Monday, October 05, 2015

केवल दो गीत लिखे मैंने

दो दिन पहले गीतकार राजेन्द्र राजन के प्रसिद्द गीत 'केवल दो गीत लिखे मैंने' का एक बंद 'वाह भाई वाह' कार्यक्रम में सुनने का मौका मिला। मैंने उसे रिकार्ड कर लिया। सुनिये इस प्यारे गीत का मुखड़ा। पूरा गीत साथ में दिया है।
केवल दो गीत लिखे मैंने
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केवल दो गीत लिखे मैंने
इक गीत तुम्हारे मिलने का
 इक गीत तुम्हारे खोने का

सड़कों-सड़कों, शहरों-शहरों
नदियों-नदियों, लहरों-लहरों
विश्वास किये जो टूट गए
कितने ही साथी छूट गए
पर्वत रोये-सागर रोये
नयनों ने भी मोती खोये
सौगन्ध गुंथी सी अलकों में
गंगा-जमुना सी पलकों में

 केवल दो स्वप्न बुने मैंने
इक स्वप्न तुम्हारे जगने का
 इक स्वप्न तुम्हारे सोने का

बचपन-बचपन,यौवन-यौवन
बन्धन-बन्धन, क्रंदन-क्रंदन
नीला अम्बर, श्यामल मेघा
किसने धरती का मन देखा
सबकी अपनी है मजबूरी
चाहत के भाग्य लिखी दूरी।
मरुथल-मरुथल,जीवन-जीवन
पतझर-पतझर,सावन-सावन

 केवल दो रंग चुने मैंने
इक रंग तुम्हारे हंसने का
इक रंग तुम्हारे रोने का।

केवल दो गीत लिखे मैंने
इक गीत तुम्हारे मिलने का
इक गीत तुम्हारे खोने का।

-राजेन्द्र राजन

https://www.youtube.com/watch?v=EQ8DL9mK3kk 

3 comments:

  1. वाह क्या गीत है काफी कुछ कह गयी ये कविता जिसे मेरे भाव व्यक्त नहीं कर सकते।

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  2. संवेदना से सराबोर मर्म को छूने वाला गीत है गीत कारकेप्रयोग को नमन।

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