सुबह निकले आज तो लगा सर्दी होने लगी है। लोग सड़क पर कम दिख रहे थे। एक बुजुर्गवार पूरे शरीर को गरम कपड़े में ढंके खरामा-खरामा चले जा रहे थे। पुलिया पर एक सुबह टहलुआ बैठे खांसते हुए सड़क ताक रहे थे।
दो बच्चे पीठ पर बस्ता लादे, कन्टोपा पहने बतियाते हुए चले जा रहे थे। स्कूल के सामने अभी भीड़ नहीं थी। जाड़े में देर से खुलने लगे होने स्कूल।
आगे महिलाओं की दो पीढियां टहलती , गपियाती जाती दिखीं। युवा पीढ़ी स्वेटर, जीन्स में चुस्त, दुरुस्त टाइप और बुजुर्ग पीढ़ी शाल सलवार कुर्ते में सहज विस्तार के साथ चली जा रही थीं। उनके आगे टहलते एक आदमी को देखकर लगा कि प्रकृति ने महिलाओं को सृजन की महती जिम्मेदारी दी है तो सहज सौंदर्य भी उसी के साथ पुरुष के मुकाबले बेहतर प्रदान किया है।
एक जगह एक आदमी सड़क पर बनी हनुमान जी की प्रतिमा के सामने झुका पूजा जैसी कुछ कर रहा था। सर जमीन पर टिका था हनुमान जी की अर्चना में। उसके नितम्ब पीछे तोप की तरह ऐसे उठे थे मानों उससे सूरज भगवान को सलामी दे रहा हो। 'मल्टी टास्किंग' की तर्ज पर दो भगवानों को एक साथ पटा रहा था। पता नहीं किससे काम बन जाए।
पूजा करते हुए वह कुछ बोलता भी जा रहा था। उसके बोल शिकायती से थे। वो तो कहो हनुमान जी सड़क पर थे जो उसकी आवाज सुन ले रहे थे क्योंकि कोई और भक्त था नहीं वहां। किसी प्रसिद्ध मन्दिर जहां प्रसाद ज्यादा चढ़ता है वहां इत्ती देर बात करने की परमिशन थोड़ी देता पुजारी। बाहर कर देता दो मिनट में--'चलो आगे बढ़ो' कहते हुए।
पंकज टी स्टॉल पर एक आदमी चाय पीता हुआ मिला। नाम राजू । उम्र करीब 32 साल।उसके पैर के नाखून आगे को निकले हुए थे। उसी से बात शुरू हुई - 'नाखून दर्द करते होंगे?' बोला -'हां, बहुत दर्द करते हैं किनारे'।
हमने बताया-'दवा कराओ। ये फंगस है। हमारे भी है नाखून में। साल भर इलाज चलेगा।ठीक हो जाएगा।' बोला-'हौ। कराएंगे। दवाई ली थी। फायदा हुआ। दर्द कम रहा। दवा बन्द कर दी। अब फिर दिखाएँगे।'
पता चला वह नगर निगम में सफाई का काम करता है। सड़क पर झाड़ू लगाता है। 1 बजे तक ड्यूटी करता है। आठ घण्टे की ड्यूटी। मतलब 5 बजे आया होगा। ठेकेदार 4000 रूपये महीना देता है। महीने में काम के दिन अगर 25 मान लें तो 160 रुपया रोज के। आज के दिन जबलपुर में न्यूनतम वेतन 260 से ऊपर ही है। मतलब इससे काम भुगतान देने वाले को जुर्माना लगेगा। सजा होगी।
पर ऐसा धड़ल्ले से हो रहा है। 100 रुपया रोज काम दिया जा रहा है। महीने में 2500 रूपये प्रति आदमी काम भुगतान हो रहा है। जबकि नगर निगम या किसी भी संस्थान से भुगतान पूरा होता है। यहाँ कम से कम 100 रूपये का प्रति आदमी का हेर फेर बिचौलियों के पास जाता है। इसका कोई हिसाब-किताब नहीं होता। कोई कर नहीँ दिया जाता इस पर। यह 'ब्लैक मनी' किसी स्विस बैंक में नहीं जाती। यहीं टहलती है सीना ताने संस्कारधानी की सड़कों पर, दुकानों पर, माल्स में, बाजार में। देश भर का हिसाब देखा जाए तो अरबों रूपये रोज का काला धन पैदा होता देश में और यहीं खप जाता है।
जहां भी सरकारी पद समाप्त करके व्यवस्थाएं ठेके पर दी गयीं हैं वहां और कुछ भले न हुआ हो पर मजदूरों का शोषण और न्यूनतम वेतन क़ानून को ठेंगा दिखाते हुए काले धन का सृजन सुनिश्चित हुआ है।
राजू की आँखें बड़ी-बड़ी। चेहरा एकदम काला। दांत सफेद। बांदा के रहवासी। हमने पूछा -वहाँ टुनटुनिया पहाड़ देखा है, केन नदी में नहाये कभी तो वो बोला नहीं। बहुत पहले गए थे।
एक और आदमी आ गया वहां। उसके साथ आड़ में जाकर चिलम संवारने लगा राजू।। बताया कि 11 साल के थे तबसे गांजा पी रहे। साथ के आदमी ने बताया -'बेनीबाग थाने के सामने खुल्ले आम बिकता है गांजा। बोरी भर गांजा रोज बिकता है। जे मोटी गड्डी नोटन की थाने वालन को मिलती हैं। कोउ कछू न बोलत। हम 20 रुपया की पुड़िया लाये। दो टाइम की फुरसत। सुबह मिल जात। दोपहर बाद तो 500 के नीचे मांग लेव तो ऐसे देखत कि न जाने कहां ते चले आये।'
हमने उससे कहा-'तुम लोग सुबह-सुबह गांजा पीते हो। सांस लेते नहीँ बनती। हाँफते हो। ऐसा भी क्या नशा करना?'
इस पर उसने नई पीढ़ी के किस्से सुनाने शुरू कर दिए- 'आज कल के लौंडे तो 20 रुपया की कच्ची लेत ग्लास में और 2 रुपया की उबली टांग और पी के मुंह पोंछ के चल देत।' उसके बयान से लग रहा था किसी राजनैतिक पार्टी का प्रवक्ता अपनी सरकार के किसी घपले-घोटाले के बचाव में दूसरी पार्टी की सरकारों के बड़े घपले-घोटाले गिनाने लगा हो।
राजू की शादी नहीं हुई है। करना चाहते हैं ताकि कोई रोटी बनाने वाली आये। औरत का सुख मिले। हमने कहा-'तुम गांजा पीते हो तो कौन लड़की तुमसे शादी करेगी?' इस पर वह बोला-'अब छोड़ देंगे।'
32 साल का आदमी जो 21 साल से गांजे का लती हो कहे कि अब गांजा छोड़ देंगे सुनकर ऐसा ही लगा जैसा किसी नई सरकार का मुखिया कहे-'हम भृष्टाचार जड़ से मिटा देंगे।'
वहीं एक बच्चा बैठा चाय पी रहा था। 12 वीं में पढ़ता है। कामर्स की ट्यूशन पढ़ने जा रहा था सुबह 7 बजे। पापा पीडब्ल्यूडी में काम करते हैं। हमने पूछा चाय पीकर घर से नहीं चले? बोला- नहीं।
इतने में जीसीएफ के कर्मचारी आ गए। हमने बताया की 7 वें पे कमीशन में 33/60 की रिटायरमेंट स्कीम नहीं लागू होगी। सुनते ही वह लपककर खुश हुई। चेहरे पर चमक धारण करके पूछा- कब आई यह खबर। हमने कहा- कल रात देखी टीवी पर। वे खुश तो हुए सुनकर पर मुझे लगा कि जब भी खबर देखेंगे अखबार में या टीवी पर तो उलाहना देंगे- हम तुम्हारा यहाँ इन्तजार करते रहे और तुम मेरे पास इत्ती देर से आयी। बहुत नटखट खबर हो तुम।
दो बच्चे पीठ पर बस्ता लादे, कन्टोपा पहने बतियाते हुए चले जा रहे थे। स्कूल के सामने अभी भीड़ नहीं थी। जाड़े में देर से खुलने लगे होने स्कूल।
आगे महिलाओं की दो पीढियां टहलती , गपियाती जाती दिखीं। युवा पीढ़ी स्वेटर, जीन्स में चुस्त, दुरुस्त टाइप और बुजुर्ग पीढ़ी शाल सलवार कुर्ते में सहज विस्तार के साथ चली जा रही थीं। उनके आगे टहलते एक आदमी को देखकर लगा कि प्रकृति ने महिलाओं को सृजन की महती जिम्मेदारी दी है तो सहज सौंदर्य भी उसी के साथ पुरुष के मुकाबले बेहतर प्रदान किया है।
एक जगह एक आदमी सड़क पर बनी हनुमान जी की प्रतिमा के सामने झुका पूजा जैसी कुछ कर रहा था। सर जमीन पर टिका था हनुमान जी की अर्चना में। उसके नितम्ब पीछे तोप की तरह ऐसे उठे थे मानों उससे सूरज भगवान को सलामी दे रहा हो। 'मल्टी टास्किंग' की तर्ज पर दो भगवानों को एक साथ पटा रहा था। पता नहीं किससे काम बन जाए।
पूजा करते हुए वह कुछ बोलता भी जा रहा था। उसके बोल शिकायती से थे। वो तो कहो हनुमान जी सड़क पर थे जो उसकी आवाज सुन ले रहे थे क्योंकि कोई और भक्त था नहीं वहां। किसी प्रसिद्ध मन्दिर जहां प्रसाद ज्यादा चढ़ता है वहां इत्ती देर बात करने की परमिशन थोड़ी देता पुजारी। बाहर कर देता दो मिनट में--'चलो आगे बढ़ो' कहते हुए।
पंकज टी स्टॉल पर एक आदमी चाय पीता हुआ मिला। नाम राजू । उम्र करीब 32 साल।उसके पैर के नाखून आगे को निकले हुए थे। उसी से बात शुरू हुई - 'नाखून दर्द करते होंगे?' बोला -'हां, बहुत दर्द करते हैं किनारे'।
हमने बताया-'दवा कराओ। ये फंगस है। हमारे भी है नाखून में। साल भर इलाज चलेगा।ठीक हो जाएगा।' बोला-'हौ। कराएंगे। दवाई ली थी। फायदा हुआ। दर्द कम रहा। दवा बन्द कर दी। अब फिर दिखाएँगे।'
पता चला वह नगर निगम में सफाई का काम करता है। सड़क पर झाड़ू लगाता है। 1 बजे तक ड्यूटी करता है। आठ घण्टे की ड्यूटी। मतलब 5 बजे आया होगा। ठेकेदार 4000 रूपये महीना देता है। महीने में काम के दिन अगर 25 मान लें तो 160 रुपया रोज के। आज के दिन जबलपुर में न्यूनतम वेतन 260 से ऊपर ही है। मतलब इससे काम भुगतान देने वाले को जुर्माना लगेगा। सजा होगी।
पर ऐसा धड़ल्ले से हो रहा है। 100 रुपया रोज काम दिया जा रहा है। महीने में 2500 रूपये प्रति आदमी काम भुगतान हो रहा है। जबकि नगर निगम या किसी भी संस्थान से भुगतान पूरा होता है। यहाँ कम से कम 100 रूपये का प्रति आदमी का हेर फेर बिचौलियों के पास जाता है। इसका कोई हिसाब-किताब नहीं होता। कोई कर नहीँ दिया जाता इस पर। यह 'ब्लैक मनी' किसी स्विस बैंक में नहीं जाती। यहीं टहलती है सीना ताने संस्कारधानी की सड़कों पर, दुकानों पर, माल्स में, बाजार में। देश भर का हिसाब देखा जाए तो अरबों रूपये रोज का काला धन पैदा होता देश में और यहीं खप जाता है।
जहां भी सरकारी पद समाप्त करके व्यवस्थाएं ठेके पर दी गयीं हैं वहां और कुछ भले न हुआ हो पर मजदूरों का शोषण और न्यूनतम वेतन क़ानून को ठेंगा दिखाते हुए काले धन का सृजन सुनिश्चित हुआ है।
राजू की आँखें बड़ी-बड़ी। चेहरा एकदम काला। दांत सफेद। बांदा के रहवासी। हमने पूछा -वहाँ टुनटुनिया पहाड़ देखा है, केन नदी में नहाये कभी तो वो बोला नहीं। बहुत पहले गए थे।
एक और आदमी आ गया वहां। उसके साथ आड़ में जाकर चिलम संवारने लगा राजू।। बताया कि 11 साल के थे तबसे गांजा पी रहे। साथ के आदमी ने बताया -'बेनीबाग थाने के सामने खुल्ले आम बिकता है गांजा। बोरी भर गांजा रोज बिकता है। जे मोटी गड्डी नोटन की थाने वालन को मिलती हैं। कोउ कछू न बोलत। हम 20 रुपया की पुड़िया लाये। दो टाइम की फुरसत। सुबह मिल जात। दोपहर बाद तो 500 के नीचे मांग लेव तो ऐसे देखत कि न जाने कहां ते चले आये।'
हमने उससे कहा-'तुम लोग सुबह-सुबह गांजा पीते हो। सांस लेते नहीँ बनती। हाँफते हो। ऐसा भी क्या नशा करना?'
इस पर उसने नई पीढ़ी के किस्से सुनाने शुरू कर दिए- 'आज कल के लौंडे तो 20 रुपया की कच्ची लेत ग्लास में और 2 रुपया की उबली टांग और पी के मुंह पोंछ के चल देत।' उसके बयान से लग रहा था किसी राजनैतिक पार्टी का प्रवक्ता अपनी सरकार के किसी घपले-घोटाले के बचाव में दूसरी पार्टी की सरकारों के बड़े घपले-घोटाले गिनाने लगा हो।
राजू की शादी नहीं हुई है। करना चाहते हैं ताकि कोई रोटी बनाने वाली आये। औरत का सुख मिले। हमने कहा-'तुम गांजा पीते हो तो कौन लड़की तुमसे शादी करेगी?' इस पर वह बोला-'अब छोड़ देंगे।'
32 साल का आदमी जो 21 साल से गांजे का लती हो कहे कि अब गांजा छोड़ देंगे सुनकर ऐसा ही लगा जैसा किसी नई सरकार का मुखिया कहे-'हम भृष्टाचार जड़ से मिटा देंगे।'
वहीं एक बच्चा बैठा चाय पी रहा था। 12 वीं में पढ़ता है। कामर्स की ट्यूशन पढ़ने जा रहा था सुबह 7 बजे। पापा पीडब्ल्यूडी में काम करते हैं। हमने पूछा चाय पीकर घर से नहीं चले? बोला- नहीं।
इतने में जीसीएफ के कर्मचारी आ गए। हमने बताया की 7 वें पे कमीशन में 33/60 की रिटायरमेंट स्कीम नहीं लागू होगी। सुनते ही वह लपककर खुश हुई। चेहरे पर चमक धारण करके पूछा- कब आई यह खबर। हमने कहा- कल रात देखी टीवी पर। वे खुश तो हुए सुनकर पर मुझे लगा कि जब भी खबर देखेंगे अखबार में या टीवी पर तो उलाहना देंगे- हम तुम्हारा यहाँ इन्तजार करते रहे और तुम मेरे पास इत्ती देर से आयी। बहुत नटखट खबर हो तुम।
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