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बच्चा जमीन पर बिछी चादर पर लेटे हुए खिलखिलाते हुए खेल रहा था। उसकी माँ आधी चादर ओढ़े बैठी अपने बच्चे को खेलते देखती खुश सी हो रही थी। बाकी की आधी चादर उसका पति ओढ़े सो रहा था। बीच-बीच में करवट बदलता तो चादर थोड़ा उसकी तरफ खिंच जाती जिसको कि उसकी पत्नी फिर ठीक करती।
कहते हैं पति-पत्नी गृहस्थी की गाड़ी के दो पहिये होते हैं। उसी तर्ज पर लगा मियां-बीबी के बीच साझा चादर के दो खिचवैये होते हैं।
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