Friday, October 02, 2015

आज है दो अक्टूबर का दिन

रात डिनर में हम पराठा खाये और हमारा मोबाइल ट्रेन के चार्जिंग प्वाइंट से बिजली छका। दोनों के पेट भरे थे । सो गए।

अभी सुबह हुई तो एक स्टेटस से कहा -जा बेट्टा फेसबुक वाल पर लग जा। आते-जाते लोग देखेंगे तो वाल सूनी न लगे।

स्टेटस कुनमुना के बोला-अभी सोने दीजिये। आज छुट्टी है। पिछली बार की तरह इस बार स्वच्छ्ता अभियान में झाडू लगाने थोड़ी जाना है।

यह कहकर वह मेरे गले चिपटकर सो गया।

हम क्या करें। देखिये हमरा स्टेटस तक हमरा बात नहीं मानता। आदमी अपनों से ही हारता है। अब ई बात ऐसी है कि हम ट्वीट तक नहीं कर सकते कि मितरों मेरा स्टेटस मेरी बात नहीं मानता।
हम तो ट्रेन में हैं। आप लोग पक्का वो वाला गीत सुन रहे होंगे:
आज है दो अक्टूबर का दिन
आज का दिन है बड़ा महान
आज के दिन दो फूल खिले थे
जिनसे महका हिंदुस्तान।
सुनिये। मजे करिये। सुबह शुभ हो। दिन चकाचक।

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