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बी.पी.मिश्र, राजीव कुमार, सुरजीत दास, अनूप शुक्ल |
सुबह उठते ही हम लोग बीच की तरफ़ भागते हैं। हफ़्ते भर के लिये आये हैं।
जी भरकर देख लें। कुछ छूट न जाये। कल गये सुबह तो एक आदमी डब्बे में पेंट
लिये लकड़ी के पटरों को रंग रहा था। एंथोनी नाम था। रंगकर नाव की तरफ़ जाने
लगा तो हमने दुबारा पटरे रंगवाकर उसका फ़ोटो लिया।
:)
समुद्र से कुछ लोग नाव बाहर ला रहे थे। रस्सी से घसीटते हुए पटरे के ऊपर
रखते हुए। पीछे का पटरा निकालकर आगे रखते हुए। नाव आगे खींचते हुए जो बोल
रहे हैं उसका मतलब हईसा, जोर लगा के हइसा जैसा ही कुछ होगा।
एक लड़क
ी
बीच पर कैमरा माला की तरह पहने हुये अकेले टहल रही थी। रात को घर वालों के
साथ क्लब गयी थी। घर वाले थककर सो रहे हैं। उसको बीच देखने का मन है तो
यहां आ गयी। पास की ठहरे हुये हैं सब लोग। डाक्टर है वह। उसके कहने पर
उसकी फ़ोटो उसके ही कैमरे से खींचते हैं हमारे साथी। मैं भी अपने मोबाइल से
उसके फ़ोटो कई फ़ोटो खींचता हूं। मेरा दोस्त भी उसके साथ खड़े होकर फ़ोटो
खिंचाता है। उसको फ़ोटो दिखाता हूं। फ़ोटो अच्छे आये हैं। सारे फ़ोटो मेरे
मोबाइल से अपने मोबाइल में ’ब्लू टूथ’ से ट्रान्सफ़र कर लेती है।
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शाम को सैलानियों के विदा होने के बाद तखत पर लेटकर आराम करती हुई कामगार महिला |
सुबह मौसम ठंडा था। सूरज निकलने के साथ गरमी बढती गयी। सैलानी अभी आये
नहीं थे। धूप सेंकने वाले तख्त खाली पड़े थे सुबह। हम लोग उन खाली पड़े
तख्तों पर लेटकर फ़ोटो खिंचाते हैं और घूमघामकर चले आते हैं।
दोपहर
को लंच के समय और शाम को क्लास खत्म होने के बाद हम लोग फ़िर बीच पर जाते
हैं। सैलानी से लबालब भरा है बीच। धूप सेंकते ज्यादतर सैलानी विदेशी ही
हैं। लोग धूप में अलसाये से लेटे हैं। कोई पीठ के बल और कोई पेट के बल। कुछ
लोग पढने का काम भी कर रहे हैं। एक आदमी तख्त पर पेट के बल लेटा हुआ एक
फ़ुट ऊंचे नीचे टेबलेट रेत पर रखेे पढाई में जुटा हुआ है।
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धूप स्नान मुद्रा में लेटे हुये अनूप शुक्ल |
धूप में
लोग ज्यादातर सैलानी पीके पिक्चर के आमिर खान की तरह, ट्रान्जिस्टर की जगह
अंडरवियर धारण किये लेटे हुये हैं । कुछ लोग तेल से मालिश करा रहे हैं।
मालिश करने वाली अधिकतर बीच पर काम करने वाली महिलायें हैं। महिलायें जो
कर्नाटक, उड़ीसा और दीगर जगहों से रोजी रोटी के चक्कर में आयी हैं धूप
सेंकते सैलानियों के हाथ-पैर, पीठ पर नारियल का तेल मल रही हैं। सैलानी
आराम से धूप में पसरे हुये हैं।
इस बीच देखा कोई गाय भी बीच पर आ
गयी। कुछ सैलानी उस गाय को अपने पास से ब्रेड निकालकर खिलाने लगे। उसके साथ
के लोग इस घटना का वीडियो बनाने लगे। उन लोगों में से एक आदमी अपने जूतों
को फ़ीते से बांधे हुये कन्धे के दोनों ओर माला की तरह धारण किये हुये यह सब
कौतूहल से देख रहा है। उन लोगों के लिये बीच पर गाय कौतुक का विषय है।
हमारे लिये वे लोग कौतुक का विषय हैं। दोनों लोग अपने-अपने कौतुक के विषय
को देखते हुये बीच पर मौजूद हैं।
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समुद्र से नाव घसीटकर ले जाते हुये लोग ! |
शाम तक सब सैलानी धूप उतरने के साथ
ही विदा होते गये। हम भी विदा हुये रात में फ़िर आने के लिये। लौटते हुये
देखा कि जिन तख्तों पर सैलानी लेटे हुये थे उनमें से ही एक पर एक महिला
गुड़ी-मुडी हुई लेटी थी। शायद दिन भर की मेहनत से थकी हुई।
डूबते सूरज को देखकर अजय गुप्त की कविता अनायास याद आ गयी:
सूर्य जब जब थका हारा ताल के तट पर मिला
सच कहूँ मुझे वह बेटियों के बाप सा लगा।
यहां समुद्र ताल पर नहीं समुद्र में डूब रहा था लेकिन डूब तो रहा ही था।
https://www.facebook.com/anup.shukla.14/posts/10207175159030785
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