Sunday, May 17, 2015

फालतू बैठने से अच्छा कुछ कमाई ही करे

आज खमरिया की तरफ निकले। सूरज भाई पेड़ों की ओट में होते हुए क्षितिज के नीचे उतर लिये। लोग घरों के बाहर इधर उधर बैठे दिखे। कुछ टहलते भी दिखे।

साइकिल की हवा कुछ कम हो गयी थी। भारी चल रही थी। गद्दी भी कुछ नीची थी। साइकिल की दूकान पर पहुंचे। गद्दी ऊँची करवाई। सीट कवर लिये। जिस दिन साइकिल ली थी उस दिन प्लेन कवर फ्री में मिल रहा था।उस दिन लिया नहीं। आज वह ख़त्म हो गया था। गद्दी वाला सीट कवर 30 का पड़ा। साईकिल बनाने वाले का होंठ कटा है। नाक से बोलता है। गद्दी के अलावा हवा भी भरवाई। तेल डलवाया। चल दिए। 

खमरिया तक पहुंचते पहुंचते अन्धेरा हो गया था। पेड़ो पर पक्षी लौट आये थे। झींगुर शाम वाला हल्ला मचा रहे थे। मोड़ पर कुछ सवारियां सड़क पर गठरी की तरह बैठी बस का इंतजार कर रही थीं।

चाय की दूकान वाला अँधेरे में चाय बना रहा था। बिजली के ढाई तीन सौ और पड़ेंगे इसलिए ली नहीं। सामने ही खमरिया का सब्जी बाजार लगा था। अँधेरे में दिए, पेट्रोमेक्स या फिर बैट्री सीएफएल की रौशनी में।चाय की दुकान पर चाय पीते हुए कई जगह फोनियाते हुए हाल चाल लिए। फिर लौट लिये।

लौटते तक एहसास होगा था कि गद्दी कुछ ज्यादा ही ऊँची करवा ली है। फिर गए दूकान पर। नीची करवाई। कारीगर थोडा नाराज हुआ। लेकिन कर दी।

सड़क के एकदम किनारे एक आम सभा टाइप हो रही थी। एक महिला लोगों को संबोधित करते हुए नेपाल के भूकम्प पीड़ितों के लिए चन्दा करने चादर फैलाने का आह्वान कर रही थीं। लोगों को अटल पेंशन योजना की जानकारी देने का अनुरोध किया। जोर से जयहिंद बोलकर बैठने के पहले एक शेर सुनाया जिसका मतलब था कि ऐसा काम करो की लोग याद करें।

व्हीकल मोड़ से होते हुए लौटे। एक गन्ने के रस की ठेलिया पर रस पिया। दस रूपये का एक ग्लास रस पिया। रस पेरने वाले बालक से बात हुई तो पता चला कि इसी साल इंटर पास हुआ है। 86% नंबर पाया है। हम भौंचक्के हो गए। हमारे इंटर में 80.60% नंबर आये थे। उतने में प्रदेश में नौवीं पोजीशन थी। यह बालक 86% पाया और अखबार में इसका नाम न आया।

बात करने पर बालक ने बताया कि अब वह आई टीआई करेगा। कॉमर्स से पास हुआ है तो हमने सुझाव दिया कि ग्रेजुएशन करना चाहिए और आगे पढ़ना चाहिए। लेकिन उसको इस बारे में कुछ अंदाज नहीं था। हमने अलग अलग नंबर पूछे तो बालक को याद नहीं था। हमने कहा-यार अजीब हो। हमको अपना 34 साल पहले का रोल नंबर और है विषय में नम्बर याद हैं।तुमको दो दिन पहले के नम्बर नहीं याद। तय हुआ कि वह कल अपनी मार्कशीट दिखायेगा।

बालक के पिता ठेलिया लगाने के अलावा मछली पकड़ते हैं। इस बार बालक पिता को सहयोग कर रहा है पहली बार। 100 से 150 ग्लास तक रस बेंच लेता है रोज।

' गर्मी की छुट्टी में और क्या करेगा? फालतू बैठने से अच्छा कुछ कमाई ही करे।' यह बालक की माताश्री ने जो कि वहीं मौजद थीं बताया।

रस पीकर खरामा खरामा साइकिल हाँकते हुए वापस लौट आये मेस। अब सोचा पोस्ट भी कर दें।

आशा है आपका हफ्ता चकाचक बीता होगा।

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