Sunday, October 18, 2015

इलाहाबाद -कुछ यादें



कल इलाहाबाद आये। साढ़ू के लड़के की शादी में।सिविल लाइन्स में रुकना हुआ। आज बारात विदा होने के पहले तक कमरे में आराम करते थे। विदा होने के ऐन पहले सिविल लाइन्स की यादों ने हल्ला बोल दिया। मन उन सड़कों को देखने का मचलने लगा जिनको हमने शायद उन दिनों भी कायदे से न देखा होगा जब हम यहां पढ़ते थे।

घूमने निकले तो एलचिको रेस्तरां दिखा। वैसे ही लगा जैसे पहले रहा होगा। लेकिन इस बीच कइयो खानाघर देख चुके तो उतना शानदार नही लगा जितना उन दिनों लगता रहा होगा। हम जैसी माली हालत वालों के लिए यहां खाना खाना विलासिता ही थी उन दिनों। 4 साल में बमुश्किल एक या दो बार आये थे वह भी सीनियर्स को फेयरवेल पार्टी देने वह भी चन्दा करके।

उन दिनों शनिवार को मेस शाम को बन्द रहती थी। ज्यादातर लड़के हॉस्टल के पिछवाड़े मिलने वाली किराये की साइकिलें लेकर सिविल लाइन्स आते। घूमते। पिक्चर देखते। फुटपथिया खाने की दुकानों पर बैठकर छोला भटूरा या कुछ और खाते और रात तक लौट जाते।

हम और भी घूमना चाहते थे पर बुला लिया गया। बस चलना चाहती थी।

कल और आज जितना देखा उससे लगा बहुत नहीँ बदला है इलाहाबाद खासकर सिविल लाइन्स। सड़क उतनी ही चौड़ी। सड़क के बाद दुकानों तक उतनी ही कच्ची जमीन। चाय की दुकानें वैसी ही। ब्रेड पकौड़े और साथ की चटनी का वही स्वाद। लकड़ी के बने रिक्शे वैसे ही सिंहासन नुमा और बैठने में होने वाली तकलीफ के चलते कुछ-कुछ स्त्री विरोधी सरीखे।

कल संयोग से शादी में ही Vimal Verma से मुलाक़ात हुई। दुल्हन विमल जी की के जीजा की भतीजी है। यह हमारी दूसरी मुलाकात थी। इससे पहले हमारी मुलाकात बम्बई में हुई थी जब हम Ashish के साथ बम्बई गए थे। एक रेस्त्रां में अभय तिवारी, Bodhi Sattva Shashi Singh Anil Singh और अन्य मित्रों के साथ मुलाकात हुई थी। काफी बातें हुईं थीं ब्लागिंग से जुडी। जन्मदिन था उस दिन मेरा। केक भी कटा। वे हिंदी ब्लागिंग के सबसे ज्यादा सक्रियता के दिन थे। ओह हाँ विमल जी ठुमरी ब्लॉग भी लिखते हैं। इस तरह कल दो ब्लॉगर निकट पारिवारिक सूत्रीकरण भी हुआ। विमल जी से Pramod Singh और ऊपर जिनके नाम लिखे उनके हाल चाल भी लिए गए।

बस चली तो इलाहाबाद की उन्ही जानी पहचानी सडक़ों को देखते हुए निकले जिनपर कभी साइकिल से टहलते थे। फाफामऊ पुल पर गंगा दर्शन हुए। Gyan Dutt जी शिवकुटी का इलाका भी दूर से देखा। उनको अपने गंगा तट वाली ई बुक दिसम्बर के पहले पूरी करनी है।

अब लंच पैकेट बंट गया है। सो पेट पूजा करते हैं। आप भी खा पी लीजिये। खा पी चुके हों तो थोड़ा आराम कर लीजिये।

No comments:

Post a Comment