बतियाते
हुए रामफल के दोस्त गोपाल आ गये। पुराने साथी। पास के क़ारखाने में काम
करते हैं। रामफल ने बताया -"गोपाल के पिता हमारे साथ के थे।" उम्र की बात
चली तो बताने लगे किसी के बारे में कि वे पूरा सौ करके गए। हमने कहा -"आप
भी अभी पचीस साल जियोगे।" सुनकर मुस्कराने लगे रामफल यादव। हमको कविता
पंक्ति याद आ गई-
यह हंसी बहुत कुछ कहती है।
यह हंसी बहुत कुछ कहती है।
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