दो
दिन पहले कानपुर में कार के कागज देखे। कागज तभी देखे जाते हैं जब शहर से
बाहर जाना हो। रजिस्ट्रेशन और बीमा के कागज तो ठीक थे, हमेशा की तरह, लेकिन
प्रदूषण वाला कागज अपनी उमर पूरी कर चुका था। दो महीने घर नहीं आये। कार
का रेडियेटर का पंखा खराब था सो कार खड़ी रही। बाहर नहीं निकली तो कागज भी
नहीं बने। दो दिन पहले कानपुर आये। कार बनवाई तो देखा उसके प्रदूषण
प्रमाणपत्र पिछले माह खल्लास हो चुका था।
अब जब पता चला तब तक शाम के 6 बज गए थे। लेकिन अगले सुबह दिन बाहर निकलना था सो प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाना जरूरी था। सड़क की जिस पट्टी पर 'यहां प्रदूषण प्रमाण पत्र बनता है' हम उसकी दूसरी पट्टी पर जाम में फंसे थे। जाम क्या एक तरह से समझिये झाम में फंसे थे। लग रहा था कि ऐसा न हो कि जबतक जाम खत्म हो तब तक दूकान बन्द हो जाए।
प्रदूषण प्रमाणपत्र की दूकान बन्द होने के एहसास मात्र से हम इतना घबरा गए जितना की आजकल लोग यह सोचकर हो रहे होंगे की ललित मोदी कहीं उनका नाम न ले ले। हमने गाड़ी उसी तरफ लगाई और जाम की नदी पार करके डिवाइडर को फांदकर दूकान पर पहुंच ही गए। पुराना प्रदूषण प्रमाणपत्र दिखाया। उसने दो मिनट में अगले 6 माह के लिए सड़क की दूसरी पट्टी पर खड़ी हमारी गाड़ी के प्रदूषण जांच में पास होने का प्रमाण पत्र बना दिया। मात्र 50 रूपये में।
अपना काम होने के बाद जैसे लोगों का जी रिश्तेदारों का काम कराने के लिए हुड़कता है वैसे ही हमें घर में खड़ी अपनी मोटर साइकिल भी याद आई। घर में फोन करके उसका नम्बर पूछा और उसका भी प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाया। 40 रूपये में।
अपना काम निकलने के बाद हम पर सामाजिकता ने हल्ला बोला। गाड़ी हमारी 16 साल पुरानी और मोटरसाइकिल 11 साल पुरानी। दोनों में से किसी का भी इमिशन टेस्ट नहीं हुआ। कोई जांच नहीं हुई कि इनके निकले हुए धुंए में कार्बन मोनोआक्साइड कितनी है और सल्फर साइआक्साइड कितनी। सच तो यह भी कि उस दुकान पर कोई औजार या सुविधा भी नहीं थी जिससे इमिशन टेस्ट होता हो। बस गाड़ी का नम्बर बताओ, प्रदूषण प्रमाणपत्र ले जाओ।
दो प्रमाण पत्र जो मिले और जो अगले 6 महीने काम आएंगे, दोनों फर्जी हैं लेकिन हमे सुकून है कि हमारी पास अपनी गाड़ियों के प्रदूषण मुक्त होने का प्रमाणपत्र है।
जिन लोगों को प्रदूषण मुक्त वाहन प्रमाणपत्र देने का ठेका मिलता है वो लम्बी (और चौड़ी भी ) रकम देने के बाद मिलता है। लेकिन वे किसी प्रमाणपत्र देते समय कोई जांच किये बिना प्रमाणपत्र दे देते हैं। लोग भी बनवाते हैं । न बनवाएं तो जुमाना ठुकता है।
यह बात मैंने अपने शहर के बारे में लिखी। वह भी एक अनुभव के आधार पर। आपके शहर में शायद गाड़ी की सही में जांच करके प्रमाणपत्र बनता हो। गाड़ी में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा होने पर प्रमाणपत्र न बनाया जाता हो और गाड़ी 'सड़क बदर' हो जाती हो।
वैसे आजकल कुछ भी गलत जैसा होते दिखने में अनहोनी जैसा कुछ नहीं लगता। फर्जी डिग्री वाले लोग मंत्री बन जाते हैं। फर्जी काम करने वाले अपराधी जैसे आदमी को मंत्री, सन्तरी, पत्रकार, जज, वकील भागने में सहायता देते हों ऐसे में एक कार और एक मोटर साइकिल ने कौन किसी की भैंस खोली है जो उनको फर्जी प्रमाणपत्र न मिल सके।
क्या पता जब लोग फर्जी डिग्री और अन्य घपलों से ऊब जाएँ या फिर ध्यान बंटाने के लिए ' प्रदूषण प्रमाणपत्र घोटाले' पर चिल्लाते हुए बहस करें और किसी ट्रांसपोर्ट मंत्री का इस्तीफ़ा मांगने के लिए गला फाड़ते हुए हल्ला मचाएं। बाद में सरकार को मामले में कड़ा कदम उठाते हुए किसी चिल्लर परिवहन अधिकारी को लाइन हाजिर करके मामले को रफा-दफा करना पड़े।
नीचे की फोटो जबलपुर की आफिसर्स मेस की छत की चाहरदीवारी पर इकट्ठा पानी में पड़ते सूरज के बिम्ब की। खैंचवार हैं Sagwal Pradeep अपने आई फोन से।
फ़ेसबुक पर टिप्पणियां
अब जब पता चला तब तक शाम के 6 बज गए थे। लेकिन अगले सुबह दिन बाहर निकलना था सो प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाना जरूरी था। सड़क की जिस पट्टी पर 'यहां प्रदूषण प्रमाण पत्र बनता है' हम उसकी दूसरी पट्टी पर जाम में फंसे थे। जाम क्या एक तरह से समझिये झाम में फंसे थे। लग रहा था कि ऐसा न हो कि जबतक जाम खत्म हो तब तक दूकान बन्द हो जाए।
प्रदूषण प्रमाणपत्र की दूकान बन्द होने के एहसास मात्र से हम इतना घबरा गए जितना की आजकल लोग यह सोचकर हो रहे होंगे की ललित मोदी कहीं उनका नाम न ले ले। हमने गाड़ी उसी तरफ लगाई और जाम की नदी पार करके डिवाइडर को फांदकर दूकान पर पहुंच ही गए। पुराना प्रदूषण प्रमाणपत्र दिखाया। उसने दो मिनट में अगले 6 माह के लिए सड़क की दूसरी पट्टी पर खड़ी हमारी गाड़ी के प्रदूषण जांच में पास होने का प्रमाण पत्र बना दिया। मात्र 50 रूपये में।
अपना काम होने के बाद जैसे लोगों का जी रिश्तेदारों का काम कराने के लिए हुड़कता है वैसे ही हमें घर में खड़ी अपनी मोटर साइकिल भी याद आई। घर में फोन करके उसका नम्बर पूछा और उसका भी प्रदूषण प्रमाणपत्र बनवाया। 40 रूपये में।
अपना काम निकलने के बाद हम पर सामाजिकता ने हल्ला बोला। गाड़ी हमारी 16 साल पुरानी और मोटरसाइकिल 11 साल पुरानी। दोनों में से किसी का भी इमिशन टेस्ट नहीं हुआ। कोई जांच नहीं हुई कि इनके निकले हुए धुंए में कार्बन मोनोआक्साइड कितनी है और सल्फर साइआक्साइड कितनी। सच तो यह भी कि उस दुकान पर कोई औजार या सुविधा भी नहीं थी जिससे इमिशन टेस्ट होता हो। बस गाड़ी का नम्बर बताओ, प्रदूषण प्रमाणपत्र ले जाओ।
दो प्रमाण पत्र जो मिले और जो अगले 6 महीने काम आएंगे, दोनों फर्जी हैं लेकिन हमे सुकून है कि हमारी पास अपनी गाड़ियों के प्रदूषण मुक्त होने का प्रमाणपत्र है।
जिन लोगों को प्रदूषण मुक्त वाहन प्रमाणपत्र देने का ठेका मिलता है वो लम्बी (और चौड़ी भी ) रकम देने के बाद मिलता है। लेकिन वे किसी प्रमाणपत्र देते समय कोई जांच किये बिना प्रमाणपत्र दे देते हैं। लोग भी बनवाते हैं । न बनवाएं तो जुमाना ठुकता है।
यह बात मैंने अपने शहर के बारे में लिखी। वह भी एक अनुभव के आधार पर। आपके शहर में शायद गाड़ी की सही में जांच करके प्रमाणपत्र बनता हो। गाड़ी में प्रदूषण की मात्रा ज्यादा होने पर प्रमाणपत्र न बनाया जाता हो और गाड़ी 'सड़क बदर' हो जाती हो।
वैसे आजकल कुछ भी गलत जैसा होते दिखने में अनहोनी जैसा कुछ नहीं लगता। फर्जी डिग्री वाले लोग मंत्री बन जाते हैं। फर्जी काम करने वाले अपराधी जैसे आदमी को मंत्री, सन्तरी, पत्रकार, जज, वकील भागने में सहायता देते हों ऐसे में एक कार और एक मोटर साइकिल ने कौन किसी की भैंस खोली है जो उनको फर्जी प्रमाणपत्र न मिल सके।
क्या पता जब लोग फर्जी डिग्री और अन्य घपलों से ऊब जाएँ या फिर ध्यान बंटाने के लिए ' प्रदूषण प्रमाणपत्र घोटाले' पर चिल्लाते हुए बहस करें और किसी ट्रांसपोर्ट मंत्री का इस्तीफ़ा मांगने के लिए गला फाड़ते हुए हल्ला मचाएं। बाद में सरकार को मामले में कड़ा कदम उठाते हुए किसी चिल्लर परिवहन अधिकारी को लाइन हाजिर करके मामले को रफा-दफा करना पड़े।
नीचे की फोटो जबलपुर की आफिसर्स मेस की छत की चाहरदीवारी पर इकट्ठा पानी में पड़ते सूरज के बिम्ब की। खैंचवार हैं Sagwal Pradeep अपने आई फोन से।
फ़ेसबुक पर टिप्पणियां
- Pragya Shrivastava बेहद खूबसूरत चित्र है
- Vivek Srivastava ये भरष्ट आचार है हमें आम का आचार खाना है wink इमोटिकॉन
- Nishant Yadav खत्म हुआ इंतजार .. अबकी बार फर्जी सरकार
- Satish Sardana Kumar साइकिल कहाँ गयी?अकेली खड़ी उदास हो रही होगी।
- Adhir Singhal No government can help till citizens themselves conduct as per law of the land.
- Nishant Mishra कानपुर सस्ता है. यही काम मैं दिल्ली में 100 रु. में करवाता हूं. मेरी गाड़ी का यदि बनवा सकें तो नंबर इनबॉक्स करूं?
- Tejkumar Sethi पूर्ण प्रतिबिम्ब।
- Masijeevi Vijender Hindi नहीं दिल्ली में प्रमाण पत्र में गाडी की नंबर प्लेट सहित फोटो भी साथ छपती है इसलिए एक तो कार को डिवाइडर फंदवा के इधर लाना जरूरी है दूसरा थोडा पैसा भी ज्यादा देना पड़ता है... बाकी प्रदूषण की यहाँ भी मजाल नहीं कि सर्टिफिकेट को रोक सके।
- Virendra Bhatnagar हमाये नखलऊ में यहै परमानपत्र 40 और 30 रुपय्या में बन जाता हम हालहि में बनवायें हैं खामख़्वाह 20 रुपय्या का नुस्कान हुआ smile इमोटिकॉन
- Anamika Vajpai इसी "पर-दूषण smile इमोटिकॉन परमाण पत्तर" के चक्कर में १००० रुपये की चपत हमहूँ खाये बैठे हैं, शहर के बाहर की नंबर प्लेट देखते ही खन, पुलिसवालन का दिमाग़ कम्प्यूटर से भी तेज़ दौड़न लगत है, गाड़ी दौड़े चाहें नहीं । grin इमोटिकॉन
- Dhirendra Pandey तुगलकी क़ानून है ये
- Hira Lal Shaw Very nice
- Ram Kumar Chaturvedi एक तो उसने बिना किसी बाधा और सुबिधा शुल्क बिना आपकी दोनों गाड़ियों को प्रदूषण रहित घोसित करदिया और आप है कि उसकी दुकान बन्द करवाने पर तुले हैं।यह तो उसके लिये होम करते हाथ जलने वाली बात होगयी।
- Amit Kumar · Friends with Shahnawaz Khanहर जगह यही होता है
- Parveen Goyal Very hard and bitter truth of India !!!"
- Rashmi Suman हा हा हा
बहुत खूब अनूप सर
प्रमाण पत्र बनने के बाद सामाजिकता जाग ही गयी आखिर। - Ashutosh Kumar बहुत उम्दा प्रस्तुतीकरण ,शब्द चयन बेहतरीन होता हैं ।
अभी तो एक शब्द खैंचवार,
एक भाव वाक्य कहीं ललित मोदी मेरा भी नाम ना लेले ,एेसा डर......और देखें - Ramesh Saini चित्र सुदर हैं
- Suraj P. Singh यह देश नियमों से नहीं चलता बल्कि नियमों की नकल से चलता है। कानून और नियम हम भारतीयों के खून में नहीं है। सारे कानून, संविधान सब नकल हैं... कोई भी काम चूंकि दुनिया करती है इसलिए हमें भी करना है.. वे हमारी जरूरतों से उपजी कोई मौलिक अनिवार्यता नहीं! शायद यही कारण है सबसे बड़ा संविधान और अनगिनत नियमों के बावजूद हम व्यवस्था से पैदल हैं।
- Sanjay Khetan जितना खूबसूरत चित्र है उतना ही सुन्दर हमारे देस की सच्चाई का वर्णन है
- Usha Bhateley · 7 पारस्परिक मित्रmujhe to pradushan pramaan patra na hone par jurmane ki baat kabhi na samajh mein aayee bhai, are aap gaadi ka pradushan check karo yadi ho to jurmana thoko, pramaan patra ki kya avashyakta ? ye to humare liye hona chahiye jaise havaa check karaate hain, vaise pradushan bhi check karaate rahen. smile इमोटिकॉन pramaan patra banaane wale to bina check kiye banaaye de rahe hain.frown इमोटिकॉन
- Brijpal Verma Shukla ji , aapka lakhan andaj ,saral tetha prakertik hai. Hame apna rakt badalna padega.kyoki bhrastachar hamarey rakt me hai. Tanik see bhi paresani koi jhelna nahi chahta.
- Brijpal Verma Hum iss trah ka chitran padh kar kahtey hai "sahi chitran"parantu apney aapko rok nahi patey. Thoda kust ssahmey ki aadet dalni padegi
- विद्या शंकर मौर्य बेहद लुभावना एवं मनमोहक छाया चित्र।।
- Brijpal Verma Aapko. Bhejey sabhi sandesh maney padhey.. Kisi ney bhi iski bhartsna nahi ki . sambhavta klsi ne bhi esa na karney ka pran liya ho. Maf kerna,
- Rajeshwar Pathak बहुत सुन्दर फोटोग्राफी
- Alok Ranjan Sab jageh aise hi hota h... ye U.P. govt. Ki university ki digree h. Sadak ke kinare hi milti h... aapki car ke pass farzi digree nahi h..mauj liziye
- Sunil Chaturvedi अंधे कानून का सजीव वर्णन।
- Kamlesh Bahadur Singh Ek to usne Aap ko pollution certificate diyaa
Aap hain ki uski Dookaan Band karaayenge. ... - Rajeeva Nandan Dwivedi · 21 पारस्परिक मित्रआपके खैंचवाल तो कमाल के हैं. गाड़ी धरबे क्यूँ करते हैं, जब इत्ती समस्या है तो !! OLX पे साट दीजिये...छप्प से.
- Sanjay Pandey Nice pic
- Mukesh Sharma हमारी कचहरी में कोई मास्टर मुव्वकिल आवे तो वकील उससे बचते है ।फ़ीस वीस देगा नहीं मगज़ बहुत चाटेगा । आपका यह पोस्ट उस पॉल्युशन वाले ने पढ़ लिया तो आगे से ग्राहकों से पूछेगा-"आप लेखक तो नहीं "।बेचारा 50 रु में वसुंधरा राजे बन गया ।(अध्यापक मित्रो से माफ़ी सहित )।
- Vinay Awasthi अच्छा चित्रण.. यह सच है कि प्रदूषण जांच की अनिवार्यता अच्छे उद्देश्य के साथ ही प्रारम्भ किया गया होगा. हो सकता है चर्चा हो कि देश के नागरिक ही पर्यावरण संरक्षण के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझने को तैयार नहीं. वे लोग यह भी कहने में संकोच नहीं कर सकते कि शि...और देखें
- Mukesh Sharma चलो अच्छा है ।सायकल वृतांत के बाद कुछ दिन पाठक कार वृतांत का आनंद लेंगे
- Vivek Dutt Shukla · 12 पारस्परिक मित्रBadhiya sir kitab likhna kab suru karenge
- सिद्धार्थ शंकर त्रिपाठी मेरे घर के बग़ल में ही पेट्रोल पंप है जहाँ प्रदूषण जाँच के बाद प्रमाण-पत्र दिया जाता है। लेकिन मैं पिछले तीन साल से इसे नहीं बनवा पाया हूँ।
बेचैन आत्मा मुझसे तो कभी किसी ने माँगा ही नहीं। मैं शकल से प्रमाणपत्र धारी लगता हूँ या फिर ट्रैफिक वाले जानते होंगे प्रमाण पत्र की हकीकत।
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन ब्लॉग बुलेटिन - राष्ट्रीय झण्डा अंगीकरण दिवस और जन्म दिवस मुकेश में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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