आज
सुबह निकले 5 बजे।उजाला इतना था सड़क पर कि सोचा कि ये खम्भों पर लट्टू
क्यों जल रहे हैं। लेकिन अगर बन्द कर दिए गए होते तो सोचता कि इतनी जल्दी
क्या थी चिराग बुझाने की। लगा कि वर्तमान से चिर असन्तुष्ट होता है
मध्यमवर्गीय आदमी। हमेशा यही सोचता है कि जो है वह मजेदार नहीं है। 'ये दिल
मांगे मोर' मोड में रहता है।
सड़क पर स्पीड ब्रेकर सड़क बनने के बाद बने हैं। सड़क के मुकाबले चमक रहे हैं--'बेटा बाप से भी गोरा' वाले अंदाज में। काम भर की बेतरतीबी से बने हैं। एक बड़ा स्पीड ब्रेकर और उसके फौरन पहले और बाद में छोटे-छोटे स्पीड ब्रेकर। कोई तेजी से आये तो उसके लिए ये स्पीड ब्रेकर 'स्पीड फ्रेक्चर' साबित हो सकते हैं।
शोभापुर रेलवे फाटक तक पहुंचते क्रासिंग बन्द होती दिखी। बैठ गए चाय की दूकान पर। एक बुजुर्ग उबले आलू छील रहे थे, दुसरे युवतर बुजुर्ग प्याज के कपड़े उतार रहे थे। आलू और प्याज के गठबन्धन से समोसे की सरकार की शपथग्रहण की तैयारी चल रही थी।
सामने खम्भे पर 'बहल इंग्लिश क्लासेस' लिखा हुआ था। पता था-'रांझी थाने के बगल में'। हमें लगा थानों के आसपास तो केवल पैसे और रसूख की भाषा चलती है। वहां अंग्रेजी कैसे चलेगी। कैसे सीखेंगे लोग?
रेल पटरी पर धड़धड़ाती निकल गयी। हमारी चाय ख़त्म। इस बीच कुछ लोग आकर नाश्ता करने लगे। रात का पोहा अलसाया था लगा। रसगुल्ला शीरे के तालाब से निकलकर प्लेट पर बड़े बेमन से आया हुआ लग रहा था।औंघाये से रसगुल्ले को देखकर लगा जैसे शीरे के बिस्तर से गहरी नींद से उठाकर उसे प्लेट के आँगन में खड़ा कर दिया गया हों। सर्व करने वाले बुजुर्ग के हाथ कंपकपा रहे थे।
पहाड़ के पास जगहर हो गयी थी। चूल्हे सुलग रहे थे। एक जगह बहुत धीमे आते नल के पास खूब सारे प्लास्टिक के बर्तन तत्काल काउंटर पर रिजर्वेशन के इन्तजार में खड़े लोगों की तरह इकठ्ठा थे।
अधबने ओवरब्रिज के नीचे कुछ लोग मच्छरदानियां ओढ़े सी सो रहे थे। एक स्त्री और पुरुष एक दूसरे को निहारते हुए आहिस्ते-आहिस्ते दातून चबा रहे थे। किसी मोबाईल में गाना बज रहा था। लोग खाना बना रहे थे। चूल्हे सुलग रहे थे। खाना बन रहा था।
आगे चाय की दूकान पर रमेश मिले। उस दिन के बाद न दिखने का उलाहना दिया। कुत्ते-कुतिया के बहाने आदमी-औरत के बारे में दादा कोंडके घराने की घिसी-पिटी बातें। हमने दांत के दर्द के बारे में पूछा तो बताया कम है। दारू के बारे में खुद बताया-'शोभापुर अड्डे पर दस रूपये महंगी देता है साला। आधारताल अड्डे पर जाते हैं।'
इस बीच दूधवाला आ गया। मोटरसाइकिल पर दूध के कनस्तर लादे हुए। बताया कि दूध के दाम आजकल सुबह 50 रूपये लीटर और शाम को 55 रूपये लीटर हो गए। शाम को दाम बढ़ने का कारण शादी व्याह और काम-काज के चलते बढ़ती मांग कारण है या फिर गर्मी में कम दूध का उत्पादन इस पर एकमत नहीं हो पाया।
फोटो लिया तो दूध वाले ने देखा। खुश हुआ।दिखती बनियाइन के साथ फोटो देखकर मुस्कराया। दूसरे ने पूछा-'फेसबुक पर अपलोड करेंगे? आई डी क्या है?' मन किया वहीं माईक लगाकर भाषण देने लगें--'मितरों आज हमारे यहां सुबह-सुबह दूध बेचने वाले का भी फेसबुक एकाउंट है। वह आईडी के बारे में जानता है। पिछले साठ सालों में जो नहीं हुआ वह अब हो रहा है। हम बहुत तेजी से विकास कर रहे हैं।'
सुबह-सुबह माइक भले मिल जाता लेकिन सुनने के लिए जनता का जुगाड़ नहीं होने के चलते हमने भाषण देने के आइडिये को हड़काकर भगा दिया-"ससुर सुबह-सुबह पॉलिटिक्स की बात करते हो। शर्म नहीं आती। ये नहीं कि 'राम जी करेंगे बेड़ा पार' का कैसेट बजाए।चल भाग यहां से।"
आइडिया बेचारा मार्गदर्शक मार्गदर्शक मण्डल में शामिल बुजुर्गों की तरह अपना मुंह झोला जैसे लटकाये चला गया।
चाय की दूकान पर एक आदमी बिना चीनी की चाय मांग रहा था। अलग से बनाने का आग्रह भी। दूकान वाले ने ठसके से कहा-" 5 रुपये में ये '......गुलामी' हमसे न होगी। पीना हो तो बनाएंगे लेकिन 10 रुपये की पड़ेगी चाय।भरकर देंगे ग्लास लेकिन पड़ेंगे 10 रूपये।"
बताओ सुगर के मरीजों को कितनी परेशानियां हैं। अक्सर उनके हाल बहुमत वाली सरकार में निर्दलीय विधायकों सरीखे हो जाते हैं।
लौटते में दो बुजुर्ग एक छुटकी पुलिया पर बैठे बतरस में डूबे दिखे। दो बच्चियां साइकिल पर सैर करने निकली थीं। सड़क पर कुछ देर बतियाती रहीं खड़ी होकर। जैसे ही पैडल पर पाँव धरकर आगे बढ़ीं वो वैसे ही पेड़ों की पत्तियों ने हाथ हिलाकर ख़ुशी जाहिर की। हवा ने सीटी बजाते हुए बकअप किया।
कमरे पर आये तो सूरज भाई का जलवा देखने को मिला। सब जगह रौशनी का कब्जा जमा लिया है। पेड़,पत्ती,फूल, कली,लता,वितान हर जगह रौशनी की सरकार काबिज है। सूरज भाई मूड में हैं। कह रहे हैं-''साइकिल के चक्कर में आजकल लिफ्ट नहीं देते। कब से चाय नहीं पिलाई।"
सूरज भाई के साथ बहुत दिन बाद आज चाय पी रहे हैं। मजा आ रहा हैं। आप भी मजे कीजिये न। मस्त रहिये। जो होगा देखा जाएगा।
फ़ेसबुक टिप्पणियां:
सड़क पर स्पीड ब्रेकर सड़क बनने के बाद बने हैं। सड़क के मुकाबले चमक रहे हैं--'बेटा बाप से भी गोरा' वाले अंदाज में। काम भर की बेतरतीबी से बने हैं। एक बड़ा स्पीड ब्रेकर और उसके फौरन पहले और बाद में छोटे-छोटे स्पीड ब्रेकर। कोई तेजी से आये तो उसके लिए ये स्पीड ब्रेकर 'स्पीड फ्रेक्चर' साबित हो सकते हैं।
शोभापुर रेलवे फाटक तक पहुंचते क्रासिंग बन्द होती दिखी। बैठ गए चाय की दूकान पर। एक बुजुर्ग उबले आलू छील रहे थे, दुसरे युवतर बुजुर्ग प्याज के कपड़े उतार रहे थे। आलू और प्याज के गठबन्धन से समोसे की सरकार की शपथग्रहण की तैयारी चल रही थी।
सामने खम्भे पर 'बहल इंग्लिश क्लासेस' लिखा हुआ था। पता था-'रांझी थाने के बगल में'। हमें लगा थानों के आसपास तो केवल पैसे और रसूख की भाषा चलती है। वहां अंग्रेजी कैसे चलेगी। कैसे सीखेंगे लोग?
रेल पटरी पर धड़धड़ाती निकल गयी। हमारी चाय ख़त्म। इस बीच कुछ लोग आकर नाश्ता करने लगे। रात का पोहा अलसाया था लगा। रसगुल्ला शीरे के तालाब से निकलकर प्लेट पर बड़े बेमन से आया हुआ लग रहा था।औंघाये से रसगुल्ले को देखकर लगा जैसे शीरे के बिस्तर से गहरी नींद से उठाकर उसे प्लेट के आँगन में खड़ा कर दिया गया हों। सर्व करने वाले बुजुर्ग के हाथ कंपकपा रहे थे।
पहाड़ के पास जगहर हो गयी थी। चूल्हे सुलग रहे थे। एक जगह बहुत धीमे आते नल के पास खूब सारे प्लास्टिक के बर्तन तत्काल काउंटर पर रिजर्वेशन के इन्तजार में खड़े लोगों की तरह इकठ्ठा थे।
अधबने ओवरब्रिज के नीचे कुछ लोग मच्छरदानियां ओढ़े सी सो रहे थे। एक स्त्री और पुरुष एक दूसरे को निहारते हुए आहिस्ते-आहिस्ते दातून चबा रहे थे। किसी मोबाईल में गाना बज रहा था। लोग खाना बना रहे थे। चूल्हे सुलग रहे थे। खाना बन रहा था।
आगे चाय की दूकान पर रमेश मिले। उस दिन के बाद न दिखने का उलाहना दिया। कुत्ते-कुतिया के बहाने आदमी-औरत के बारे में दादा कोंडके घराने की घिसी-पिटी बातें। हमने दांत के दर्द के बारे में पूछा तो बताया कम है। दारू के बारे में खुद बताया-'शोभापुर अड्डे पर दस रूपये महंगी देता है साला। आधारताल अड्डे पर जाते हैं।'
इस बीच दूधवाला आ गया। मोटरसाइकिल पर दूध के कनस्तर लादे हुए। बताया कि दूध के दाम आजकल सुबह 50 रूपये लीटर और शाम को 55 रूपये लीटर हो गए। शाम को दाम बढ़ने का कारण शादी व्याह और काम-काज के चलते बढ़ती मांग कारण है या फिर गर्मी में कम दूध का उत्पादन इस पर एकमत नहीं हो पाया।
फोटो लिया तो दूध वाले ने देखा। खुश हुआ।दिखती बनियाइन के साथ फोटो देखकर मुस्कराया। दूसरे ने पूछा-'फेसबुक पर अपलोड करेंगे? आई डी क्या है?' मन किया वहीं माईक लगाकर भाषण देने लगें--'मितरों आज हमारे यहां सुबह-सुबह दूध बेचने वाले का भी फेसबुक एकाउंट है। वह आईडी के बारे में जानता है। पिछले साठ सालों में जो नहीं हुआ वह अब हो रहा है। हम बहुत तेजी से विकास कर रहे हैं।'
सुबह-सुबह माइक भले मिल जाता लेकिन सुनने के लिए जनता का जुगाड़ नहीं होने के चलते हमने भाषण देने के आइडिये को हड़काकर भगा दिया-"ससुर सुबह-सुबह पॉलिटिक्स की बात करते हो। शर्म नहीं आती। ये नहीं कि 'राम जी करेंगे बेड़ा पार' का कैसेट बजाए।चल भाग यहां से।"
आइडिया बेचारा मार्गदर्शक मार्गदर्शक मण्डल में शामिल बुजुर्गों की तरह अपना मुंह झोला जैसे लटकाये चला गया।
चाय की दूकान पर एक आदमी बिना चीनी की चाय मांग रहा था। अलग से बनाने का आग्रह भी। दूकान वाले ने ठसके से कहा-" 5 रुपये में ये '......गुलामी' हमसे न होगी। पीना हो तो बनाएंगे लेकिन 10 रुपये की पड़ेगी चाय।भरकर देंगे ग्लास लेकिन पड़ेंगे 10 रूपये।"
बताओ सुगर के मरीजों को कितनी परेशानियां हैं। अक्सर उनके हाल बहुमत वाली सरकार में निर्दलीय विधायकों सरीखे हो जाते हैं।
लौटते में दो बुजुर्ग एक छुटकी पुलिया पर बैठे बतरस में डूबे दिखे। दो बच्चियां साइकिल पर सैर करने निकली थीं। सड़क पर कुछ देर बतियाती रहीं खड़ी होकर। जैसे ही पैडल पर पाँव धरकर आगे बढ़ीं वो वैसे ही पेड़ों की पत्तियों ने हाथ हिलाकर ख़ुशी जाहिर की। हवा ने सीटी बजाते हुए बकअप किया।
कमरे पर आये तो सूरज भाई का जलवा देखने को मिला। सब जगह रौशनी का कब्जा जमा लिया है। पेड़,पत्ती,फूल, कली,लता,वितान हर जगह रौशनी की सरकार काबिज है। सूरज भाई मूड में हैं। कह रहे हैं-''साइकिल के चक्कर में आजकल लिफ्ट नहीं देते। कब से चाय नहीं पिलाई।"
सूरज भाई के साथ बहुत दिन बाद आज चाय पी रहे हैं। मजा आ रहा हैं। आप भी मजे कीजिये न। मस्त रहिये। जो होगा देखा जाएगा।
फ़ेसबुक टिप्पणियां:
- Amit Kumar Srivastava कुछ 'ब्रेकर' तो 'ब्रेक ब्रोक ब्रोकेन' वाले अंदाज़ में होते हैं । smile इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल हां होते तो हैं। निरन्तर विकास मान । smile इमोटिकॉन
- Poonam Jain सुहाना सफ़र और ये मौसम हंसी . . . Good day . . . Anup ji
- अनूप शुक्ल हमें डर है हम खों न जायें कहीं ........smile इमोटिकॉन यही सोचते हुये दिन बढिया बीता। smile इमोटिकॉन
- Poonam Jain जी खोने के लिये तो नहीँ मिले.ना.. .
- अनूप शुक्ल हां इसीलिये तो खोये नहीं न ! smile इमोटिकॉन
कोई जवाब लिखें...- Nirmal Gupta मध्यम वर्ग चिर असंतुष्ट होता है ....सही कहा .वह अतीत को सराहता है और भविष्य के प्रति सशंकित रहता है .अपने वर्तमान से वो सदा बेखबर रहता है .
- अनूप शुक्ल बिना असंतुष्टि के मध्यमवर्ग को मजा नहीं आता। smile इमोटिकॉन
- Chandra Prakash Pandey प्रभु अगले जनम में मेरुदंड में "धक्का सहन यन्त्र" लगाकर भेजना। पहले एक ही गति अवरोधक सहन नहीं होता था। अब तीन की तिकड़ी।
- अनूप शुक्ल मामला प्रभु जी ही निपटायेंगे। smile इमोटिकॉन
- Mukesh Sharma Subah jaldi uthne ke liye dhanyvaad .Aaj ke post mein alag hi taajgi hai .Lekin speed breaker ke ware mein kuchh bhi nahi kahunga .
- अनूप शुक्ल हम कुछ पूछ भी कहां रहे हैं। smile इमोटिकॉन
- बेचैन आत्मा आनंद दायक।
- अनूप शुक्ल धन्यवाद ! smile इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल धन्यवाद! smile इमोटिकॉन
- कमल गुप्ता थानों के आसपास तो केवल पैसे और रसूख की भाषा चलती है। वहां अंग्रेजी कैसे चलेगी।
- अनूप शुक्ल सही नहीं है क्या यह? smile इमोटिकॉन
- Sushil Kumar Jha समोसे हैं गठबंधन की सरकार ,थाने के सटे केवल रसूख की भाषा चलती है,बहुमत सरकार में निर्दलीय की स्थिति ,दूध वाले की आईडी ।एक ही तीर से कई शिकार ।मजा आ गया ।
- अनूप शुक्ल धन्यवाद ! smile इमोटिकॉन
- Mazhar Masood लो भोर हो गइ , संवाद शुरू
- अनूप शुक्ल अब तो रात हो गयी smile इमोटिकॉन
- Spsingh Shantiprakash Very nice
- अनूप शुक्ल धन्यवाद!
- Kumar Nandan फेसबुक अकाउंट के सवाल पर आपने क्या जबाब दिया । smile इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल हमने कहा हां करेंगे। लेकिन फ़िर बात नहीं हुयी आगे। smile इमोटिकॉन
- Neeraj Mishra आलू और प्याज के गठबंधन की सरकार गोरखपुर में बहुत चलती है. साथ में छोले का जायका. जब भी जाता हूँ, मजे से खाता हूँ.
- अनूप शुक्ल वाह ! क्या बात है! smile इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल दूसरे वाले बुजुर्ग कम बुजुर्ग थे पहले वाले के मुकाबले। smile इमोटिकॉन
- Ram Kumar Chaturvedi कभी चाय घर में भी पी लिया करो।या सुकर्मों की बजह से घर में मिलती ही नहीं है।अगर ऐसा है तो सुधर जाओ।पांच बजे के बजाय सात बजे उठो घर की चाय पक्की।अपना तजुर्बा है।
- Ramesh Tiwari क्या लिखते हैं भाई ! गर्दा....आज दूसरी बार पढ़ा आपको। पढ़ते हुए टकटकी लगाकर लिखे को यूँ निहारता रहा जैसे किशोरावस्था में अचानक कोई सौंदर्य (?) पास से गुजरे, इतने पास से कि बस टकटकी बंध जाये ! अद्भुत लिखा है आपने - बधाई.....
- अनूप शुक्ल आपकी टिप्पणी बांचकर तो तबियत झक्क हो गयी। धन्यवाद ! smile इमोटिकॉन
कोई जवाब लिखें...- Gitanjali Srivastava आलू और प्याज के गठबन्धन से समोसे की सरकार की शपथग्रहण wah bahut badiya
- अनूप शुक्ल धन्यवाद ! smile इमोटिकॉन
कोई जवाब लिखें...- Cp Srivastava अक्सर उनके हाल बहुमत वाली सरकार में निर्दलीय विधायकों सरीखे हो जाते हैं। wonderful
- अनूप शुक्ल धन्यवाद ! smile इमोटिकॉन
कोई जवाब लिखें...- Mahesh Shrivastava chay ki pyali me indradhanush darshan , laya ke saath aaroh aur avroha , sam tal ke saath theka , tidak dhum , ye chamtkar aap hi kar sakte ,aankho me doobte to suna aur mahsoos kiya , per chay me pahli baar doobe aur mann se
अनूप शुक्ल आपकी टिप्पणी पढ़कर मन खुश हो गया। जय हो! धन्यवाद ! smile इमोटिकॉन
आपकी इस पोस्ट को आज की बुलेटिन जयंती - प्रोफ़ेसर बिपिन चन्द्र और ब्लॉग बुलेटिन में शामिल किया गया है। कृपया एक बार आकर हमारा मान ज़रूर बढ़ाएं,,, सादर .... आभार।।
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