आज
पुलिया पर फ़िर रामफ़ल यादव से मुलाकात हुयी। आज सेब, अनार और केला थे
ठेलिया में। सेब थोड़े छोटे थे। हमने कहा तो बोले- "जबलपुर का आदमी बड़े सेब
नहीं खाता। बड़ा सेब पंजाब, हरियाणा का आदमी खाता है। कभी-कभी खराब निकल
जाता है बड़ा सेब। " गरज कि हजार बुराई होती हैं बड़े सेब में।
रामफ़ल हमसे बतियाते हुये अनार छीलते ठेलिया पर सजाते रहे। ऊंचा सुनते हैं तो अपनी ही हांकते रहते हैं। लगता है किसी बड़े अफ़सर से बात हो रही है जो बिना किसी की सुने अपनी ही बात ठेलता रहता है।
सड़क की पल्ली तरफ़ अजय तिवारी जी एक खंभे पर आसन लगाये बैठे थे। उनकी तरफ़ इशारा करते हुये रामफ़ल बोले-"हाईकोर्ट की नौकरी है, अपना मकान है, लड़का कमाता है तो बैठे रहते हैं खंभे पर योग करते। यहां तो मेहनत मजूरी करना पड़ता है तब जिन्दा रहने का जुगाड़ होता है।" रामफ़ल के कहन के अन्दाज से लगा वे पुलिया पर योगासन निठल्लों का काम मानते हैं।
रामफ़ल ने हमने पूछा- "अबकी बार बहुत दिन बाद दिखे बाबूजी। क्या गांव गए थे? " इस बीच एक मोटरसाइकिल वाला मोटरसाइकिल पर दूध के डिब्बे लादे ठेलिया के पास रुका। रामफ़ल ने उसको दो केले और एक सेब थमाया और उसे पैसे लिये। कोई भाव-ताव नहीं। वह वहीं पर केेले छीलकर खाने लगा। रोज का गाहक होगा।
इस बीच सड़क पार से अजय तिवारी जी टहलते हुये पुलिया पर आ गये। योग के बारे में बताने लगे। बोेले- "हमारे गुरु शुक्लाजी दो इंच की जगह पर पद्मासन लगा लेते थे। योग एक कला है। आजकल मैं साइकिल के डंडे पर पद्मासन लगाने का अभ्यास कर रहा हूं।"
हमने पूछा कि घर में आपके सिवाय और कोई योग करता है तो बोले नही। किसी और को रुचि नहीं। हमने कहा- "आप अपने आसपास बच्चों को सिखायें योग तो अच्छा रहेगा। "
इस पर वे बोले- "किसको सिखायें ? कोई सीखना ही नहीं चाहता! " सही भी है। सबको तो योग बाबा रामदेव ने सिखा दिया। अब किसी और के सिखाने के लिये रह ही क्या गया!
तिवारी जी का रिटायरमेंट के बाद साइकिल पर भारत भ्रमण का प्लान है।
रामफ़ल यादव मौज लेते हुये तिवारी जी से बोले- " साहब तुम्हारी फोटो खींचेगे। दुनिया भर में छपेगे। फ़िर बंबई ले जायेंगे तुमको। वहां अमिताभ बच्चन के घोड़ों की मालिश का काम मिल जायेगा। " इतना कहने के बाद ताली बजाकर हंसने लगे।
रामफ़ल ने फ़िर बताया - "भतीजा सुबह छोड़ जाता है। शाम को ठेला बाजार में लगवा देता है। इसके पैसे लेता है वो। लड़का कहता है- भाई के बेटे को पैेस देते हो ठेला घसीटने के। हम फ़्री में क्यों करेंगे। सब खेल पैसे है बाबू जी।"
इस बीच तिवारी जी चुनही तम्बाकू रगड़ने लगे। बोले - "खाकर थूक देते हैं। "
स्वास्थ्य के लिहाज से पानी कभी बाहर का नहीं पीते लेकिन तम्बाकू से परहेज नहीं।आज अमरकंटक एक्सप्रेस से चले जायेंगे तिवारी जी बिलासपुर।
रामफ़ल यादव अपने ग्राहक में व्यस्त हो गये। हम वापस लौट आये। रामफ़ल की कई बार कही बात याद करते हुये- "सब पैसे का खेल है बाबूजी। पैसे का खेल।"
रामफ़ल हमसे बतियाते हुये अनार छीलते ठेलिया पर सजाते रहे। ऊंचा सुनते हैं तो अपनी ही हांकते रहते हैं। लगता है किसी बड़े अफ़सर से बात हो रही है जो बिना किसी की सुने अपनी ही बात ठेलता रहता है।
सड़क की पल्ली तरफ़ अजय तिवारी जी एक खंभे पर आसन लगाये बैठे थे। उनकी तरफ़ इशारा करते हुये रामफ़ल बोले-"हाईकोर्ट की नौकरी है, अपना मकान है, लड़का कमाता है तो बैठे रहते हैं खंभे पर योग करते। यहां तो मेहनत मजूरी करना पड़ता है तब जिन्दा रहने का जुगाड़ होता है।" रामफ़ल के कहन के अन्दाज से लगा वे पुलिया पर योगासन निठल्लों का काम मानते हैं।
रामफ़ल ने हमने पूछा- "अबकी बार बहुत दिन बाद दिखे बाबूजी। क्या गांव गए थे? " इस बीच एक मोटरसाइकिल वाला मोटरसाइकिल पर दूध के डिब्बे लादे ठेलिया के पास रुका। रामफ़ल ने उसको दो केले और एक सेब थमाया और उसे पैसे लिये। कोई भाव-ताव नहीं। वह वहीं पर केेले छीलकर खाने लगा। रोज का गाहक होगा।
इस बीच सड़क पार से अजय तिवारी जी टहलते हुये पुलिया पर आ गये। योग के बारे में बताने लगे। बोेले- "हमारे गुरु शुक्लाजी दो इंच की जगह पर पद्मासन लगा लेते थे। योग एक कला है। आजकल मैं साइकिल के डंडे पर पद्मासन लगाने का अभ्यास कर रहा हूं।"
हमने पूछा कि घर में आपके सिवाय और कोई योग करता है तो बोले नही। किसी और को रुचि नहीं। हमने कहा- "आप अपने आसपास बच्चों को सिखायें योग तो अच्छा रहेगा। "
इस पर वे बोले- "किसको सिखायें ? कोई सीखना ही नहीं चाहता! " सही भी है। सबको तो योग बाबा रामदेव ने सिखा दिया। अब किसी और के सिखाने के लिये रह ही क्या गया!
तिवारी जी का रिटायरमेंट के बाद साइकिल पर भारत भ्रमण का प्लान है।
रामफ़ल यादव मौज लेते हुये तिवारी जी से बोले- " साहब तुम्हारी फोटो खींचेगे। दुनिया भर में छपेगे। फ़िर बंबई ले जायेंगे तुमको। वहां अमिताभ बच्चन के घोड़ों की मालिश का काम मिल जायेगा। " इतना कहने के बाद ताली बजाकर हंसने लगे।
रामफ़ल ने फ़िर बताया - "भतीजा सुबह छोड़ जाता है। शाम को ठेला बाजार में लगवा देता है। इसके पैसे लेता है वो। लड़का कहता है- भाई के बेटे को पैेस देते हो ठेला घसीटने के। हम फ़्री में क्यों करेंगे। सब खेल पैसे है बाबू जी।"
इस बीच तिवारी जी चुनही तम्बाकू रगड़ने लगे। बोले - "खाकर थूक देते हैं। "
स्वास्थ्य के लिहाज से पानी कभी बाहर का नहीं पीते लेकिन तम्बाकू से परहेज नहीं।आज अमरकंटक एक्सप्रेस से चले जायेंगे तिवारी जी बिलासपुर।
रामफ़ल यादव अपने ग्राहक में व्यस्त हो गये। हम वापस लौट आये। रामफ़ल की कई बार कही बात याद करते हुये- "सब पैसे का खेल है बाबूजी। पैसे का खेल।"
- अनूप शुक्ल पद्मासन में तो योगी सीधे परमसत्ता से जुड़ता है! आगे पीछे क्या रखना किसी को! Kamlesh Mishra
- Girish Mukul फोटू हैचवावे वारे कजाने का का कराउत हैं बड्डे । बांस पै न बिठइयो तिवारी जी खौं हाई कोरट में नालिश न ठुक जाए कहूं
- Padm Singh पद्मासन तो ठीक है... हमारे ऋषि मुनि और भी सैकड़ो टाइप 'आसन' खोज कर दे गए हैं..... बड़े तगड़े खोजी रहे हैं अपने यहाँ भी।
- Vijay Tiwari Lgta hai tiwari ji ko fotoo khichwane ka aur anoop ji ko kheenchane ka ..... chadh gaya hai.
- Vivek Ranjan Shrivastava आदरणीय तिवारी जी से विनम्र क्षमा याचना के साथ मेरे केमरे से खिंचा एक चित्र।
- Jagdish Warkade Aisa lag raha hai jaise "Under Punishment "hai...guruji ne inko MOORGA banaya hai jaise...
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