यह बच्ची अपने भाई को बिठाये कई कोशिशों के बाद उचक-उचक कर साइकिल चला रही थी। मैंने उससे पूछा- 'साइकिल चलाना सीख रही हो क्या?'
इस पर बच्ची ने कहा-' नहीं ! भाई को घुमा रहे हैं।'
साइकिल के कैरियर पर कुछ सहमा सा बैठा बच्चा कल को शायद यह दिन भूल जाये और कुछ दिन बाद बड़ा होकर अपनी बहन पर तमाम पाबंदिया लगाने वालों के गिरोह में शामिल हो जाए।
इस पर बच्ची ने कहा-' नहीं ! भाई को घुमा रहे हैं।'
साइकिल के कैरियर पर कुछ सहमा सा बैठा बच्चा कल को शायद यह दिन भूल जाये और कुछ दिन बाद बड़ा होकर अपनी बहन पर तमाम पाबंदिया लगाने वालों के गिरोह में शामिल हो जाए।
पाबंदियों वाली
बात से एक सच्ची घटना याद आ गयी। एक लड़की ने अपनी मर्जी के लडके से शादी
कर ली तो उसके भाई ने अपना इरादा जताते हुए कहा-" जिस दिन वह दिख गयी वह
दिन उसकी (बहन की) जिंदगी का आखिरी दिन होगा।
- Anil Singh, Vijendra S Vij, Sandhya Rai और 139 अन्य को यह पसंद है.
- Pooja Singh बचपन में जब कोई दादी की उम्र की औरत हम तीनो बहनो को कहती थी की भगवान ने एक भाई नहीं दिया तो कभी कभी बुरा लग जाता था। पर जैसे जैसे बड़े होते गए और बाकी दोस्तों को देखा जिनके भाई थे वो बिना भाई के इजाजत के मोह्हले से बाहर भी नहीं जा सकती थी , हमेशा सोचती थी की भगवन जी अच्छा किया जो भाई नहीं दिया। आपकी पोस्ट ने बहुत सी यादें ताजा कर दीं , सच में भाई ऐसा करते हैं।
- Virendra Bhatnagar आज भी हमारा समाज यह नहीं मानता कि स्त्री चाहे वह किसी भी आयु की हो, किसी भी रिश्ते में हो, को अपनी ज़िन्दगी से जुड़े फ़ैसले ख़ुद लेने का अधिकार है । हाँ अपवाद हर जगह हैं ।
- Anita Jerath Palta · Friends with Meenakshi Dhanwantri
हम अपनी ज़िंदगी जीते ही कब हैं?ज़िंदगी जीएं ...तो बगावत न कहलाएगी !!! - Parveen Chopra मुझे भी अपनी बड़ी बहन के लेडी साईकिल के पीछे बैठ कर सैर करने के दिन याद आ गये....
बेहतरीन एवं संवेदनशील पोस्ट...बहुत कुछ सोचने पर मजबूर करने वाली पोस्ट....
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