आज दोपहर को पुलिया पर चरवाहा जी मिले। बकरियां दूर चर रहीं थीं। सामने की ’बुर्जुआ पुलिया’ के पास ट्रैक्टर में रोड़ी, पत्थर, मौरम लदे थे। हमें लगा कि शायद कुछ काम-धाम होना है पुलिया पर। चरवाहे भाई ने बताया कि यहां सड़क पर ’उछलने वाला’ बना रहे हैं। हमने सोचा कि ये उछलने वाला या उचकने वाला क्या बन रहा है सड़क पर! पता चला ’स्पीड ब्रेकर’ बन रहा है।
साथ वाले भाईजी के मोबाइल में गाना बज रहा था- "सोलह बरस की बाली उमर को सलाम"
अब वहां कोई सोलह बरस का तो मौजूद नहीं था। समझ लिया जाये कि गाना खास पाठक के लिये बज रहा था- "सोलह बरस की बाली उमर को सलाम"
- Anup Sethi भाई हमनाम जी, आपका पुलिया का यह मंच और इस पर आने वाले किरदार और आपकी नज़र - सीन दर सीन बनता जा रहा है और खूब बन रहा है। मज़ा आ रहा है।
- अनूप शुक्ल 14 जून को दोनों पुलिया साथ-साथ दिखी थीं जोड़े से। देखो ये पोस्ट Amit Kumar Srivastava http://fursatiya.blogspot.in/2014/06/blog-post_40.html
- अनूप शुक्ल पुलिया पर तमाम लोग आते हैं बैठने आते हैं। उनमें कुछ पात्र भले वे ही होते हैं लेकिन कहानी अक्सर अलग होती है। पिछले से आगे का विस्तार! @Virendra Bhatnagar
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