कल
जेड स्क्वायर मॉल जाना हुआ। कुछ कपड़े खरीदने थे। कपड़े मेरे लिए लेने थे।
तय घरैतिन को करना था। हम बने मैनिक्वीन ट्रायल देते रहे। जब कोई कपड़ा
पसन्द न आता तो मन ही मन ख़ुशी होती कि पैसे बचे। जिस निकले हुए पेट को लेकर
हम अक्सर हलकान रहते हैं, कल उसी ने बहुत पैसे बचाये। जो सूट बाहों के
हिसाब से फिट होता, वो पेट पर अटक जाता। जो पेट के हिसाब ठीक लगता वह बाहों
में हैंगर की तरह लटका लगता।
हमको वह श्लोक याद आया जिसका अर्थ यह है -ऐसा कोई अक्षर नहीं जिससे कोई मन्त्र न बनता हो, ऐसी को जड़ नहीँ जिससे कोई औषधि न बनती हो हर व्यक्ति काबिल होता है केवल उससे काम लेने वाले( मैनेजर ) दुर्लभ होते हैं।
आप अपनी जिस कमी पर खुद को अक्सर कोसते रहते हैं कभी ऐसे मौके भी आते हैं कि उन्हीं कमियों पर लाड़ भी आता है। हमारे बेडौल शरीर ने कल फिर से यह एहसास कराया। इसलिए इंसान को खुद को हमेशा प्यार करते रहना चाहिए। किटकिटउवा प्यार।
एक दुकान वाले ने बताया कि दुकान का किराया 5 लाख रुपया प्रति माह है। बिजली अलग से। साल की बिक्री 2 से 3 करोड़ है। कल शाम तक उसकी बिक्री 80 हजार करीब हुई थी। 5 लाख रूपये प्रति माह किराया मतलब 100 दिहाड़ी मजदूर की आय के बराबर किराया। बता रहा था जेड स्क्वायर उत्तर प्रदेश का सबसे मंहगा माल है किराये के मामले में। हमें ताज्जुब हुआ कि वह दुनिया सबसे महंगा माल क्यों नहीँ बताया इसे।
इतने मंहगे किराए वाले माल्स में सामान का मंहगा मिलना सहज बात है। इनके माल्स को बनवाने में लगा पैसे की पड़ताल की जाए तो उसके तार किसी न किसी तरह किसी की अवैध कमाई तक पहुंचेंगे। कुछ साल पहले दिल्ली में एक साड़ी की दुकान गए थे। उसमें हर मंजिल पर काम करने वाली महिलाएं ही थीं। वहीं किसी ने बताया था कि इसमें पैसा आशाराम का लगा है। अभी तो आशाराम निराशाराम बने हुए जेल में हैं। पता नहीं उस दुकान का क्या हाल होगा।
कुछ सामान खरीदते ही दुकान वाले फौरन एक कार्ड बनाया। पता, जन्मतिथि और शादी की तारीख नोट की।ईमेल आईडी भी। अब जब तक दुकान बन्द नहीं हो जायेगी तब तक सन्देश आते रहेंगे। पर्स में एक ठो फ़ालतू कार्ड और बढ़ा। हमें लगता है कि अगर किसी को हैरान परेशान करना हो तो उसका ई मेल आई डी और फोन नम्बर दे दिया जाए। शादी की तारीख भी ऐसी दे दी जाए जो उसकी असली शादी की तिथि से अलग हो। जब सन्देश आएं तो कोई देखे तो जो विकट कन्फ्यूजन हो उस पर 'ओ हेनरी' घराने की एक ठो चकाचक कहानी बन सकती है।
माल में टहलते-भटकते थक गए। टाइल इतनी चिकनी कि कई बार लगा गाना ही गा लिया जाए- 'आज रपट जाएँ तो हमें न बचइयो।'
जेब की गर्मी कुछ कम हुई तो पेट की भूख ने घण्टी बजाई। फ़ूड कोर्ट गए तो बोला- '100 रूपये का जीरो बैलेंस का कार्ड बनवाना पड़ेगा। इसके बाद जितने का खाना है उतना भुगतान करके आना पड़ेगा।' हम बोले-दुत्त। ससुरा खाना न हुआ मोबाईल कनेक्शन हो गया। 100 रूपये पर 0 बैलेंस का कार्ड।
हर दुकान पर कार्ड। हर कार्ड पर आपके विवरण। हर जगह आपकी बांह थामने की कोशिश। यह मुक्त बाजार का वह रूप है जो आपको पकड़कर रखना चाहता है। बाजार मुक्त है लेकिन ग्राहक को जकड़ना चाहता है। आज बेच लिया तो कोशिश है कि अगली बार भी यह आये। इसके लिए उसको अपनी सेवा पर भरोसा नहीँ है। वह आपको पकड़कर याद दिलाना चाहता है कि कुछ पैसा तो खर्च कीजिये हमारी दूकान पर।
फ़ूड कोर्ट को त्यागकर हम गए डोमिनो पिज्जा की दुकान पर और जंक फ़ूड पिज्जा खाकर आ गए। 50 रूपये का सामान लगा होगा जो हम खाये वहां। 10 गुनी कीमत चुकाकर वापस आये।
जब पार्किंग की जगह पर आये तो गाड़ी जहां खड़ी की वह जगह नहीं खोज पाये। कोई बताने वाला भी नहीँ। कारों के बीच हम भटकते रहे काफी देर। फिर पता चला कि हम जिस फ्लोर पर गाडी खड़ी किये थे उससे अलग मंजिल पर भटक रहे थे। भटकने के दौरान यह भी सोच रहे थे कोई पकड़ के किसी गाड़ी में बैठाकर इज्जत से लूट ले तो का कललेंगे।मुआ मोबाइल भी काम नहीं करता यहां। किसी को फोन भी न कर पाएंगे।
फोन से याद आया कि जाते समय ऍफ़ एम पर किसी मोबाईल एप्प का प्रचार करते हुए एक लड़की अपनी सहेली को बता रही थी कि इस एप्प से किसी मुसीबत में फंसने पर फोन करते ही तीन पुलिस थानों को सूचना हो जायेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद पत्र लिखना चाहिए। हमें लगता है कि एप्प के प्रचार में कंडीशन्स अप्लाई भी बता देना चाहिए कि माल्स के पार्किंग बेसमेंट पर यह एप्प काम नहीं करेगा। एप्प विल बि ठप्प इन पार्किंग प्लेस।वैसे भी अपने यहां सुविधाएं आम तौर पर तब काम नहीं करती जब उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
लौटते हुए 'ठग्गू के लड्डू' की दूकान दिखी। लिखा था-
ठग्गू के लड्डू के और सूक्ति वाक्य हैं:
हमको वह श्लोक याद आया जिसका अर्थ यह है -ऐसा कोई अक्षर नहीं जिससे कोई मन्त्र न बनता हो, ऐसी को जड़ नहीँ जिससे कोई औषधि न बनती हो हर व्यक्ति काबिल होता है केवल उससे काम लेने वाले( मैनेजर ) दुर्लभ होते हैं।
आप अपनी जिस कमी पर खुद को अक्सर कोसते रहते हैं कभी ऐसे मौके भी आते हैं कि उन्हीं कमियों पर लाड़ भी आता है। हमारे बेडौल शरीर ने कल फिर से यह एहसास कराया। इसलिए इंसान को खुद को हमेशा प्यार करते रहना चाहिए। किटकिटउवा प्यार।
एक दुकान वाले ने बताया कि दुकान का किराया 5 लाख रुपया प्रति माह है। बिजली अलग से। साल की बिक्री 2 से 3 करोड़ है। कल शाम तक उसकी बिक्री 80 हजार करीब हुई थी। 5 लाख रूपये प्रति माह किराया मतलब 100 दिहाड़ी मजदूर की आय के बराबर किराया। बता रहा था जेड स्क्वायर उत्तर प्रदेश का सबसे मंहगा माल है किराये के मामले में। हमें ताज्जुब हुआ कि वह दुनिया सबसे महंगा माल क्यों नहीँ बताया इसे।
इतने मंहगे किराए वाले माल्स में सामान का मंहगा मिलना सहज बात है। इनके माल्स को बनवाने में लगा पैसे की पड़ताल की जाए तो उसके तार किसी न किसी तरह किसी की अवैध कमाई तक पहुंचेंगे। कुछ साल पहले दिल्ली में एक साड़ी की दुकान गए थे। उसमें हर मंजिल पर काम करने वाली महिलाएं ही थीं। वहीं किसी ने बताया था कि इसमें पैसा आशाराम का लगा है। अभी तो आशाराम निराशाराम बने हुए जेल में हैं। पता नहीं उस दुकान का क्या हाल होगा।
कुछ सामान खरीदते ही दुकान वाले फौरन एक कार्ड बनाया। पता, जन्मतिथि और शादी की तारीख नोट की।ईमेल आईडी भी। अब जब तक दुकान बन्द नहीं हो जायेगी तब तक सन्देश आते रहेंगे। पर्स में एक ठो फ़ालतू कार्ड और बढ़ा। हमें लगता है कि अगर किसी को हैरान परेशान करना हो तो उसका ई मेल आई डी और फोन नम्बर दे दिया जाए। शादी की तारीख भी ऐसी दे दी जाए जो उसकी असली शादी की तिथि से अलग हो। जब सन्देश आएं तो कोई देखे तो जो विकट कन्फ्यूजन हो उस पर 'ओ हेनरी' घराने की एक ठो चकाचक कहानी बन सकती है।
माल में टहलते-भटकते थक गए। टाइल इतनी चिकनी कि कई बार लगा गाना ही गा लिया जाए- 'आज रपट जाएँ तो हमें न बचइयो।'
जेब की गर्मी कुछ कम हुई तो पेट की भूख ने घण्टी बजाई। फ़ूड कोर्ट गए तो बोला- '100 रूपये का जीरो बैलेंस का कार्ड बनवाना पड़ेगा। इसके बाद जितने का खाना है उतना भुगतान करके आना पड़ेगा।' हम बोले-दुत्त। ससुरा खाना न हुआ मोबाईल कनेक्शन हो गया। 100 रूपये पर 0 बैलेंस का कार्ड।
हर दुकान पर कार्ड। हर कार्ड पर आपके विवरण। हर जगह आपकी बांह थामने की कोशिश। यह मुक्त बाजार का वह रूप है जो आपको पकड़कर रखना चाहता है। बाजार मुक्त है लेकिन ग्राहक को जकड़ना चाहता है। आज बेच लिया तो कोशिश है कि अगली बार भी यह आये। इसके लिए उसको अपनी सेवा पर भरोसा नहीँ है। वह आपको पकड़कर याद दिलाना चाहता है कि कुछ पैसा तो खर्च कीजिये हमारी दूकान पर।
फ़ूड कोर्ट को त्यागकर हम गए डोमिनो पिज्जा की दुकान पर और जंक फ़ूड पिज्जा खाकर आ गए। 50 रूपये का सामान लगा होगा जो हम खाये वहां। 10 गुनी कीमत चुकाकर वापस आये।
जब पार्किंग की जगह पर आये तो गाड़ी जहां खड़ी की वह जगह नहीं खोज पाये। कोई बताने वाला भी नहीँ। कारों के बीच हम भटकते रहे काफी देर। फिर पता चला कि हम जिस फ्लोर पर गाडी खड़ी किये थे उससे अलग मंजिल पर भटक रहे थे। भटकने के दौरान यह भी सोच रहे थे कोई पकड़ के किसी गाड़ी में बैठाकर इज्जत से लूट ले तो का कललेंगे।मुआ मोबाइल भी काम नहीं करता यहां। किसी को फोन भी न कर पाएंगे।
फोन से याद आया कि जाते समय ऍफ़ एम पर किसी मोबाईल एप्प का प्रचार करते हुए एक लड़की अपनी सहेली को बता रही थी कि इस एप्प से किसी मुसीबत में फंसने पर फोन करते ही तीन पुलिस थानों को सूचना हो जायेगी। इसके लिए मुख्यमंत्री जी को धन्यवाद पत्र लिखना चाहिए। हमें लगता है कि एप्प के प्रचार में कंडीशन्स अप्लाई भी बता देना चाहिए कि माल्स के पार्किंग बेसमेंट पर यह एप्प काम नहीं करेगा। एप्प विल बि ठप्प इन पार्किंग प्लेस।वैसे भी अपने यहां सुविधाएं आम तौर पर तब काम नहीं करती जब उनकी सबसे ज्यादा जरूरत होती है।
लौटते हुए 'ठग्गू के लड्डू' की दूकान दिखी। लिखा था-
ऐसा कोई सगा नहींहमें लगा कि माल्स तो खुलना अब शुरू हुए हैं। बाजार तो अब गुलजार हुए लेकिन उनका मूल मन्त्र तो इस फुटपथिया दूकान में है। यह बताकर बेंच रहा है इसलिए अभी तक फुटपाथ पर है। खुलकर ठगी की बात कहने वाला ठग ही बना हुआ है। सेवा के नाम पर ठगने वाले अरबपति हो गए।
जिसको हमने ठगा नहीं।
ठग्गू के लड्डू के और सूक्ति वाक्य हैं:
1.मेहमान को मत खिलानाओह। सुबह-सुबह कहां आपको रात के किस्से सुनाने लगे। सुबह हो गई। इतवार मजे से मनाईये। मुस्कराइए कि आप अपने घर में हैं।
वरना टिक जाएगा।
2.बदनाम कुल्फी
खाते ही जेब और जुबान की गर्मी गायब।
3. जो न होती बदनाम मैं
क्यों बिकती फुटपाथ पर।
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