूमने निकले हैं। इसमें दोनों देशों के सामाजिक ताने-बाने और लोगों की व्यक्तिगत आर्थिक हैसियत की भी महत्वपूर्ण भूमिका भी अवश्य रहती होगी।
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10207152401861870
No comments:
Post a Comment