Sunday, June 22, 2014

अतीत लोगों के लिए खूबसूरत आरामगाह होती है



सबेरे फिर पुलिया पर जाना हुआ। रामफल यादव फलों को एक चद्दर से ढंके पुलिया पर तैनात मिले। जैसे कोई भी विकास चाहने वाली सरकार विदेशी पूंजी के लिए अपना पूरा बाजार खोल देती है वैसे ही उन्होंने हमको देखकर फल से चद्दर हटा दी। सब फल मुक्त हो गये।

रामफल फिर से अपने बचपने में लौट गए। बताने लगे:

"पांच साल के थे जब घर से आये। पचास साल हो गये। जवाहरलाल प्रधानमन्त्री थे। प्रतापगढ़ आते थे तो हम सब बच्चे भागे देखने जाते थे। दो बैलों की जोड़ी पर मोहर लगती थी। उनका महल है इलाहाबाद में। इंदिरागांधी आई थीं यहाँ। हम ठेला लगाते थे। सरदार इंस्पेक्टर मुंह में सीटी बजाता आगे-आगे चल रहा था।नौकरी लगते-लगते रह गयी हमारी। हमने कार्ड फाड़ के फेंक दिया फिर।"

रामफल ऊँचा सुनते हैं। कुछ भी पूछो बताते वही हैं जो समझते हैं। पचास साल पहले की यादें बार-बार दोहराते हैं। हर बात को हांक के पचास साल पहले ले जाते हैं। अतीत तमाम लोगों के लिए इतनी खूबसूरत आरामगाह होती है कि उनको वहीं सुकून मिलता है।

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