कल कुछ काम से बिजली की दुकान जाना हुआ। ये बच्चे मोटर वाइंडिंग का और दीगर रिपेयरिंग का काम करते मिले। अपने मामा की दुकान पर काम सीख रहे हैं। स्कूल छोड़े अर्सा हो गया। पन्द्रह सोलह साल के बच्चों के चेहरों पर गम्भीरता और समझदारी का भाव। फोटो खींचते समय मुस्कराने को कहा तो बेबसी साथ लग ली मुस्कान के। इन बच्चों के भी अच्छे दिन आयेंगे क्या कभी? किसी के मसौदे में तो दीखते नहीं।
- Krishn Adhar आदरणीय -सामान्य जीवन मे आप की रुचि अनन्य है ।जीवन के और अधिक लाचार रूपभी अभी शेष हैं पर ...।
- Shiv Kumar Your love to ground realities takes you to the level from where God is nearer. Wish you to get His blessings to become a great man one day so that you can take care of these people.
- Parveen Chopra सच में अनूप जी..बेबसी साथ लग ली मुस्कान...........ईश्वर इन के लिए तो बहुत अच्छे दिन लाए और ज़रूर लाए.....आमीन.......
मेरे मन में भी भाव ऐसे काम करने वालों बच्चों के प्रति बिल्कुल हु-ब-हू आप के जैसे ही होते हैं ...लेकिन मुझे अपराधबोध यही होता है कि आखिर इन के लिए हम ने किया क्या....
लेकिन एक बात की तसल्ली यही होती है कि हाथ का हुनर जो ये सीख रहे हैं आने वाले समय में किसी की तरफ़ इन्हें देखना नहीं पड़ेगा।
अनूप जी आप की बातें बिल्कुल जमीन से जुड़ी होती हैं, ऐसे ही बने रहिए। - Isht Deo Sankrityaayan मसौदे में इनकी लगी-लगाई रोज़ी भी छीन कर इनकी मुक्ति के नाम पर इन्हें मनरेगा लायक बनाने पर ज़ोर होता है.
- Rekha Srivastava ve nahin chahte lekin halat unhen aisa bana dete hain . unake parishram aur lagan se jo kaam ve karenge unake achchhe din jaroor aayege.
- Girish Singh अनूप भैया, तस्वीर और आप की व्याख्या ...मन को छु जाती हैं, जाने क्यों लगता हैं कोई छुट न जाए
- महेंद्र मिश्र बाल श्रमिकों की व्यथा और मजबूरी को कोई नहीं समझता है इनके लिए अच्छे दिन दूर की गोटी है ...
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