Saturday, October 10, 2015

साइकिल का स्टार्ट होना

कल हमने लिखा -साईकिल स्टार्ट करके निकल लिए।

Satish Tewari जी ने पूछा-साइकिल स्टार्ट करके?

मने उनका कहने का मतलब साइकिल कैसे स्टार्ट होती है? भाई। स्टार्ट तो स्कूटी, मोटर साइकिल, कार, ट्रक होता है।साइकिल कैसे स्टार्ट होती है?

असल में हमारा दिमाग इतना अभ्यस्त हो जाता है रोज होती चीजों का कि शब्दों के अर्थ रूढ़ से हो जाते हैं। स्टार्ट का शाब्दिक अर्थ शुरुआत होता है। लेकिन वाहनों और मशीनों के बटन दबाते ही चालू होने के हम इतना आदी हो गए हैं कि हमको लगता है कि कोई चीज बटन दबाते ही चलना नहीं शुरू हुई तो उसको 'स्टार्ट' होना नहीं माना जा सकता।

मेरे हिसाब से साइकिल पर पहला पैडल मारना उसका स्टार्ट होना होता है। शुरू होना। इसी तरह हर काम के साथ होता है। टेलीविजन पर लोग कहते हैं न -'आपका समय शुरू होता है अब! योर टाइम स्टार्टस नाऊ।' जब कहते हैं- 'योर टाइम स्टार्टस नाऊ' तो उसमें कौन चाबी से घुर्र-घुर्र करके शुरुआत होती है। बस खाली समय की गिनती शुरू होने लगती है। परीक्षाएं शुरू होती हैं मल्लब एक्जाम स्टार्ट होते हैं तो उसमें कौन सा इग्निशन होता है। शुरुआत ही तो होती है उसमें भी।

तो भाई जैसे दुनिया की बाकी स्टार्ट होती हैं। वैसे ही हमारी साइकिल भी स्टार्ट होती है। साइकिल को भी स्टार्ट होने का उतना ही हक है जितना स्कूटी का। जितना ट्रक का या फिर किसी और चीज का। है कि नहीं। है न ?
फिलहाल तो एक खुशनुमा सुबह शुरुआत हो रही हैं। लोगों का वीकेंड स्टार्ट हो रहा है। वीकेंड में भी कोई चाभी लगाकर इग्निशन स्टार्ट थोड़ी होता है। बस शुरू हो जाता है जैसे पहला पैडल मारते ही साईकल स्टार्ट हो जाती है।

आपका दिन अच्छा शुरू हो। मंगलमय बीते। जय हो।

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