"शरीर की 'यंगता' खानपान पर निर्भर करती है। अगर कोई शराब पियेगा, गांजा फूंकेगा तो शरीर कैसे बनेगा। नशा शरीर के लिए घुन की तरह है। एक बार लग गया तो शरीर खोखला हो जाता है।" यह बातें एक बन्द दूकान के चबूतरे पर बैठे बुजुर्ग ने कही। पोस्ट ऑफ़िस से 2000 में रिटायर हुये। 75 साला बुजुर्गवार से जब हमने कहा उम्र के हिसाब से तो आपका स्वास्थ्य बहुत अच्छा है तो उन्होंने यह बातें बताईं।
कोई नशा नहीं, कोई ऐब नहीं। इसीलिये सेहत ठीक है। हमने उनको 100 तक जीने की दुआ दी। वे खुश हो गए। उनके बगल में ही एक और आदमी बैठा था। वह आधारताल की किसी प्राइवेट कम्पनी में काम करता है। तबियत खराब होने के चलते काफी दिन से काम पर नहीं जा रहा। दोनों की सेहत देखकर आसानी से अंदाज लगाया जा सकता है कि प्राइवेट कम्पनियां अपने आम कामगारों की देखभाल के प्रति कितनी उदासीन हैं।
कोई नशा नहीं, कोई ऐब नहीं। इसीलिये सेहत ठीक है। हमने उनको 100 तक जीने की दुआ दी। वे खुश हो गए। उनके बगल में ही एक और आदमी बैठा था। वह आधारताल की किसी प्राइवेट कम्पनी में काम करता है। तबियत खराब होने के चलते काफी दिन से काम पर नहीं जा रहा। दोनों की सेहत देखकर आसानी से अंदाज लगाया जा सकता है कि प्राइवेट कम्पनियां अपने आम कामगारों की देखभाल के प्रति कितनी उदासीन हैं।
जीसीएफ के पास घनश्याम दास मिले। 30 मई को रिटायरमेंट है। घड़ों में पानी भरकर मजे से बैठे हुए घर के बाहर। बोले आइये चाय पिलायें। रैले साईकिल की तारीफ की। पुराने जीएम यादव साहब की भी। बताया-' यादव साहब ने फैक्ट्री एवन चलाई। नेतागीरी के नाम पर होने वाली गुंडागिरी बन्द कर दी। आम वर्कर का ख्याल रखा।5 लोगों से रोज मिलते थे। उनकी समस्या सुनते थे। जितना बन सकता था,हल करते थे। वो भी आएंगे रिटायरमेंट में मेरे।'
जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के एक अध्यापक से मिलना हुआ। मध्यप्रदेश की तकनीकी संस्थानों की व्यवस्था की दुर्दशा के किस्से सुने।स्कूलों में अध्यापक नहीं हैं। नई भर्ती बन्द है। इंजीनियरिंग कॉलेजों के लड़के कोचिंग पढ़ते हैं। किताबों की जगह कुंजियों से पढ़कर इम्तहान देते हैं। साल साल भर क्लास नहीं होते। सेशन ख़त्म होने क्लास में एडमिशन होते रहते हैं। किताबों के नाम पर कोई शिवानी सीरीज के नोट्स मिलते हैं उनको पढ़कर इम्तहान देते हैं।जो मित्र यह सब बता रहे थे वे खुद प्रदेश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कालेजों में से एक जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज में अध्यापक हैं। आजदी के तुरन्त बाद 1947 में खुले इंजीनियरिंग कालेज के हाल रागदरबारी के छंगामल इंटर कालेज की तरह हो गए हैं।
हमसे इंजीनिरिंग कालेजों की और दुर्दशा सुनी न गई। हम चले आये। हमें लगा कि जब देश के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों के ये हाल हैं तो देश विकासशील से विकसित कैसे बनेगा? क्या सबके लिए ठेका होगा? जिसको ठेका मिलेगा हमको विकसित बनाने का वह आएगा और हमको विकसित बनाकर चला जाएगा। हम बस घुग्घु जैसे एक ही जगह बैठे अपने देश को विकासशील के डिब्बे से विकसित के डिब्बे में जाते देखते रहेंगे जिनमें सिर्फ नाम की पट्टी का फर्क है।
चलिए बहुत हुआ। चला जाये दफ्तर। आपका दिन शुभ हो। मंगलमय हो।
फ़ेसबुक पर टिप्पणियां:
जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज के एक अध्यापक से मिलना हुआ। मध्यप्रदेश की तकनीकी संस्थानों की व्यवस्था की दुर्दशा के किस्से सुने।स्कूलों में अध्यापक नहीं हैं। नई भर्ती बन्द है। इंजीनियरिंग कॉलेजों के लड़के कोचिंग पढ़ते हैं। किताबों की जगह कुंजियों से पढ़कर इम्तहान देते हैं। साल साल भर क्लास नहीं होते। सेशन ख़त्म होने क्लास में एडमिशन होते रहते हैं। किताबों के नाम पर कोई शिवानी सीरीज के नोट्स मिलते हैं उनको पढ़कर इम्तहान देते हैं।जो मित्र यह सब बता रहे थे वे खुद प्रदेश के सबसे पुराने और प्रतिष्ठित इंजीनियरिंग कालेजों में से एक जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज में अध्यापक हैं। आजदी के तुरन्त बाद 1947 में खुले इंजीनियरिंग कालेज के हाल रागदरबारी के छंगामल इंटर कालेज की तरह हो गए हैं।
हमसे इंजीनिरिंग कालेजों की और दुर्दशा सुनी न गई। हम चले आये। हमें लगा कि जब देश के प्रतिष्ठित तकनीकी संस्थानों के ये हाल हैं तो देश विकासशील से विकसित कैसे बनेगा? क्या सबके लिए ठेका होगा? जिसको ठेका मिलेगा हमको विकसित बनाने का वह आएगा और हमको विकसित बनाकर चला जाएगा। हम बस घुग्घु जैसे एक ही जगह बैठे अपने देश को विकासशील के डिब्बे से विकसित के डिब्बे में जाते देखते रहेंगे जिनमें सिर्फ नाम की पट्टी का फर्क है।
चलिए बहुत हुआ। चला जाये दफ्तर। आपका दिन शुभ हो। मंगलमय हो।
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Amit Kumar Srivastava हम तो यंग इंडिया बनियान पहन कर यंगता कायम रखते है और कभी कभी अपना लक भी पहन लेते हैं । smile इमोटिकॉन
Amit Kumar Srivastava हम तो उस ब्रीड के हैं जिसने इंजीनियरिंग कालेज के पहले तक पैन्ट के नीचे कुछ पहना ही नहीं । सीधे फिर लक्स कोजी पटरा जांघिया बाईपास हो गई । जैसे मैंने कभी स्कूटर नहीं चलाया था सीधे साईकिल से कार ।
Anamika Vajpai "यंगता" से हमें "तन्यता" का बोध हुआ, बहुत अच्छा लगा देखकर कि "हास्य (जो कहीं खो गया था)" वापस आ गया, आपकी "यंगता" हमेशा बनी रहे।....grin इमोटिकॉन
- अनूप शुक्ल जब भी निकलते हैं जीसीएफ केवी स्कूल के सामने से मोगैंबो को याद करते हैं। हिचकी आती होगी। smile इमोटिकॉन
Anamika Vajpai "अध्यापक" जी से आपका मिलना ठीक नहीं हुआ, उन्होंने आपका हास्य लेकर अपनी चिंता आपको थमा दी। जिनके ऊपर चिंताओं का हरण करने का दायित्व है, यानी कि, अध्यापक, वही साँझ-सवेरे अपनी चिंताओं को पैम्फलेट की तरह बाँटता फिरे, ये तो अनुचित बात है। बजाए स्वयं बैठकर स...और देखें
- अनूप शुक्ल सच से कब तक मुंह चुराया जाएगा? बड़ी दुर्दशा है कॉलेजों की। वैसे उनसे मिलना अच्छा ही हुआ। वे भी साइकिल चलाते हैं। अपन भी। चलाएंगे दोनों मिलकर साथ में। smile इमोटिकॉन
Mukesh Sharma विश्वस्त सूत्रो से मालूम पड़ा है क़ि रैले सायकल कंपनी आपको अपना ब्रांड एम्बेसडर बनाने पर गभीरता से विचार कर रही है ।सच्ची मुच्ची में ।
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Vivek Srivastava इंजीनियरिंग कॉलेज की हालात हर जगह खराब है चाहे प्राइवेट हो या सरकारी बस लाला की परचून की दूकान और सरकारी सस्ते गल्ले की दूकान सा ही समझ ले
महेन्द्र मिश्रा जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज कभी देश का महत्त्वपूर्ण शिक्षा का केंद्र रहा है और इस कालेज ने देश को कई प्रख्यात इंजीनियर्स दिये हैं समय के बदलाव के साथ साथ अब बात नहीं रह गई है ... एक बात और आज के प्राध्यापक छात्रों को कोचिंग ज्वाईन करने के लिए प्रेरित कर रहे हैं और खुद पढाना नहीं चाहते ..
- अनूप शुक्ल हां, जबलपुर इंजीनियरिंग कालेज की हमने भी तारीफ़ सुनी है। कोचिंग के भी किस्से सुने हैं। smile इमोटिकॉन
Navnit Chaurasia · Friends with अमित कुमार
Ha ha pension ka kamal dekho...75 ki umar me tamanna e 100 sal deho. Mera kya hoga sir sarkari pension bhi nahi milne wali.
Ram Kumar Chaturvedi झुमते हूये शरावी से जब पूछा गया कि क्या शराव के नशे में झूम रहे हो।तो जबाव आया कि शराव में तो नशा होता ही नहीं है वरना नशा शराव में होता तो नाचती बोतल।
Spsingh Shantiprakash Very nice
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