प्रकाश चन्द्र राठौर |
वैसे भी मौसम तो मन के मिजाज के हिसाब से होता है। रमानाथ अवस्थी की कविता के हिसाब से:
कुछ कर गुजरने के लिए
मौसम नहीं मन चाहिए।
सूरज अब्बी निकला नहीं था। सुबह की नींद मार रहा होगा। उठेगा अभी
कुनमुनाते हुए। देर होने की बात याद आते हड़बड़ाते हुए आएगा और आसमान पर
चमकने लगेगा।
चाय की दूकान पर आज प्रकाश चन्द्र राठौर मिले। टेलरिंग का काम करते थे। आँख से कम दिखने लगा तो सिलाई छोड़ दी। अब एक फर्म में चौकीदारी करते हैं।
सिलाई का काम खुद सीखा। शौक से।दुकान का नाम
रखा 'एवरग्रीस टेलर्स' । हर तरह के कपड़े सिलते थे।पत्नी को भी सिलाई सिखाई।
बोले-हमसे ज्यादा काम किया मिसेज ने। अब भी करती हैं वो। हम पैटर्न काटकर
दे देते थे। वो सिलाई करती थी।
पिता जीसीएफ में काम करते थे। आगरा से आये थे नौकरी करने। बड़े हिसाब से रहे। चार बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया।
प्रकाश चन्द्र के दो बच्चे सिलाई का काम करते हैं। दूकान का नाम हटा दिया है लेकिन लोग लोग एवरग्रीस के नाम से ही जानते हैं। एक बच्चा पत्रिका अखबार में काम करता है। बच्चे चौकीदारी करने को मना करते हैं लेकिन वो करते हैं। कुछ न कुछ करते रहना चाहिए।
फोटो खींचने पर हमने हंसने के लिए कहा तो हंसे। बोले-'अच्छी आई है फ़ोटो।' हमने कहा बनवाकर देंगे। बोले-'बत्तीसी घर पर है। लगाते नहीं।' मतलब अगले को एहसास है कि बत्तीसी होती तो फोटो और अच्छी आती।
चाय पीते हुए बात हुई। बोले-आपने कहा हंसने को तो हम हंसे। वैसे हम हंसते बहुत कम हैं। लोग पागल समझते हैं। हंसने वाले को लोग 'डिफॉल्टर' समझते हैं। हम भी कहते हैं कि अगर हमको पागल समझने से तुमको ख़ुशी मिलती है तो समझ लो पागल और खुश हो लो। लोग हमको बेवकूफ समझते हैं हम भी एतराज नहीं कहते। जो हम हैं वो तो हम जानते हैं।
बीड़ी पीने की
बात चली। नुकसान की चर्चा भी। हमसे बोले प्रकाश -आज से आप हमको बीड़ी पीते
हुए नहीं देखोगे। धीरे-धीरे कम करके बन्द कर देंगे। लेकिन आप के सामने कभी
नहीं पिएंगे।
लौटते में पुलिया पर फैक्ट्री के रिटायर्ड कमर्चारी मिले। एक वीएफजे के और 3 जी आई ऍफ़ के। हमने जीआईएफ के रिटायर्ड महाप्रबन्धक एस.के.सक्सेना के बारे में बातें की। सक्सेना जी हमारे भी जीएम रहे शाहजहाँपुर में। मैं और हमारे तमाम साथी मानते हैं कि उनके जैसा सक्षम और व्यवहार कुशल महाप्रबन्धक हमने दूसरा नहीं देखा। मानव सम्बंधों की ऐसी अद्भुत समझ थी उनमें कि हर अधीनस्थ खुद को उनका ख़ास आदमी समझता था। वे सबका ख्याल रखते भी थे।
जीआईएफ के रिटायर्ड कर्मियों ने बताया कि सक्सेना जी बहुत अच्छे जीएम थे। राउंड में आते तो लोगों के साथ चाय भी पी लेते। सबको साथ लेकर चलते थे। कभी उत्तेजित नहीं होते थे।लेकिन अनुशासनहीन लोगों के खिलाफ करवाई करने में हिचकते नहीं थे। कई लोगों को सस्पेंड किया।
1996 में रिटायर हुए सक्सेना जी की इतनी बात हुई तो वहीं से उनको फोन मिलाया। बताया कि लोग आपको कैसे याद करते हैं। लोगों ने बात की। तमाम यादें साझा की। 20 साल पहले रिटायर हुए अधिकारी को लोग याद करें और अच्छे इंसान के रूप में याद करें यह अपने में एक खुशनुमा एहसास है।
आज शनिवार है। कई लोगों का वीक एन्ड शुरू हो गया होगा। उनको वीक एन्ड मुबारक।
आपका दिन मङ्गलमय हो। शुभ हो।
फ़ेसबुकिया टिप्पणियां:
चाय की दूकान पर आज प्रकाश चन्द्र राठौर मिले। टेलरिंग का काम करते थे। आँख से कम दिखने लगा तो सिलाई छोड़ दी। अब एक फर्म में चौकीदारी करते हैं।
चाय की दुकान पर अड्डेबाजी |
पिता जीसीएफ में काम करते थे। आगरा से आये थे नौकरी करने। बड़े हिसाब से रहे। चार बच्चों को पाल पोस कर बड़ा किया।
प्रकाश चन्द्र के दो बच्चे सिलाई का काम करते हैं। दूकान का नाम हटा दिया है लेकिन लोग लोग एवरग्रीस के नाम से ही जानते हैं। एक बच्चा पत्रिका अखबार में काम करता है। बच्चे चौकीदारी करने को मना करते हैं लेकिन वो करते हैं। कुछ न कुछ करते रहना चाहिए।
फोटो खींचने पर हमने हंसने के लिए कहा तो हंसे। बोले-'अच्छी आई है फ़ोटो।' हमने कहा बनवाकर देंगे। बोले-'बत्तीसी घर पर है। लगाते नहीं।' मतलब अगले को एहसास है कि बत्तीसी होती तो फोटो और अच्छी आती।
चाय पीते हुए बात हुई। बोले-आपने कहा हंसने को तो हम हंसे। वैसे हम हंसते बहुत कम हैं। लोग पागल समझते हैं। हंसने वाले को लोग 'डिफॉल्टर' समझते हैं। हम भी कहते हैं कि अगर हमको पागल समझने से तुमको ख़ुशी मिलती है तो समझ लो पागल और खुश हो लो। लोग हमको बेवकूफ समझते हैं हम भी एतराज नहीं कहते। जो हम हैं वो तो हम जानते हैं।
वीएफजे सबसे बाएं और जीआईएफ दाईं तरफ के तीन कर्मचारी |
लौटते में पुलिया पर फैक्ट्री के रिटायर्ड कमर्चारी मिले। एक वीएफजे के और 3 जी आई ऍफ़ के। हमने जीआईएफ के रिटायर्ड महाप्रबन्धक एस.के.सक्सेना के बारे में बातें की। सक्सेना जी हमारे भी जीएम रहे शाहजहाँपुर में। मैं और हमारे तमाम साथी मानते हैं कि उनके जैसा सक्षम और व्यवहार कुशल महाप्रबन्धक हमने दूसरा नहीं देखा। मानव सम्बंधों की ऐसी अद्भुत समझ थी उनमें कि हर अधीनस्थ खुद को उनका ख़ास आदमी समझता था। वे सबका ख्याल रखते भी थे।
जीआईएफ के रिटायर्ड कर्मियों ने बताया कि सक्सेना जी बहुत अच्छे जीएम थे। राउंड में आते तो लोगों के साथ चाय भी पी लेते। सबको साथ लेकर चलते थे। कभी उत्तेजित नहीं होते थे।लेकिन अनुशासनहीन लोगों के खिलाफ करवाई करने में हिचकते नहीं थे। कई लोगों को सस्पेंड किया।
1996 में रिटायर हुए सक्सेना जी की इतनी बात हुई तो वहीं से उनको फोन मिलाया। बताया कि लोग आपको कैसे याद करते हैं। लोगों ने बात की। तमाम यादें साझा की। 20 साल पहले रिटायर हुए अधिकारी को लोग याद करें और अच्छे इंसान के रूप में याद करें यह अपने में एक खुशनुमा एहसास है।
आज शनिवार है। कई लोगों का वीक एन्ड शुरू हो गया होगा। उनको वीक एन्ड मुबारक।
आपका दिन मङ्गलमय हो। शुभ हो।
फ़ेसबुकिया टिप्पणियां:
- अनूप शुक्ल smile इमोटिकॉन
- Priyam Tiwari कभी जीसीएफ या सिविल लाइन की तरफ पैदल घूमिए। सदर पेंट्री नाका में चिंचू के ठेले की चाय पीजिए। जबलपुर की बारिश दुनिया की सबसे खूबसूरत बारिश है।
- अनूप शुक्ल घूमेंगे पैदल भी। चिंचू ठेले की चाय भी पिएंगे। बारिश तो खूबसूरत है ही जबलपुर की। smile इमोटिकॉन
- Priyam Tiwari एक बात और, चिंचू की चाय पीते वक़्त भूल से भी मेरा ज़िक्र न कर बैठिएगा। मुझपर उसके पान सौ रूपए आज भी उधार हैं। grin इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल हम जिक्र न करेंगे लेकिन अगर वो स्टेट्स देखकर तुम्हारा नम्बर मांग लिहिस त का करेंगे ?
- Dhirendra Srivas खुशनुमा सुबह ...वाह ,सुप्रभात...!!
- अनूप शुक्ल धन्यवाद। smile इमोटिकॉन
- Mukesh Sharma वीकएंड शुरू हुआ होगा लोगो का आप का तो विकवर्क शुरू हुआ है ।विकवर्क माने की एक छुट्टी में कम से कम दो पोस्ट।। राठौर जी की बात का मतलब समझिये ।अगर कल फिर आप फोटो खींचने का नक्की करे तो कल वो अपनी बत्तीसी लेते आवे ।फोटो जो अच्छा आवेगा ।
- अनूप शुक्ल खींचेगे फिर फोटो। लिखेंगे फिर पोस्ट। smile इमोटिकॉन
- राजेश सेन सुबह की भागमभाग में पढ़ना मुलत्वी !
- अनूप शुक्ल कोई नई। आराम से पढ़िए। ठहरकर। smile इमोटिकॉन
- Mukesh Sharma क्यों जी ,सुनते है लेखक का मन बड़ा कल्पनाशील होता है ।जैसे आप रोज मिलने वालो के वारे में सोचते है धारणा बनाते है ,वैसे ही वे भी आपके वारे में सोचते होंगे धारणा बनाते होंगे ।क्या ये संभव है की कभी आप चश्मे की उलटी साइड से देखे ।माने की हमें बतावे वे लोग आपके वारे में क्या सोचते है ।
- अनूप शुक्ल वो कुछ कुछ आप लोग बताते ही रहते हैं। smile इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल बहुत सुंदर। यह तो एक पोस्ट सरीखी हो गयी। smile इमोटिकॉन
- Virendra Bhatnagar आपकी पोस्ट पढ़कर मन का मिज़ाज ऐसा बदला कि यहाँ का मौसम बिना बूँदा-बाँदी के ही सुहाना बकौल आपके आशिक़ाना हो गया smile इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल वाह। बहुत खूब। बधाई। smile इमोटिकॉन
- Spsingh Shantiprakash Very nice
- अनूप शुक्ल धन्यवाद। smile इमोटिकॉन
- Shiksha Anuresh Bajpai हम हंसते बहुत ज्यादा हैं लोग पागल समझते हैं |
- अनूप शुक्ल लोगों को सबको अपना जैसा समझने की आदत होती है।
- Devendra Yadav बहुत ही सुन्दर।
- अनूप शुक्ल बहुत धन्यवाद।
- Sangita Mehrotra Bahut badiya
- अनूप शुक्ल धन्यवाद। smile इमोटिकॉन
- Krishn Adhar आदरणीय सक्सेना साहेव निश्चित ही सर्वोत्तम महाप्रवंधक रहे।उनके सेवानिव्रत्ति पर मैने एक शेर पढ़ा था-आज दीवाना कोई अहले चमन आया है,मैने काटों पे भी होठों के निशां देखे हैं।शेष आप का आलेख सदैव की भा़ति अह्लादकारी सुगंध से परिपूर्ण,वहुत सी आम जिंदगियों के मधुरश्पर्श से आप्लावित.।.....
- अनूप शुक्ल बहुत सुंदर शेर। धन्यवाद। smile इमोटिकॉन
- Ajai Rai Atiuttam aatisunder.
- अनूप शुक्ल धन्यवाद। smile इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल बहुत बहुत धन्यवाद। smile इमोटिकॉन
- RB Prasad हमेशा की तरह आज भी आम आदमी के जीवन को शब्दों की तुलिका से उकेर कर जीवंत कर दिया . जब भी आप एक बहुत ही साधारण व्यक्ति से मिल कर उस की असाधारण कथा को सामने लाते हैं , एक सुगंध का अनुभव होता है जो फूलों में नहीं जीवन में पाई जाती है.साधुवाद.
- अनूप शुक्ल धन्यवाद। सच तो यही है कि हर व्यक्ति अपने आप में असाधारण होता है। विशेष होता है। मुझे ऐसा लगता है। smile इमोटिकॉन
- Satish Tewari .....और आप को भी लोग जीवन पर्यन्त याद रखेंगे
- अनूप शुक्ल क्या बात है। आपकी जय हो। smile इमोटिकॉन
- राजेश सेन हँसने वालों को लोग क्या वाकई डिफाल्टर समझते हैं ?
- अनूप शुक्ल यह प्रकाश चन्द्र राठौर जी ने कहा। वैसे यह सच नहीं है। smile इमोटिकॉन
- Rashmi Suman लेकिन हँसना तो जरूरी है।
हा हा हा - अनूप शुक्ल बहुत जरूरी है। smile इमोटिकॉन
- Shailendra Kumar Jha अनूप शुक्ल जी सहजता से लिखते जाते हैं और पाठक से तादात्म्य स्थापित करके मस्ताने को उकसाते जाते हैं । भावनाओं का ये सहज प्रवाह लेखक की एक विशिष्ट पहचान बन गया है । साधुवाद !..................aap jante hain man ki baat kahne me hamara haath tang hai.....udhar ki tippani jaroor hai.....lekin hai mere dil se.............pranam.
- अनूप शुक्ल वाह क्या बात है। जय हो। smile इमोटिकॉन
- Baabusha Kohli पत्थर के इस शहर के मौसम को आशिक़ाना ही होना चाहिए हमेशा.
- अनूप शुक्ल शहर भले पत्थरों का हो लेकिन दिल इसका तो आशिकाना ही है। smile इमोटिकॉन
- कुलदीप शर्मा अत्रि बेहतरीन
- अनूप शुक्ल धन्यवाद। smile इमोटिकॉन
- Ganesh Gupta आसानी से समझ में आने वाला जीवन-दर्शन .......
कलकल करते झरने सा सहज प्रवाह आपके लेखन की विशिष्टता है अनूप" सर........और देखें - अनूप शुक्ल वाह। बहुत-बहुत आभार आपकी प्रतिक्रिया के लिए। smile इमोटिकॉन
- Ram Kumar Chaturvedi जबलपुर का कुछ मौसम आगरा भेजदें।यहाँ बहुत गर्मी है।
- अनूप शुक्ल सब जगह समस्या रिजर्वेशन की है। smile इमोटिकॉन
- Suresh Sahani रोचक आलेख।याद तो आपको भी लोग करते हैं।यदा कदा चर्चा हो ही जाती है।
- अनूप शुक्ल क्या बात है। smile इमोटिकॉन
- Suresh Sahani आज दीवाना कोई अहले-चमन आया है
मैंने काँटों पे भी होठों के निशाँ देखे है।।
बहुत सुंदर Krishn Adhar जी!किसका है? - Mahesh Shrivastava tan ghirta hai mausam se , per mausam mann se hota hai , bas ek chhuan mann ki ho ,to tan damak ke gulshan hota hai
- Alok Ranjan badhiya, prakash chandra ki baaton se hansi aayi, gd evng ji
- Om Prakash Tiwari आज नही पढ़ पाये
- Krishn Adhar साहनी साहव-न जाने कहां मिला और ध्यान मे रह गया,पता लगा कर वताऊं गा,।
- विवेक त्रिपाठी हम हँसेंगे तो लोग हमपर हँसेंगे.. वाह सर! प्रकाश जी नमस्कार
Sudhir Usrete · Friends with Mahesh Shrivastava
एक
बार फिर वही अनोखी शैली में अंतरंग व मन को छू लेने वाली बातें , लगता है
विचारों को शब्दों के पंख लग गए हैं और हम सब साथ में उडें जा रहे है ..
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