आज
सबेरे फ़िर अजय तिवारी जी से मुलाकात हुई। सर्वहारा पुलिया की बजाय बुर्जुआ
पुलिया पर आसन जमाये। हमने पूछा आज इधर कैसे उस पुलिया के बजाय तो बोले
-उधर कीड़े आते हैं! तबियत के बारे में पूछा तो बताये कि तबियत अब ठीक है।
कल चले जायेंगे बिलासपुर। वहीं हाईकोर्ट में काम करते हैं तिवारी जी।
तिवारी जी से साइकिल के बारे में बात होने लगी। हर्क्युलिस साइकिल है उनके पास। कुछ दिन पहले खरीदी 3300 में। इसके पहले रेले साइकिल थी। चालीस साल तक उसको चलाया। कुछ दिन पहले चोरी चली गयी रेले साइकिल तो ये हर्क्युलिस खरीदी।
तिवारी जी से साइकिल के बारे में बात होने लगी। हर्क्युलिस साइकिल है उनके पास। कुछ दिन पहले खरीदी 3300 में। इसके पहले रेले साइकिल थी। चालीस साल तक उसको चलाया। कुछ दिन पहले चोरी चली गयी रेले साइकिल तो ये हर्क्युलिस खरीदी।
रेले और हर्क्युलिस में कौन अच्छी लगती है साइकिल? यह पूछना नहीं पड़ा।
खुदै बताये तिवारी जी। रेले साइकिल की बात ही और थी। उसमें लोहा भारी था।
ये हल्की है इसे चलाने में वो मजा नहीं आता। रेले चलाने में मजा आता था।
साइकिल की बात से याद आया कि अपन जब सन 1983 में साइकिल से भारत दर्शन के लिये जा रहे थे ’जिज्ञासु यायावर’ बनकर तो हमने हीरो की साइकिल खरीदी थी। उस समय 275/- की पड़ी थी। अब बहुत दिन से फ़िर सोच रहे हैं साइकिल खरीदने की। चलाने के लिये। लेकिन टलता जा रहा है मामला।
साइकिल की बात से याद आया कि अपन जब सन 1983 में साइकिल से भारत दर्शन के लिये जा रहे थे ’जिज्ञासु यायावर’ बनकर तो हमने हीरो की साइकिल खरीदी थी। उस समय 275/- की पड़ी थी। अब बहुत दिन से फ़िर सोच रहे हैं साइकिल खरीदने की। चलाने के लिये। लेकिन टलता जा रहा है मामला।
- Roli Awasthi, Sunayana Subeer, Avaidya Nath Dubey और 52 अन्य को यह पसंद है.
- Anil Uniyal बहुत दिन से फ़िर सोच रहे हैं साइकिल खरीदने की। चलाने के लिये। लेकिन टलता जा रहा है मामला। apna bhi kuch aisa hi hai traffic dekh kar
- अनूप शुक्ल किसी भी आयोग की नियति अंतत: भंग हो जाना ही होती है। ’योजना आयोग’ का हाल देखकर ’ पुलिया आयोग’ बनाने का मन नहीं करता। संजय अनेजा
- Kiran Dixit Tiwari ji ko is pulliya ka chaska sa lug gaya hai, photo jo khichti hai.Dakhiye, unse prarit hoker kai logon ka cycle ke taraf rujhan hua hai. Tewari ji kaiyon ke prarna srota ban gaye. Pulliya ji ko sadhuvad.
- Girish Mukul जबलईपुर वर्ल्ड में सैकलन के काजे फैमस हतो । इतै के सैकल रिक्शन पै कुल्ल लिक्खो गओ है । अनूप शुक्ल जी सैकल खरीदबो इतै सैकल कसाबो कहाउत है समझे कक्का
- ज्ञानेन्द्र मोहन 'ज्ञान' अब हवाई जहाज से भी जाने का वक़्त नहीं है। तब सायकिल बड़ी मुश्किल से मुहैया होती थी।
वक़्त वक़्त की बात है शुक्ल जी। - डॉ किरण मिश्रा JYADA PULIYA KE CHITR NA LAGAIYE...AL JAWAHIRIDEKH LEGA AUR PULIYA BAMIYAAN BAN JAYEGI
- Surendra Singh Rudra हम भी बहुत दिनों से सोच रहे है साइकिल खरीदने की, साईट पर जाने के लिए कि कुछ शारीरिक वर्जिस हो जाएगी पर लगातार टलता जा रहा है
No comments:
Post a Comment