Saturday, September 05, 2015

गुरूजी

अगर जीवन में समय को पीछे ले जाकर किसी भी एक क्षण में जाना सम्भव होता तो मैं बिना किसी दुविधा के अपने गुरूजी के साथ होने का निर्णय लेता। उनकी अनुपस्थिति को रोकता।

आज अपने गुरूजी को एक बार फिर से याद करते हुए आँखों में अनायास आंसू आ गए। यह फोटो गुरूजी के बेटे Pankaj Bajpai के सौजन्य से। इसके पहले उनकी जो फोटो मेरे पास थी वह मेरी शादी के रिसेप्शन की थी।

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