सुबह का समुद्र। तट की तरफ आती लहरें। |
धूप सेंकने वाली बेंच पर बालू और पानी का महीन गठबंधन पसरा हुआ था। हम उसी के ऊपर साथ लाया हुआ झोला धरकर झोले के ऊपर बैठ गए। बगल के बेंचों पर और रेत पर तमाम कौवे बैठे थे। हल्ला मचा रहे थे।पता नहीं मेरे स्वागत में या विरोध में।
तख्त सुबह से खाली पड़े इन्तजार कर रहे हैं सैलानियों का |
अँधेरे में समुद्र के पास से गुजरते लोग स्पिकमैके आर्ट की आकृतियों से लग रहे थे।
समुद्र तट पर टहलते, भागते लोग। |
समुद्र की लहरें किनारे को धोकर चली जाती हैं वापस। मानों सैलानियों के लिए फुटपाथ बना रही हों चलने के लिए।
सुबह मार्निंग वाक करने वाले लोग निकल चुके हैं। कोई तेज चल रहा है कोई धीमे। एक बुजुर्ग चलते हुए दम लगाकर ऐसे हाथ आगे पीछे कर रहे हैं मानो हवा में लगी रेलिंग पकड़कर आगे बढ़ रहे हों।
एक आदमी हांफता हुआ सा भागता चला गया सामने से। एक बुजुर्ग टहलता हुआ सा गया। उसने बताया कि फिसिंग करता है वह। लेकिन आज नहीं गया। एक महिला, शायद यूरोपियन, तेजी से रनिंग करती हुई सामने से गयी और फिर कुछ देर बाद वापस लौटी उसी गति से भागते हुए।
शानू कन्नौज के रहने वाले हैं। सुबह चाय बेचते हुए। |
हम अकेले टहल रहे थे समुद तट पर तब तक हमारे साथी भी आ गए। तय हुआ कि समुद्र में डॉल्फ़िन देखने जायेंगे। जब तक मोटरबोट वाले को खोजते साथी लोग तब तक हम समुद्र तट पर साइकिल पर चाय का केन लादे चाय शानू की चाय पीने लगे। पता चला कन्नौज के हैं शानू। दस रूपये की चाय। कैन में 100 चाय लेकर चलते हैं। चाय पिलाकर कागज के कप वापस लेकर अपने पास रखे बैग में रखते जाते थे। समुद्र तट गन्दा न इसके लिए यह जरूरी है।
मोटरबोट से चलने के पहले लाइफ जैकेट बाँध लिए हम लोग। बोट चली समुद्र में। समुद्र की लहरें बोट को झूले की तरह ऊपर नीचे झूला झुला रहीं थीं। ऊपर-नीचे होती बोट चढ़ाई पर चढ़ती और ढलान पर उतरती हुई आगे चली।
नन्दकिशोर गुप्ता, बी. पी मिश्र और सुरजीत दास अपने जोड़ीदारों के साथ। सबसे पीछे राजीव कुमार और अनूप शुक्ल। |
डॉल्फ़िन देखने के बाद हम वापस लौटे। रास्ते में गवर्नर हाउस, ताज होटल, विजय माल्या का रकबा दिखाया बोट वाले ने।
धूप में नहाते हुए विदेशी सैलानी |
मोटरबोट पर तट के पास जाते हुए हमने लहरों को किनारे जाते और किनारे पहुंचकर सर पटककर रुक जाते हुए देखा। हो सकता है कि लहरें किनारे पर जाते हुए किसी बेहतर तट से मिलने की इच्छा के साथ जाती हों। लेकिन उसी पुराने तट को देखकर सर पीट कर किनारे बैठ जाती होंगी।
शायद ये इस दुविधा में हैं कि समुद्र में स्नान करें या धूप में नहाएं पहले। |
बीच पर सैलानियों की भीड़ बढ़ गयी थी। विदेशी सैलानी धूप सेंकने की तैयारी में तख्त और छाते की व्यवस्था करने में लगे हुए थे। जो व्यवस्था कर चुके थे वे धूप स्नान करने लगे थे।
हम लोगों की क्लास का समय हो गया था इसलिए बीच की सारी ख़ूबसूरती को बीच पर आनेवाले लोगों के देखने के लिए छोड़कर वापस चले आये।
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