सुबह हुई तो बाहर निकले। 6 बज गए थे निकलते हुए। सूरज ने ड्यूटी संभाल ली थी। किरणें इधर-उधर मटरगस्ती करने लगीं थी। चिड़ियाँ चहचहाने लगीं थीं। निराला की 'जूही की कली' जैसा सीन बन रहा था कुछ:
किरणें कैसी-कैसी फूटीं
आँखें कैसी-कैसी तुलीं,
चिड़ियाँ कैसी-कैसी उड़ीं...
पाँखें कैसी-कैसी खुलीं।
किरणें कैसी-कैसी फूटीं
आँखें कैसी-कैसी तुलीं,
चिड़ियाँ कैसी-कैसी उड़ीं...
पाँखें कैसी-कैसी खुलीं।
चढ़ाई पर एक आदमी 'पहिया कुर्सी' पर एक बुजुर्ग को ले जाता दिखा। पहली बार देखा उनको। साईकिल से आगे गए फिर देखते हुए लौट आये। यह सोचते हुए कि वह आदमी बुजर्ग का कितना ख्याल रखता है।
मोड़ पर एक आदमी जिस तेजी से टहलता आ रहा था उसको देखकर लगा कि कोई पत्थर पहाड़ से लुढ़कता-पुढकता आ रहा हो।
चाय की दुकान पर गाना आज फिर नहीं बज रहा था था। दुकान मालिक बोला -आज जाएंगे बनवाने।आज फैक्ट्री में छुट्टी है। पता चला कि भाईजी जीसीएफ में सर्विस करते हैं। फ़िटर हैं। साढ़े सात तक दूकान पर रहते हैं। फिर बेटा आता है।सम्भालता है दुकान। बताओ महीनों हुए चाय पीते जिनकी दुकान पर उसके बारे में ही नहीं जानते।
चलते हुए देखा भट्टी गोबर से लीप रहे थे। पीछे शंकर भक्त गांजे की चिलम फूंक रहे थे। बोले- अभी गाड़ी मिली नहीं ले जाने को। एकाध दिन में मिलेगी।
लौटते हुए एक भाई जी बस स्टॉप पर कन्धे घुमाते हुए कसरत करते दिखे। जिस तेजी से घुमा रहे थे कन्धे उतनी तेजी से हम घुमाएं तो उतर ही जाएँ कन्धे। अक्सर उतर जाते हैं झटका देने पर। पहले अम्मा थीं तो तकिया लगाकर चढ़ा देतीं थीं। फिर पत्नी जी को भी आ गया। एक बार सोते हुए उतर गया कन्धा तो रात को फोन करके पूछने का मन हुआ कि कैसे चढ़ाएं। पर लगा कि रात को फोन लगाएंगे तो सब डर जाएंगे। फिर पांच-दस मिनट की जद्दोजहद के बाद कन्धा चूल पर बैठ गया।
यह एक परेशानी है। अक्सर होती रहे तक निपटने का तरीका याद रहता है। बहुत दिन तक नहीं आती तो तरीका भूल जाते हैं। कभी-कभी लगता है परेशानियों/तकलीफों से जीवन एकदम मुक्त भी नहीं रहना चाहिए। तकलीफ़ें रहती हैं तो उनसे निपटने का हौसला भी बना रहता है।
लौटते हुए राबर्टसन लेक देखते हुये आये। अचानक मन किया तो झटके से साईकिल मोड़े। हैंडल तेजी से मुड़ने से साइकिल का सन्तुलन लड़खड़ाया तो पैर झटके से जमीन पर रखा। लगा जांघ और कूल्हे का गठबन्धन गया। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। खुशनुमा एहसास हुआ।
झील के बिस्तर पर पानी आराम से लेटा हुआ मजे कर रहा था । किरणें उसको हिला डुलाकर जगाने की कोशिश कर रहीं थीं । पर वह फिर कुनमुनाकर सो जा रहा था। सूरज ने झील के एक तरफ मोहर सी लगाकर अपनी हाजिरी लगा दी थी।
एक बच्ची उचक-उचककर साइकिल चलाना सीख रही थी। दूसरा बड़ा बच्चा उसको सिखा रहा था।
आज जन्माष्टमी है। शिक्षक दिवस भी। सभी को मुबारक हो। हम तो फैक्ट्री जा रहे हैं। आप मजे से रहना। आपका दिन शुभ हो। मंगलमय हो। जय हो।
मोड़ पर एक आदमी जिस तेजी से टहलता आ रहा था उसको देखकर लगा कि कोई पत्थर पहाड़ से लुढ़कता-पुढकता आ रहा हो।
चाय की दुकान पर गाना आज फिर नहीं बज रहा था था। दुकान मालिक बोला -आज जाएंगे बनवाने।आज फैक्ट्री में छुट्टी है। पता चला कि भाईजी जीसीएफ में सर्विस करते हैं। फ़िटर हैं। साढ़े सात तक दूकान पर रहते हैं। फिर बेटा आता है।सम्भालता है दुकान। बताओ महीनों हुए चाय पीते जिनकी दुकान पर उसके बारे में ही नहीं जानते।
चलते हुए देखा भट्टी गोबर से लीप रहे थे। पीछे शंकर भक्त गांजे की चिलम फूंक रहे थे। बोले- अभी गाड़ी मिली नहीं ले जाने को। एकाध दिन में मिलेगी।
लौटते हुए एक भाई जी बस स्टॉप पर कन्धे घुमाते हुए कसरत करते दिखे। जिस तेजी से घुमा रहे थे कन्धे उतनी तेजी से हम घुमाएं तो उतर ही जाएँ कन्धे। अक्सर उतर जाते हैं झटका देने पर। पहले अम्मा थीं तो तकिया लगाकर चढ़ा देतीं थीं। फिर पत्नी जी को भी आ गया। एक बार सोते हुए उतर गया कन्धा तो रात को फोन करके पूछने का मन हुआ कि कैसे चढ़ाएं। पर लगा कि रात को फोन लगाएंगे तो सब डर जाएंगे। फिर पांच-दस मिनट की जद्दोजहद के बाद कन्धा चूल पर बैठ गया।
यह एक परेशानी है। अक्सर होती रहे तक निपटने का तरीका याद रहता है। बहुत दिन तक नहीं आती तो तरीका भूल जाते हैं। कभी-कभी लगता है परेशानियों/तकलीफों से जीवन एकदम मुक्त भी नहीं रहना चाहिए। तकलीफ़ें रहती हैं तो उनसे निपटने का हौसला भी बना रहता है।
लौटते हुए राबर्टसन लेक देखते हुये आये। अचानक मन किया तो झटके से साईकिल मोड़े। हैंडल तेजी से मुड़ने से साइकिल का सन्तुलन लड़खड़ाया तो पैर झटके से जमीन पर रखा। लगा जांघ और कूल्हे का गठबन्धन गया। लेकिन ऐसा हुआ नहीं। खुशनुमा एहसास हुआ।
झील के बिस्तर पर पानी आराम से लेटा हुआ मजे कर रहा था । किरणें उसको हिला डुलाकर जगाने की कोशिश कर रहीं थीं । पर वह फिर कुनमुनाकर सो जा रहा था। सूरज ने झील के एक तरफ मोहर सी लगाकर अपनी हाजिरी लगा दी थी।
एक बच्ची उचक-उचककर साइकिल चलाना सीख रही थी। दूसरा बड़ा बच्चा उसको सिखा रहा था।
आज जन्माष्टमी है। शिक्षक दिवस भी। सभी को मुबारक हो। हम तो फैक्ट्री जा रहे हैं। आप मजे से रहना। आपका दिन शुभ हो। मंगलमय हो। जय हो।
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