फर्रुखाबाद से 27 किलोमीटर पहले एक नदी मिली। भाईसाहब ने गाडी रुकवाई और घर से लाया हुआ गीला आटा लेकर पुल के बीच की तरफ चल दिए। बीच में खड़े होकर आटे की गोलियां बनाकर नदी के पानी में फेकते हुए बताने लगे-'यह काली नदी है। इसका पानी हमेशा काला रहता है इसी से नाम पड़ा काली नदी।'
पुल पर गुजरते ट्रक से पुल थरथरा रहा था। रेलिंग पर एक कौवा बैठा था। नदी के पानी में एक आदमी शायद मछली पकड़ रहा था।
मैं यह सोच रहा था कि अपने गाँव से 50 किलोमीटर दूर एक जल सम्रद्ध नदी को मैं पहली बार देख रहा था। उसका नाम भी पहली बार सुन रहा था।
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