"आप लोग बेईमान अधिकारियों का स्टिंग करिये। हम उनको जेल भेजेंगे।" -मुख्यमंत्री जी ने घोषणा की।
जनता मुख्यमंत्री जी आवाहन पर स्टिंग में जुट गयी। बाबू पकड़ा गया। जमानत , पेशी के बाद मुकदमा शुरु हुआ।
मुकदमें की गवाही के दौरान बाबू से पूछताछ हुई तो उसने बताया- "साहब को देना होता था इसलिये हमें लेना पड़ता था।" -सबूत के लिये बाबू ने साहब से बातचीत का रिकार्ड पेश कर दिया। रिकार्डिंग में साहब अपने बाबू को वसूली के लिये धमकाते हुये सुनाई दे रहे थे।
साहब से पूछताछ हुई। उन्होंने भी बड़े साहब का स्टिंग पेश कर दिया। स्टिंग में बड़े साहब मासूमियत से साहब की बिगड़ती परफ़ार्मेंन्स की सूचना देते हुये लक्ष्य के अनुसार काम करने के लिये हड़काते पाये गये। साहब ने बताया -"हमको ऊपर पहुंचाना होता था इसलिये नीचे से मंगाना हमारी मजबूरी थी।"
बड़े साहब से बात होते हुये सचिव तक पहुंची। सबको अपने साहब को संतुष्ट करना था इसीलिये वे पूरी ईमानदारी से बेईमानी में लिप्त थे। सिस्टम की रक्षा के लिये सिस्टम को चौपट कर रहे थे।
सचिव से पूछताछ हुयी तो उन्होंने मंत्री जी का स्टिंग पेश किया। मंत्री जी उनको हड़काते हुये कह रहे थे-" हम यहां आपकी तरह जिन्दगी भर के लिये नौकरी करने नहीं आये हैं। हमारे पास समय कम है। लक्ष्य बड़ा है। इसलिये तेजी से वसूली का काम करना है।"
मंत्री जी से पूछताछ हुई तो उन्होंने बताया-" हम बेईमानों को जेल में डालने के वायदे करके सत्ता में आये हैं। अपना वायदा पूरा करने के लिये हमने अपने यहां बेईमानी को प्रोत्साहित करने के लिये यह कदम उठाया है ताकि हम ज्यादा से ज्यादा बेईमानों को सजा दिलवाकर अपना वायदा पूरा कर सकें। इसीलिये हमने अपने अधिकारियों से बेईमानी का और जनता से स्टिंग का आवाहन किया है। "
अदालत ने अंतत: जनता से पूछा- "तुम्हारे उकसावे पर ही सब लफ़ड़ा हुआ है। क्यों न तुमको जेल भेज दिया जाये।"
अगर ऐसा कर सकें तो बहुत मेहरबानी होगी साहब। जेल में कम से कम खाने-पीने की तो सहूलियत रहेगी। सच पूछिये तो इसी मंशा से हमने यह स्टिंग किया है। वर्ना जिस काम के लिये बाबू जी लेन-देन की बात तय हुई थी वह हमें कराना ही नहीं था। उस काम की हमारी औकात ही नहीं है।
अदालत ने बाबू और अन्य अधिकारियों को बाइज्जत बरी कर दिया। अपना समय बरबाद करने के लिये जनता को चेतावनी देकर छोड़ दिया।
मुख्यमंत्री जी अखबारों में बयान दे रहे हैं- "जनता और अदालत मिले हुये हैं।"
जनता मुख्यमंत्री जी आवाहन पर स्टिंग में जुट गयी। बाबू पकड़ा गया। जमानत , पेशी के बाद मुकदमा शुरु हुआ।
मुकदमें की गवाही के दौरान बाबू से पूछताछ हुई तो उसने बताया- "साहब को देना होता था इसलिये हमें लेना पड़ता था।" -सबूत के लिये बाबू ने साहब से बातचीत का रिकार्ड पेश कर दिया। रिकार्डिंग में साहब अपने बाबू को वसूली के लिये धमकाते हुये सुनाई दे रहे थे।
साहब से पूछताछ हुई। उन्होंने भी बड़े साहब का स्टिंग पेश कर दिया। स्टिंग में बड़े साहब मासूमियत से साहब की बिगड़ती परफ़ार्मेंन्स की सूचना देते हुये लक्ष्य के अनुसार काम करने के लिये हड़काते पाये गये। साहब ने बताया -"हमको ऊपर पहुंचाना होता था इसलिये नीचे से मंगाना हमारी मजबूरी थी।"
बड़े साहब से बात होते हुये सचिव तक पहुंची। सबको अपने साहब को संतुष्ट करना था इसीलिये वे पूरी ईमानदारी से बेईमानी में लिप्त थे। सिस्टम की रक्षा के लिये सिस्टम को चौपट कर रहे थे।
सचिव से पूछताछ हुयी तो उन्होंने मंत्री जी का स्टिंग पेश किया। मंत्री जी उनको हड़काते हुये कह रहे थे-" हम यहां आपकी तरह जिन्दगी भर के लिये नौकरी करने नहीं आये हैं। हमारे पास समय कम है। लक्ष्य बड़ा है। इसलिये तेजी से वसूली का काम करना है।"
मंत्री जी से पूछताछ हुई तो उन्होंने बताया-" हम बेईमानों को जेल में डालने के वायदे करके सत्ता में आये हैं। अपना वायदा पूरा करने के लिये हमने अपने यहां बेईमानी को प्रोत्साहित करने के लिये यह कदम उठाया है ताकि हम ज्यादा से ज्यादा बेईमानों को सजा दिलवाकर अपना वायदा पूरा कर सकें। इसीलिये हमने अपने अधिकारियों से बेईमानी का और जनता से स्टिंग का आवाहन किया है। "
अदालत ने अंतत: जनता से पूछा- "तुम्हारे उकसावे पर ही सब लफ़ड़ा हुआ है। क्यों न तुमको जेल भेज दिया जाये।"
अगर ऐसा कर सकें तो बहुत मेहरबानी होगी साहब। जेल में कम से कम खाने-पीने की तो सहूलियत रहेगी। सच पूछिये तो इसी मंशा से हमने यह स्टिंग किया है। वर्ना जिस काम के लिये बाबू जी लेन-देन की बात तय हुई थी वह हमें कराना ही नहीं था। उस काम की हमारी औकात ही नहीं है।
अदालत ने बाबू और अन्य अधिकारियों को बाइज्जत बरी कर दिया। अपना समय बरबाद करने के लिये जनता को चेतावनी देकर छोड़ दिया।
मुख्यमंत्री जी अखबारों में बयान दे रहे हैं- "जनता और अदालत मिले हुये हैं।"
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